मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा आभासी साप्ताहिक मीडिया वार्ता की प्रतिलिपि (06 अगस्त 2020)

अगस्त 07, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:

दोस्तों नमस्कार एवं शुभ संध्या!
वार्ता की शुरुआत करने में देरी के लिए क्षमा करें।

मैं वार्ता की शुरुआत एक घोषणा के साथ करूँगा जो वंदे भारत मिशन पर एक अपडेट के रूप में है। हम वंदे भारत मिशन में 1 मिलियन का आँकड़ा पार कर रहे हैं, जो कि फँसे हुए भारतीयों के प्रत्यावर्तन के लिए सबसे बड़ा लगातार चलने वाला अभियान है। इस मिशन के तहत, आज तक लगभग 9.5 लाख भारतीय घर लौट आए हैं। वर्तमान में हम 5वें चरण में हैं, जिसका संचालन, जैसा कि आपको याद होगा, 1 अगस्त से किया गया था। हमारे मिशनों से प्राप्त माँग के आकलन के आधार पर, अनुसूची में लगभग 60 और अतिरिक्त उड़ानों की बढ़ाया गया है। इससे इस महीने अनुसूचित कुल उड़ानें 746 हो जाती है। इसके अतिरिक्त पूरे भारत में 24 हवाई अड्डों तक पहुँचने के लिए लगभग 200 घरेलू फीडर उड़ानें निर्धारित हैं। इस चरण में विदेशों में फँसे 1,30,000 से अधिक भारतीयों को वापस लाने की उम्मीद है। अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के साथ यात्रा आवागमन स्थापित करने की द्विपक्षीय व्यवस्था जारी है। कई उड़ानें इन देशों से संचालित हो रही हैं और आगे के कनेक्शन प्रदान कर रही हैं। नागरिक उड्डयन मंत्रालय कुछ अन्य देशों के साथ इसी प्रकार की व्यवस्था को संचालित करने के लिए चर्चा कर रहा है। तो यह घोषणा करनी थी।
अब, मैं आपके प्रश्नों की तरफ आगे बढ़ता हूँ। मैं यतिन से अनुरोध करूँगा कि अब वे कृपया आगे का कार्य संभालें ।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क):
महोदय, प्रश्न का पहला सेट श्री कुलभूषण जाधव पर है, विऑन के सिद्धांत ने पूछा है - " जाधव मामले पर, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद क्या पाकिस्तान ने भारत से संपर्क किया है? सीएनएन न्यूज़ 18 से माहा ने पूछा है - "पाकिस्तान कहता है कि कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने के लिए भारत को अधिकृत करने के अदालती आदेश के बाद उसने भारत से संपर्क किया है। क्या वकील नियुक्त किया गया है?” टाइम्स नाउ से सृंजॉय ने पूछा है -"श्री कुलभूषण जाधव के बारे में स्थिति क्या है?

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इस संबंध में पाकिस्तान सरकार ने हमसे कोई संपर्क नहीं किया है। आपने 23 जुलाई को वार्ता के दौरान मेरा बयान देखा होगा, पाकिस्तान को उन बुनियादी मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है जो आईसीजे के फैसले के कार्यान्वयन के निर्वाह में एक प्रभावी समीक्षा से संबंधित हैं और ये मूल मुद्दे, एक - हमें प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराने, साथ ही साथ श्री कुलभूषण जाधव को अबाध, उन्मुक्त और बिना शर्त के कांसुलर की पहुँच प्रदान करने, से संबंधित हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क):
महोदय, प्रश्नों का अगला सेट केरल स्वर्ण तस्करी मामले पर है। एशिया नेट से प्रशांत ने पूछा - "केरल सोने की तस्करी के मामले के बारे में, क्या विदेश मंत्रालय को संयुक्त अरब अमीरात से वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों से पूछताछ करने के अपने अनुरोध का कोई जवाब मिला है?" ऐसी रिपोर्टें हैं कि केरल के दो मंत्री वाणिज्य दूतावासों के उल्लंघन करने वाले प्रोटोकॉल के संपर्क में थे। क्या विदेश मंत्रालय इस पर कोई कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है? " मातृभूमि से बाला गोपाल ने पूछा है - "क्या भारत ने केरल सोने की तस्करी के मामले के कथित मास्टरमाइंड, संयुक्त अरब अमीरात के फैसल फरीद के प्रत्यर्पण की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की? मीडिया में यह खबर है कि एनआईए की टीम केरल सोने की तस्करी मामले की जांच के लिए संयुक्त अरब अमीरात जा रही है। क्या भारत सरकार ने एनआईए टीम के दौरे के लिए संयुक्त अरब अमीरात से अनुमति मांगी है? क्या सरकार ने संयुक्त अरब अमीरात के थिरुवनन्थपुरम के वाणिज्य दूतावास में पूर्व प्रभारी डे अफेयर राशिद खमीस अल शिमिली का साक्षात्कार लेने के लिए संयुक्त अरब अमीरात की अनुमति माँगी है जिसको सोने की खेप भेजी गई थी? "

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, प्रशांत और बाल गोपाल, आपको पता होगा कि एनआईए की जाँच चल रही है, इसलिए मैं मामले की बारीकियों पर टिप्पणी नहीं कर पाऊँगा। मैं आपकी यह पुष्टि कर सकता हूँ कि विदेश मंत्रालय जाँच के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कर रहा है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, अगला प्रश्न पीटीआई भाषा से दीपक रंजन का है। "पकिस्तान के प्रधान मंत्री ने हाल ही में राजनितिक नक्शा जारी किया, जिसमें जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ का इलाका शामिल है। नेपाल द्वारा कुछ दिनों पहले ही नए नक़्शे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जारी करने की खबर आई थी। इस पर मंत्रालय की क्या प्रतिक्रिया है?” (हिंदी में प्रश्न, सन्निकट अनुवाद) न्यूज़ नेशन से मधुरेन्द्र ने भी इसी तरह का प्रश्न पूछा है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: पाकिस्तान के तथाकथित राजनितिक नक़्शे के बारे मैं आप लोगो ने मेरा बयान देखा होगा और मैं यही कहूँगा ऐसे बेतुके दावों के ज़रिए, इन दावों की कोई कानूनी वैद्यता नहीं है, न कोई अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता है और पकिस्तान ऐसे दावे करके इस बात की पुष्टि कर रहा है कि सीमा पार आतंकवाद के ज़रिए वह ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लाना चाहता है, उनके ऊपर के तरह से ज़्यादा से ज़्यादा क्षेत्र हासिल करने की एक सनक सवार है । (हिंदी में उत्तर दिया गया, सन्निकट अनुवाद)

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, विऑन से सिद्धांत ने पूछा है -"क्या भारत एससीओ ब्रिक्स की बैठक में भाग लेगा?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सिद्धांत, एससीओ ब्रिक्स बैठक, जो जुलाई, यानि पिछले महीने होने वाली थी, को स्थगित कर दिया गया है। हम नई तारीख का इंतजार कर रहे हैं, मेरा मानना है कि स्थगन, कोविड की स्थिति के कारण किया गया है और नई तारीखें, इसमें भाग लेने वाले देशों में कोविड -19 की स्थिति के आधार पर तय की जाएँगी और हम इन तारीखों का इंतजार कर रहे हैं। एक बार जब हमें इन तारीखों का पता चलता है, तो हम निश्चित रूप से इसमें भाग लेने के लिए तत्पर होंगे।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, द हिंदू से सुहासिनी ने पूछा है - "अफगानिस्तान तालिबान के आतंकवाद सहित गंभीर अपराधों के अभियुक्त या दोषी 400 उग्रवादियों को रिहा करने का फैसला करने के लिए कल लोया जिरगा आयोजित करेगा । क्या भारत इस कदम का समर्थन करता है? इसके अलावा, क्या भारत को अगले सप्ताह में आयोजित होने वाली अंतर-अफगान वार्ता पर जानकारी दी गई है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सुहासिनी, आपके प्रश्न के पहले भाग के उत्तर में, लोया जिरगा अफगानिस्तान का एक अत्यंत सम्मानित पारंपरिक परामर्शी निकाय है और उनकी बैठक अफगानिस्तान के लिए आंतरिक मुद्दा है। हमारी नीति, निस्संदेह, अफगानिस्तान की सरकार के समर्थन में बहुत सुसंगत है। जानकारी के संबंध में, आपको याद होगा कि प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति गनी की 3 अगस्त को टेलीफोन पर बातचीत हुई थी। काबुल में हमारे राजदूत वहाँ के नेतृत्व के संपर्क में हैं और उन्हें सभी प्रासंगिक मामलों की जानकारी दी जा रही है। हमें अन्य वार्ताकारों द्वारा भी सूचित किया गया है, जो इस प्रक्रिया का हिस्सा हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, टाइम्स नाउ से सृंजॉय ने पूछा है - "विजय माल्या मामले में कोई गतिविधि?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सृंजॉय, हम विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के संबंध में यूके के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, सीएनएन न्यूज़ 18 से माहा ने पूछा है - "क्या भारत लेबनान को कोई मानवीय सहायता प्रदान करेगा?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: माहा, हमने लेबनान सरकार से क्षति की सीमा का आकलन करने की माँग की है और उसके आधार पर हम उन्हें प्रदान की जाने वाली सहायता के प्रकार, सहायता की प्रकृति तय करेंगे। आपको यह भी याद होगा कि हमारे दूतावास का एक ट्वीट था। वहाँ, भारतीय समुदाय के बीच किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। पाँच मामूली रूप से घायलों की सूचना है। हमारा दूतावास, सामुदायिक संघों के संपर्क में है और सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, द ट्रिब्यून के संदीप दीक्षित ने पूछा है - "क्या आप भारत और रूस के बीच कई स्तरों पर, विशेषकर दो विदेशी कार्यालयों के बीच लगातार होने वाली बातचीत के पीछे किसी गतिविधि का संकेत दे सकते हैं?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: संदीप, मुझे लगता है कि आप उस प्रेस विज्ञप्ति का उल्लेख कर रहे हैं, जो विदेश सचिव और रूसी उप विदेश मंत्री के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद जारी की गई थी। दोनों पक्षों के बीच अक्सर आदान-प्रदान होता रहा है। आपको याद होगा कि 2 जुलाई को प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति पुतिन ने बात की थी जब प्रधानमंत्री ने रूस में संवैधानिक संशोधनों पर सफल राष्ट्रीय वोट के लिए उन्हें बधाई दी थी। फिर, जून के अंतिम सप्ताह में, रक्षा मंत्री ने मॉस्को का दौरा किया था; द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 75 वीं वर्षगांठ में भारतीय सैन्य टुकड़ी ने भाग लिया था। वैसे, कल जब विदेश सचिव और उप विदेश मंत्रियों ने बात की, तो उन्होंने इन सभी हालिया आदान-प्रदानों का जायजा लिया और निश्चित रूप से इन नियमित आदान-प्रदानों की गति को इस रूप में बनाए रखने का विचार है क्योंकि कोविड की स्थिति को देखते हुए, हम यात्राएँ करने में असमर्थ रहे हैं, लेकिन दोनों पक्षों के बीच आगामी उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान का एक पूरा कैलेंडर है। एससीओ ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की बैठक, एनएसए बैठक, रक्षा मंत्रियों की बैठक निर्धारित है। बेशक, वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन अक्टूबर में होने जा रहा है जब राष्ट्रपति पुतिन के भारत आने की उम्मीद है। साथ ही, इन वार्तालापों के एक हिस्से के रूप में, हितों के क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, द हिंदू से सुहासिनी ने पूछा है - "जम्मू और कश्मीर पर चीन के बयान के बाद, अमेरिकी कांग्रेस के द्विदलीय गृह विदेश समिति ने विदेश मंत्रालय को एक पत्र भेजकर जम्मू और कश्मीर में जारी प्रतिबंधों के मद्देनजर वहाँ की सामान्य स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की। अमेरिकी कांग्रेस समिति के लिए विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया क्या है? नवभारत टाइम्स से नरेंद्र नाथ ने पूछा है - "कश्मीर में धारा 370 को हटाने एक साल पूरा होने के मौके पर, क्या भारत ने मित्र देशों को वहाँ के हालात के बारे में कोई जानकारी दी?" (हिंदी में सवाल, सन्निकट अनुवाद)

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
देखिए, अध्यक्ष और रैंकिंग सदस्य के पत्र के बारे में, मुझे लगता है कि यह पत्र अमेरिका में भारत के लिए एक मजबूत द्विदलीय समर्थन को दर्शाता है। आपके द्वारा उल्लेख किए गए विशिष्ट मुद्दे के बारे में, पिछले एक वर्ष में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं, चाहे वह सुशासन सुनिश्चित करने के मामले में हो या सामाजिक-आर्थिक विकास करने में या जनसंख्या के वंचित वर्गों के माध्यम से न्याय को विकसित करने के संदर्भ में हो, अक्टूबर 2019 में ब्लॉक विकास परिषद् के लिए चुनाव हुए हैं, मार्च 2020 में पहली बार "खेलो इंडिया" शीतकालीन खेल आयोजित किए गए, स्कूलों को फिर से खोल दिया गया है, नई शैक्षिक सुविधाएँ स्थापित की जा रही हैं, बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान, नई स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हो रही हैं, बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है, लंबे समय से लंबित परियोजनाओं को पूरा किया गया है। तो, यह सब निश्चित रूप से सामान्य स्थिति की वापसी को दर्शाता है और हम इसमें लगे रहते है और इस सम्बन्ध में कांग्रेस सहित अपने वार्ताकारो को जानकारी देते रहते हैं और कांग्रेस समिति को जानकारी देने में हमें प्रसन्नता होगी। नरेन्द्र नाथ जी, जैसा कि मैंने बताया, हमारे राजदूत अन्य देशों में अपने वार्ताकारों से मिलते रहते हैं, उन्हें इस बारे में जानकारी देते रहते हैं । और खासकर इस जानकारी में केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर में पिछले एक साल में जो आर्थिक सामाजिक बदलाव हुआ है, जो विकास और प्रगति हुई है, इसके बारे में उनको बताया जाता है। और हमारी सरकार ने जो महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जो कि मैंने अभी बताया, शिक्षा के क्षेत्र में, स्वास्थ्य के क्षेत्र में, बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, और अन्य क्षेत्रों में, जिससे कि आम नागरिकों के जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में लगातार जानकारी दी जाती है, और हमारे राजदूत वार्ताकारों से मिलते रहते हैं और नियमित रूप से उनको जानकारी देते रहते हैं। (हिंदी में उत्तर दिया गया, सन्निकट अनुवाद)

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, द हिंदू से, सुहासिनी ने पूछा है - "चीन ने भारत सरकार से कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट समझौतों पर अपनी प्रतिबद्धता रखने का आह्वान किया है। क्या आप हमें बताएँगे कि क्या विदेश मंत्रालय ने दो भारतीय कन्फ्यूशियस संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है? क्या वे बंद कर दिए गए हैं? रक्षक न्यूज़ से रंजीत कुमार ने पूछा है -"क्या कन्फ्यूशियस संस्थानों का कामकाज भारत में, भारत सरकार की संवीक्षा के तहत चल रहा है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मैं यह स्पष्ट करना चाहूँगा कि विदेश मंत्रालय ने 2009 में विदेशी सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना और कामकाज के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। ये दिशानिर्देश, किसी भी सांस्कृतिक केंद्र पर भी लागू होते हैं जो कन्फ्यूशियस केंद्र सहित किसी भी स्वायत्त विदेशी संगठन द्वारा समर्थित / प्रायोजित हों । इन दिशानिर्देशों के तहत, ऐसे किसी भी समझौता ज्ञापन / समझौते के लिए विदेश मंत्रालय की मंजूरी की आवश्यकता होती है जो समझौते, ऐसे केंद्र, किसी भारतीय संगठन के साथ करना चाहें। स्वाभाविक रूप से, अगर किसी भी भारतीय संस्थान को कोई ऐसा समझौता करना है या उसने कोई ऐसा समझौता किया है जो इन दिशानिर्देशों के दायरे में आएगा, तो इसके लिए सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता होगी। और एक स्वाभाविक परिणाम के रूप में यदि इस तरह के केंद्रों की स्थापना करते समय अनुमोदन नहीं लिया गया था, तो यह दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं था।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): महोदय, सवालों का अगला सेट पीछे हटने की प्रक्रिया पर है। एनडीटीवी के विष्णु सोम ने पूछा है - "चीन ने उन स्थानों से पीछे हटने से इनकार कर दिया है जो वर्तमान में पैंगोंग झील के फिंगर क्षेत्र और डेपसांग क्षेत्र में उसके कब्जे में हैं?" टाइम्स नाउ से सृंजॉय ने पूछा है - " पैंगोंग और अन्य क्षेत्रों में फिंगर 5 से पीएलए सैनिक वापस नहीं जा रहे हैं, अगली कार्रवाई क्या होगी?" एनडीटीवी इंडिया से कादिम्बरी ने पूछा है – "क्या चीन ने पैंगोंग झील से पीछे हटने से इनकार कर दिया है? क्यों वह भारत को इस झील या फिंगर 4 से पीछे हटने को कह रहा है? अगर ऐसा है तो सैन्य स्तर और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का इन बिन्दुओं पर असर होता नहीं दिख रहा है, तो भारत की आगे की रणनीति क्या है? (हिंदी में प्रश्न, सन्निकट अनुवाद) न्यूज नेशन से मधुरेंद्र ने पूछा है - "लद्दाख में चीन ने अब पीछे हटने से मना कर दिया है, कमांडर स्तर बैठक बे-नतीज़ा रही, भारत की अगली रणनीति क्या रहेगी? (हिंदी में प्रश्न, सन्निकट अनुवाद) राज्यसभा से अखिलेश सुमन ने पूछा - "भारत और चीन सीमा पर क्या प्रगति है? विवाद को कम करने और पीछे हटने की प्रक्रिया कैसी चल रही है?" क्या यह एनएसए डोभाल और राज्य काउंसलर वांग यी के बीच सुलझ जाने वाला है। इसी तरह के सवाल विऑन के सिदांत, सीएनएन न्यूज़ 18 से माहा, ज़ी से ब्रह्म प्रकाश, एशियन एज से श्रीधर, नवभारत टाइम्स से नरेंद्र नाथ, पी टी आई भाषा से दीपक रंजन, यूएनआई से अनीश, इंडिया वर्सिस डिसइनफार्मेशन से शंकर, एपी से अशोक शर्मा लाइव मिंट से एलिजाबेथ द्वारा पूछे गए हैं।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
जैसा कि मैंने पहले बताया है कि भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों ने 5 जुलाई 2020 को टेलीफोन पर बातचीत की थी जहाँ उन्होंने भारत चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति पर चर्चा की थी। दो विशेष प्रतिनिधियों ने सहमति व्यक्त की थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों का शीघ्र और पूर्ण विघटन और द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकॉल के अनुसार भारत-चीन सीमा क्षेत्रों से विवाद समाप्त होना और द्विपक्षीय संबंधों के सहज समग्र विकास के लिए शान्ति और प्रशांति की पूर्ण बहाली आवश्यक थी। भारत इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष पूर्ण विघटन एवं विवाद-समाप्ति और सीमा क्षेत्रों में शान्ति और प्रशांति की पूर्ण बहाली के लिए हमारे साथ ईमानदारी से काम करेगा।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क): विऑन से सिदांत ने पूछा है - "तुर्की सरकार की ओर से एक बयान आया है जिसमें कहा गया है कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने का इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा में कोई योगदान नहीं है। इस पर आपकी क्या टिप्पणी है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: आदित्य, हमने वह बयान देखा है। यह तथ्यात्मक रूप से गलत, पक्षपातपूर्ण और अनुचित है और हम तुर्की की सरकार से जमीन पर स्थिति की उचित समझ हासिल करने और भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने से परहेज करने का आग्रह करेंगे ।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: यतिन क्या आगे और कोई प्रश्न हैं?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (जन संपर्क):
नहीं, महोदय।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
धन्यवाद। तो यहाँ साप्ताहिक वार्ता समाप्त होती है।

Write a Comment एक टिप्पणी लिखें
टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या