1. हम जी-20 के नेताओं का विश्वास है कि मिलजुलकर कार्य करते हुए हम सभी देशों के नागरिकों के लिए और भी समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
2. नवंबर, 2008 में जब हम हमारी पीढ़ी के समक्ष आई सबसे गंभीर मंदी का समाधान करने के लिए एकत्र हुए थे, तब हमने विश्व अर्थव्यवस्था को समर्थन प्रदान करने और स्थिर बनाने तथा सुधारों की आधारशिला रखने का संकल्प लिया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विश्व
में कभी भी इस प्रकार की उथल-पुथल न आए।
3. पिछले चार शिखर सम्मेलनों के दौरान हमने विश्व अर्थव्यवस्था में आई नाटकीय मंदी को समाप्त करने और आर्थिक सुधार एवं नवीकृत विकास के आधारों की स्थापना करने के लिए अभूतपूर्व सहयोग के साथ कार्य किया है।
4. हमने जो ठोस कदम उठाए हैं, उनसे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हम भविष्य में आने वाले संकटों को रोकने, और यदि आवश्यक हुआ, तो इसे सहन करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं। हम अपने समन्वित प्रयासों को जारी रखने तथा ठोस, सतत एवं संतुलित विकास सृजित
करने हेतु मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता जारी रखने का वचन देते हैं।
5. हम सबसे कमजोर देशों की चिन्ताओं का समाधान करने के महत्व को स्वीकार करते हैं। इस प्रयोजनार्थ हम नौकरियों को आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं ताकि सामाजिक सुरक्षा और सम्मानित रोजगार उपलब्ध कराया जा सके तथा अल्प आय वाले देशों
में त्वरित विकास सुनिश्चित किया जा सके।
6. पिछले दो वर्षों के दौरान हमारे द्वारा लगातार किए जा रहे सहकारी प्रयासों के फलस्वरूप ठोस परिणाम सामने आए हैं। हालांकि हमें सतर्क रहना होगा।
7. अभी भी अनेक प्रकार के जोखिम हैं। हममें से कुछ देशों की विकास प्रक्रिया ठोस है जबकि कुछ देशों में बेरोजगारी का स्तर काफी ऊंचा तथा आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया बहुत धीमी है।
असमान विकास एवं उत्तरोत्तर व्यापक हो रहे असंतुलन से कुछ देश वैश्विक समाधानों से हटकर असमन्वित कार्रवाइयों को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। हालांकि असमन्वित नीतिगत कार्रवाइयों से बुरे परिणाम ही सामने आएंगे।
8. वर्ष 2008 से ही विश्व अर्थव्यवस्था के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के संबंध में साझे विचार, आवश्यक अनुक्रिया तथा संरक्षणवाद का मुकाबला करने के हमारे संकल्प के आधार पर हम न सिर्फ संकट के मूल कारणों का समाधान करने में बल्कि आर्थिक सुधार की प्रक्रिया को
आगे बढ़ाने में भी सफल हुए हैं। आज हम इन नई चुनौतियों का मुकाबला करने और इस संकट के आगे ठोस, सतत एवं संतुलित विकास का मार्ग अपनाने पर सहमत हुए हैं।
9. सियोल शिखर सम्मेलन से आज निम्नलिखित बातें सामने आई हैं:
* व्यापक, सहकारी एवं राष्ट्र विशेष नीतिगत कार्रवाइयों को शामिल करने वाली सियोल कार्य योजना जिसका उद्देश्य साझे लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ना है। योजना में निम्नलिखित के लिए हमारी वचनबद्धताओं को शामिल किया गया है:
- आवश्यकता पड़ने पर राजकोषीय मजबूती सहित अन्य बृहत आर्थिक नीतियां अपनाना जिससे कि आर्थिक सुधार और सतत विकास की प्रक्रिया को जारी रखना सुनिश्चित किया जा सके और वित्तीय बाजारों की स्थिरता में वृद्धि हो सके।
इसके अतिरिक्त, बाजार द्वारा निर्धारित मुद्रा दर प्रणालियों की दिशा में आगे बढ़ा जा सके, अर्थव्यवस्था के मौलिक तत्वों को परिलक्षित करने के लिए विनिमय दर लोचनीयता को बढ़ावा दिया जा सके और मुद्रा के प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन से बचा जा सके। अतिरिक्त मुद्रा
भण्डार वाले देशों सहित अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाएं अत्यधिक संवेदनशीलता और विनिमय दरों के अव्यवस्थित उतार-चढ़ाव के संदर्भ में सतर्क रहेंगी। इन कार्रवाइयों से कुछ उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष उत्पन्न हो रहे पूंजीगत प्रवाहों में अतिशय संवेदनशीलता
के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
- विविध ढांचागत सुधारों को कार्यान्वित करेंगे जिससे वैश्विक मांग में निरन्तरता को बढ़ावा मिले, नौकरियों का सृजन तेजी से हो तथा विकास की संभावनाओं में वृद्धि हो; और
- वाह्य निरन्तरता को बढ़ावा देने के लिए पारस्परिक आकलन प्रक्रिया (एमएपी) को बढ़ावा देंगे। वाह्य निरंतरता को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय सहयोग सुदृढ़ बनाएंगे और ऐसी नीतियों का निर्माण करेंगे, जो अतिशय असंतुलनों को दूर करने और चालू खाते के असंतुलनों को स्थाई
स्तरों तक बनाए रखने में उपयोगी साबित हों। हमारे वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने सांकेतिक दिशानिर्देशों के विरुद्ध आकलित जिस व्यापक संतुलन पर सहमति व्यक्त की थी,
उसके लिए एमएपी के भाग के रूप में बाधाओं के स्वरूप तथा मुख्य कारणों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में पण्यों के बड़े उत्पादकों सहित अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इन
सांकेतिक दिशानिर्देशों में अनेक संकेतक शामिल हैं, जो विशाल असंतुलनों की समय से पहचान किए जाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए एक तंत्र के रूप में कार्य करेंगे जिससे कि आवश्यक निरोधात्मक एवं उपचारी उपाय शीघ्रातिशीघ्र किए जा सकें।
इन वचनबद्धताओं को पूरा करने संबंधी हमारे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए हम अपने संरचना कार्यदल, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का तकनीकी समर्थन प्राप्त है, से इन सांकेतिक दिशानिर्देशों का विकास करने का आह्वान करते हैं। इस दिशा
में हुई प्रगति पर वर्ष 2011 के पूर्वार्ध में हमारे विदेश मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों द्वारा चर्चा की जाएगी। ग्योंग्जू में हमारे वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों ने वाह्य निरंतरता एवं राजकोषीय, मौद्रिक, वित्तीय,
ढांचागत विनिमय दर तथा अन्य नीतियों में निरन्तरता बनाए रखने की दिशा में हुई प्रगति के संदर्भ में एमएपी के भाग के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से आकलन उपलब्ध कराने का आह्वान किया था। इस तथ्य के आलोक में फ्रांस के अध्यक्षता काल में आगे पहल की जाएगी,
जो ऊपर उल्लिखित सांकेतिक दिशानिर्देशों पर आधारित होगी।
* आधुनिक रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जो गतिशील उदीयमान बाजारों और विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व के जरिए विश्व अर्थव्यवस्था के बदलावों को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित कर सके। जैसाकि सियोल शिखर सम्मेलन दस्तावेज में उल्लिखित है,
कोटा और शासन व्यवस्था में इस प्रकार के व्यापक सुधारों से अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की वैधता, विश्वसनीयता और प्रभाविता में वृद्धि होगी जिससे यह वैश्विक वित्तीय स्थिरता एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए और भी सशक्त संस्थान बन सके।
* वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेटवर्क को सुदृढ़ बनाने का एक उपकरण, जो अंतर्राष्ट्रीय पूंजीगत प्रवाहों में एकाएक आने वाले बदलावों से बचने के लिए एक व्यावहारिक व्यवस्था उपलब्ध कराकर देशों को वित्तीय संवेदनशीलता की समस्या से बचाने में मदद करेगा।
* बैंक पूंजी एवं तरलता मानकों सहित एक नई वित्तीय नियामक रूपरेखा के महत्वपूर्ण तत्व और प्रभावी पर्यवेक्षण एवं अनुवीक्षण द्वारा संपूरित महत्वपूर्ण वित्तीय संस्थाओं को विनियमित एवं प्रभावी बनाने के उपाय। सियोल शिखर सम्मेलन घोषणा में किए गए उल्लेख के
अनुसार अन्य उपलब्धियों द्वारा संपूरित इस प्रकार की नई रूपरेखा वित्तीय क्षेत्र की अनियमितताओं पर लगाम लगाते हुए एक लोचनीय वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करेगी और हमारी अर्थव्यवस्थाओं की विविध आवश्यकताओं के लिए उपयोगी साबित होगी।
* साझे विकास के लिए सियोल विकास सर्वसम्मति, जिसमें अन्य विकासशील देशों तथा खासकर अल्प आय वाले देशों के साथ भागीदारी करने, उनकी विकास क्षमताओं को उच्चतम बनाने के लिए क्षमता निर्माण की प्रक्रिया में उनकी सहायता करने और इस प्रकार विश्व स्तर पर संतुलन
स्थापित करने की प्रक्रिया में योगदान देने की हमारी वचनबद्धता व्यक्त की गई है। सियोल सर्वसम्मति सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने संबंधी हमारी प्रतिबद्धता को संपूरित करती है
और विकास से संबद्ध हमारी बहुवर्षीय कार्य योजना में दिए गए ठोस उपायों पर बल देते हुए विकासशील देशों में अवसंरचना विकास के जरिए अन्य तरीकों से लोगों के जीवन में स्पष्ट और उल्लेखनीय बदलाव लाने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करती है।
* वित्तीय समावेश कार्य योजना, वित्तीय समावेश के लिए वैश्विक भागीदारी तथा लोचनीय एसएमई वित्त रूपरेखा, जिनसे गरीब परिवारों तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए वित्तीय सेवाओं तक संपर्क मुहैया कराने और उनके लिए अवसरों का विस्तार करने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
* दोहा विकास दौर को ऐसे सफल, महत्वाकांक्षी, व्यापक और संतुलित समापन, जो दोहा विकास दौर के अधिदेशों के अनुरूप हो, तक ले जाने के लिए हमारे वार्ताकारों को स्पष्ट बातचीत में शामिल होने का निदेश देने संबंधी हमारी ठोस वचनबद्धता तथा पहले से हुई प्रगति को और
व्यापक बनाना। हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि वर्ष 2011 अवसरों का एक महत्वपूर्ण वर्ष होगा जिसके दौरान हमारे प्रतिनिधियों के बीच बातचीत को गहन और विस्तारित किया जाना चाहिए। अब हमें शेष कार्यों को समाप्त करने की आवश्यकता है।
इस प्रकार का परिणाम प्राप्त होने के बाद हम आवश्यकता पड़ने पर अपनी-अपनी प्रणालियों द्वारा इसका अनुसमर्थन कराए जाने की वचनबद्धता भी व्यक्त करते हैं। हम संरक्षणवादी उपायों के सभी स्वरूपों का प्रतिरोध करने के प्रति भी कृतसंकल्प हैं।
10. हम आज और पूर्व में पारदर्शी तथा निष्पक्ष तरीके से व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण और आकलन करना जारी रखेंगे। हम अपने आपको जिम्मेदार मानते हैं। हम वायदे के अनुरूप कार्य करेंगे।
11. अब तक प्राप्त उपलब्धियों से आगे बढ़ते हुए हमने विवेकपूर्ण नीतिगत रूपरेखाओं पर आगे कार्य करने; वित्तीय नियामक सुधारों में उदीयमान बाजार अर्थव्यवस्थाओं के संदर्श को बेहतर तरीके से प्रतिबिंबित करने; शैडो बैंकिंग के विनियम एवं पर्यवेक्षण को सुदृढ़ बनाने;
पण्य डेरीवेटिव्स बाजारों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण की दिशा में आगे कार्य करने; बाजारों में ईमानदारी और प्रभाविता में सुधार लाने; उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने; अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में शासन संबंधी सभी अनसुलझे मुद्दों का समाधान करने;
और वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेटवर्कों को सुदृढ़ बनाते हुए अन्य तरीकों से स्थिर एवं लोचनीय अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली का निर्माण करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है। हम सांकेतिक दिशानिर्देशों, जिन पर अभी सहमति होनी है पर आधारित अपनी पारस्परिक आकलन
प्रक्रिया का भी विस्तार करेंगे।
12. लोचनीयता तथा नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने और विकास के समक्ष उत्पन्न जोखिमों के प्रशमन हेतु हम बुनियादी ढांचों की कमी, खाद्य बाजारों की संवेदनशीलता और वित्तीय सेवाओं से इसके अलगाव सहित अन्य महत्वपूर्ण गतिरोधों को दूर करने से संबद्ध सियोल सर्वसम्मति
के तहत किए जाने वाले कार्यों को प्राथमिकता प्रदान करेंगे।
13. पश्च आर्थिक संकट अर्थव्यवस्था में व्यापक, प्रगतिशील नेतृत्व प्रदान करने के लिए हम भ्रष्टाचार रोधी कार्य योजनाओं के जरिए भ्रष्टाचार की समस्या का समधान करने; अप्रभावी जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और अंतत: चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने;
जीवाश्म ईंधनों के मूल्य में आने वाले अतिशय उतार-चढ़ावों को कम करने; वैश्विक समुद्रीय पर्यावरण को सुरक्षित रखने; और वैश्विक जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भी अपना कार्य जारी रखेंगे।
14. हम सियोल शिखर सम्मेलन में जारी नेताओं के दस्तावेज में किए गए उल्लेख के अनुरूप जलवायु परिवर्तन की चुनौती का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करते हैं। हम जलवायु परिवर्तन से संबद्ध वार्ताओं पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा अभिसमय की स्थिति
पर राष्ट्रपति फिलिप काल्डेरोन की टिप्पणी और जलवायु परिवर्तन के वित्तपोषण पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव को प्रस्तुत उच्चस्तरीय परामर्शी समूह की रिपोर्ट पर प्रधान मंत्री मेलेस जेनावी की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। हम कानकुन में संतुलित और सफल निष्कर्ष
पर पहुंचने के लिए यथासंभव सभी प्रयास करेंगे।
15. हम टर्की में चतुर्थ संयुक्त राष्ट्र अल्पविकसित देश शिखर सम्मेलन तथा कोरिया में आर्थिक सहायता की प्रभाविता से संबद्ध चौथे उच्चस्तरीय मंच का आयोजन किए जाने का स्वागत करते हैं। दोनों बैठकों का आयोजन वर्ष 2011 में किया जाना है।
16. निजी क्षेत्र द्वारा प्रेरित विकास एवं नौकरियों के सृजन के महत्व को देखते हुए हम सियोल जी-20 व्यावसायिक शिखर बैठक का स्वागत करते हैं। हम आगामी शिखर बैठकों में जी-20 व्यावसायिक शिखर बैठकों को आयोजन जारी रखना चाहते हैं।
17. आज सहमत कार्रवाइयों से विश्व अर्थव्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने, नौकरियों की सृजन की प्रक्रिया में तेजी लाने, और भी स्थिर वित्तीय बाजार सुनिश्चित करने, विकास की खाइयों को कम करने और आर्थिक संकट से आगे व्यापक साझे विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
18. हमें 2011 में फ्रांस में और तदुपरान्त 2012 में मैक्सिको में होने वाली अगली बैठकों की प्रतीक्षा रहेगी।
19. हम जी-20 की अध्यक्षता और सफल सियोल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए कोरिया को धन्यवाद देते हैं।
20. हमने जिस सियोल शिखर सम्मेलन दस्तावेज पर सहमति व्यक्त की है, उसे जारी किया जा रहा है।