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यात्रा विवरण
Detail
म्यांमार के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान भारत-म्यांमार का संयुक्त वक्तव्य (26-29 फरवरी, 2020)
फरवरी 27, 2020
भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद और फर्स्ट लेडी श्रीमती सविता कोविंद के निमंत्रण पर, म्यांमार गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम यू विन माइंट और फर्स्ट लेडी डॉव चो, 26 से 29 फरवरी 2020 तक भारत के राजकीय दौरे पर आ रहे हैं। राष्ट्रपति यू विन माइंट और म्यांमार का प्रतिनिधिमंडल बोधगया और आगरा सहित कई ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक रुप से महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा भी करेगा। इस यात्रा ने दोनों पड़ोसियों के बीच विद्यमान मजबूत मैत्रीपूर्ण संबंधों के प्रतीक, उच्च स्तरीय बातचीत की परंपरा को और अधिक सुदृढ़ किया।
27 फरवरी 2020 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति यू विन माइंट और फर्स्ट लेडी डॉव चो चो का औपचारिक स्वागत किया गया। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आगंतुक गणमान्य जनों के सम्मान में राज्यकीय भोज का भी आयोजन किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दोपहर के भोजन पर यू विन माइंट भी मुलाकात की और उनकी मेजबानी की। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने भी राष्ट्रपति यू विन माइंट से मुलाकात की। यात्रा के दौरान दस समझौता ज्ञापनों (एमओयू) / समझौतों का आदान-प्रदान किया गया।
बातचीत के दौरान, नेताओं ने आम हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नियमित उच्च स्तरीय बातचीत ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा दिया है। उन्होंने म्यांमार की स्वतंत्र, सक्रिय और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति और भारत की 'एक्ट ईस्ट' और 'नेबरहुड फर्स्ट’ नीतियों के बीच समन्वय का स्वागत किया, और दोनों देशों तथा लोगों के पारस्परिक लाभ हेतु द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार के लिए सहयोग के नए रास्ते तलाशने के लिए साझेदारी को और सुदृढ़ करने हेतु अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच सीमा के पहले से ही सीमांकित हिस्से पर अपनी आपसी सहमति को दोहराया और मौजूदा द्विपक्षीय तंत्र, जैसे संयुक्त सीमा कार्य समूह की बैठक के माध्यम से लंबित मुद्दों को निपटाने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की।
दोनों पक्षों ने अपने संबंधों में कनेक्टिविटी की केंद्रीयता पर जोर दिया और म्यांमार में वर्तमान में चल रहे विभिन्न भारत-वित्त पोषित परियोजनाओं को पूरा करने हेतु म्यांमार के अपने समर्थन के लिए निरंतर समर्थन और सुविधा के साथ अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की।
तमू-मोरेह और रिहकवॉदर-झोखावथार में दो बॉर्डर बॉर्डर क्रॉसिंग पॉइंट्स को अंतरराष्ट्रीय सीमा द्वार के रूप में खोलने का स्वागत करते हुए, उन्होंने प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने तथा अवसंरचना के विकास में तेजी से यात्री और मालवाहक आवागमन को आसान बनाने की आवश्यकता पर ध्यान दिया। भारतीय पक्ष ने म्यांमार के तमू में पहले चरण के रूप में आधुनिक एकीकृत चेक पोस्ट के निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। दोनों पक्ष परियोजना के जल्द से जल्द शुरू होने हेतु एक साथ काम करने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों ने वाहनों की सीमा पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाने हेतु लंबित द्विपक्षीय मोटर वाहन समझौते पर चर्चा द्वारा जल्द निष्कर्ष निकालने की प्रतिबद्धता दोहराई। इस संदर्भ में, दोनों पक्षों ने 7 अप्रैल 2020 तक इम्फाल और मांडले के बीच एक समन्वित बस सेवा शुरू करने हेतु अपने संबंधित निजी ऑपरेटरों के बीच समझौता ज्ञापन का स्वागत किया।
दोनों देशों की सीमाओं पर दूरदराज के क्षेत्रों के लोगों की भलाई के महत्व पर जोर देते हुए, दोनों पक्षों ने एक पायलट प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने हेतु प्राथमिकता के साथ सीमा हाट की स्थापना शुरू करने पर सहमति व्यक्त की, जिसपर पहले दोनों पक्षों ने 2012 में हस्ताक्षरित एमओयू के अनुसार सहमति व्यक्त की थी। दोनों पक्ष ऑपरेशन के पारस्परिक रूप से सहमत माध्यम को अंतिम रूप देने के बाद सीमा हाट स्थापित करने हेतु तैयार हैं।
दोनों पक्षों ने भारतीय अनुदान परियोजनाओं के माध्यम से चीन राज्य एवं नागा स्व-प्रशासित क्षेत्र में अवसंरचना और सामाजिक-आर्थिक विकास प्रदान करने में म्यांमार-भारत सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रमों की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। इसके तहत पिछले तीन वर्षों में उपरोक्त क्षेत्रों में 43 स्कूल, 18 स्वास्थ्य केंद्र और 51 पुल और सड़कों का निर्माण किया गया है। दोनों पक्षों ने इस पर सहमति व्यक्ति कि की चौथे वर्ष की 5 मिलियन डॉलर की सहायता के तहत 29 अतिरिक्त परियोजनाएं, 2020-21 में लागू की जाएंगी।
दोनों नेताओं ने सित्वे पोर्ट और कलादान मल्टी मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट से संबंधित सकारात्मक विकास पर चर्चा की। उन्होंने 1 फरवरी 2020 से सित्वे पोर्ट और पालिताना इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट टर्मिनल और संबंधित सुविधाओं के संचालन तथा रखरखाव हेतु एक पोर्ट ऑपरेटर की नियुक्ति का स्वागत किया। चालू होने के बाद, यह पोर्ट क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान देगा और स्थानीय लोगों को लाभान्वित करेगा। दोनों पक्षों ने पलेत्वा-जोरिनपुई सड़क को जल्द पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की, जो कालादान परियोजना का अंतिम चरण है। पूरा हो जाने पर यह सड़क सित्तवे बंदरगाह को पूर्वोत्तर भारत से जोड़ेगी जिससे बंदरगाह के लिए और भी अधिक यातायात सृजित होगा। भारत ने पलेत्वा की ओर दक्षिण में जोरिनपुई से होकर मिजोरम सीमा पर कालादान मल्टी मोडल ट्रांजिट परिवहन परियोजना के सड़क वाले हिस्से के निर्माण के लिए परियोजना से जुड़े कर्मियों, निर्माण सामग्री और उपकरणों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में म्यांमार के सहयोग एवं प्रयासों की सराहना की।
दोनों राजनेताओं ने त्रिपक्षीय राजमार्ग के कलेवा-यारगई सड़क खंड के निर्माण कार्य में प्रगति को सकारात्मक रूप से रेखांकित किया जिस पर वर्ष 2021 तक काम पूरा होने की उम्मीद है। भारत ने त्रिपक्षीय राजमार्ग पर अवस्थित 69 पुलों के शीघ्र उन्नयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जिसे सुविधाजनक बनाने पर म्यांमार ने सहमति जताई है।
म्यांमार ने क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में भारत की सहायता की सराहना की। दोनों पक्षों ने संयुक्त रूप से प्रमुख परियोजनाएं जैसे कि म्यांमार सूचना एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एम.आई.आई.टी.) और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए उन्नत केंद्र (एकेयर) बनाने पर सहमति जताई, जो दीर्घकालिक आधार पर टिकाऊ हैं। दोनों राजनेताओं ने परियोजना के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के बाद यमेथिन में महिला पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के जल्द से जल्द उन्नयन की उम्मीद जताई। दोनों पक्षों ने भारत की अनुदान सहायता से पाकोक्कू और म्यिंगयान में स्थापित म्यांमार-भारत औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा म्यांमार के युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें कौशल प्रदान करने में निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने मोनीवा और थाटोन में दो नए केंद्रों के निर्माण के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। इस दिशा में कार्य बड़ी तेजी से प्रगति पर है।
भारत ने राखीन राज्य विकास कार्यक्रम के जरिए राखीन राज्य में शांति, स्थिरता और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने संबंधी म्यांमार के प्रयासों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। म्यांमार ने वर्ष 2019 में उत्तरी राखीन में विस्थापितों के लिए 250 पूर्व-निर्मित घरों और राहत सामग्री से संबंधित भारतीय व्यवस्था की सराहना की। दोनों पक्षों ने राखीन राज्य विकास कार्यक्रम के दूसरे चरण के तहत 12 परियोजनाओं वाले सेट के कार्यान्वयन में तेजी लाने और मेकांग-गंगा सहयोग व्यवस्था के तहत व्यापक प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं एवं त्वरित प्रभाव वाली परियोजनाओं की रूपरेखा के अंतर्गत अपने विकास सहयोग को और अधिक मजबूत करने पर सहमति जताई। इस संबंध में उन्होंने राजकीय यात्रा के दौरान ‘त्वरित प्रभाव वाली परियोजनाओं (क्यू.आई.पी.) के कार्यान्वयन के लिए भारतीय अनुदान सहायता संबंधी समझौते’ पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया।
भारत ने उत्तरी राखीन में विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए म्यांमार सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों को अपना समर्थन देने की फिर से पुष्टि की। भारत ने राखीन राज्य से विस्थापित लोगों के प्रत्यावर्तन के लिए म्यांमार और बांग्लादेश के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौतों के लिए भी अपना समर्थन व्यक्त किया और उन्होंने उम्मीद जताई कि म्यांमार एवं बांग्लादेश अपने द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार वर्तमान में बांग्लादेश के कॉक्स बाजार क्षेत्र में निवास कर रहे विस्थापित लोगों को म्यांमार में स्वैच्छिक, सतत और त्वरित प्रत्यावर्तन के लिए आपस में मिलकर काम करना जारी रखेंगे। म्यांमार पक्ष ने इस मुद्दे की जटिलता को समझने और म्यांमार को दिए गए अपने समस्त सहयोग के लिए भारत का धन्यवाद किया।
दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहभागिता को पूर्ण क्षमता तक बढ़ाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना, बाजार पहुंच बढ़ाना, वित्तीय लेन-देन को आसान बनाना, कारोबारियों के बीच जुड़ाव को सुविधाजनक बनाना और द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्यापार समझौतों का मार्ग प्रशस्त करना जैसे कदम दोनों पक्षों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान करेंगे।
दोनों पक्षों ने म्यांमार में भारत के ‘रुपे कार्ड’ को जल्द से जल्द लॉन्च करने के लिए आपस में मिलकर काम करने पर सहमति जताई। उन्होंने यह बात रेखांकित की कि नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एन.पी.सी.आई.) को म्यांमार के कानूनों एवं नियमों का पालन करने की आवश्यकता है और रुपे कार्ड की लॉन्चिंग से म्यांमार की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी और भारत से पर्यटन एवं बिजनेस में सुविधा होगी।
दोनों पक्ष एक ‘भारत-म्यांमार डिजिटल पेमेंट गेटवे’ बनाने की संभावनाओं का पता लगाने पर भी सहमत हुए जो दोनों देशों के बीच सीमा पार प्रेषण के विकल्पों का विस्तार करने में मदद करेगा। उन्होंने सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थानीय मुद्रा में निपटान के लिए एक द्विपक्षीय व्यवस्था की संभावनाएं तलाशने में भी रुचि दिखाई। इस संबंध में दोनों पक्षों ने भारत-म्यांमार संयुक्त व्यापार समिति की बैठकों की मौजूदा व्यवस्था को तेजी से संयोजित करने पर सहमति जताई।
दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में अधिक एकीकरण के पारस्परिक लाभ को स्वीकार किया। भारत और म्यांमार ने सरकारी स्तर पर सहमति पत्र के जरिए परिशोधन, स्टॉक संग्रहण, सम्मिश्रण एवं खुदरा क्षेत्र में सहयोग के लिए, अन्य बातों के अलावा, पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति जताई। दोनों पक्ष पेट्रोलियम उत्पादों के विकास के लिए भारत और म्यांमार की तेल एवं गैस कंपनियों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित और सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए जिसमें इस क्षेत्र में व्यापार और निवेश बढ़ाना भी शामिल है। दोनों पक्षों ने म्यांमार के अपस्ट्रीम क्षेत्र में भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के तेल और गैस उपक्रमों (पी.एस.यू.) द्वारा निवेश करने का स्वागत किया और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उन परियोजनाओं के कुल उत्पादन का एक हिस्सा भारत को निर्यात करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रयास किए जाएंगे जिनमें भारत के तेल और गैस पी.एस.यू. द्वारा निवेश किया गया है।
दोनों पक्षों ने यह दोहराया कि रक्षा और सुरक्षा सहयोग अब भी म्यांमार-भारत द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख स्तंभों में से एक है। उन्होंने रक्षा कर्मियों की यात्राओं के आदान-प्रदान में सकारात्मक तेजी की सराहना की। दोनों राजनेताओं ने यह स्वीकार किया कि जुलाई 2019 में हस्ताक्षरित रक्षा सहयोग संबंधी सहमति पत्र ने आपसी सहयोग बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया था। भारतीय पक्ष ने म्यांमार की रक्षा सेवाओं के क्षमता निर्माण में म्यांमार की सहायता करने और आपसी सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों पक्षों ने स्थानीय लोगों, दोनों देशों और क्षेत्र की समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यही नहीं, उन्होंने किसी भी नकारात्मक तत्व को दूसरे पक्ष के खिलाफ शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के लिए अपनी धरती का उपयोग करने की अनुमति नहीं देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग बढ़ाए जाने का स्वागत किया। उन्होंने समुद्री चुनौतियों से निपटने और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के महत्व को भी स्वीकार किया। दोनों राजनेताओं ने समुद्री सुरक्षा सहयोग (एम.एस.सी.) संबंधी एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने, सितंबर 2019 में संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक के आयोजन और व्हाइट शिपिंग डेटा के आदान-प्रदान की शुरुआत को इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदमों के रूप में स्वीकार किया।
सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर आपसी चिंताएं दूर करने के लिए एक व्यापक कानूनी रूपरेखा बनाने के महत्व पर जोर देते हुए दोनों पक्षों ने विभिन्न लंबित संधियों जैसे कि नागरिक एवं वाणिज्यिक मामलों पर पारस्परिक कानूनी सहायता संधि और प्रत्यर्पण संधि पर बातचीत जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने इन वार्ताओं को जल्द पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत ने म्यांमार में भारतीय नागरिकों के आगमन पर पर्यटक वीजा देने की सुविधा को दिसंबर 2020 तक बढ़ाने संबंधी म्यांमार के फैसले का स्वागत किया।
म्यांमार पक्ष ने कैंसर रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सा विकिरण उपकरण ‘भाभाट्रोन -2’ प्रदान करने संबंधी भारत की पेशकश की सराहना की। दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सहयोग को और अधिक बढ़ाने पर सहमति जताई।
भारत ने एक लोकतांत्रिक संघीय संघ की स्थापना के लिए राष्ट्रीय सुलह, शांति प्रक्रिया और लोकतांत्रिक बदलाव सुनिश्चित करने की दिशा में म्यांमार के प्रयासों को अपना समर्थन देने की पुष्टि की। भारत ने म्यांमार विश्वविद्यालयों के लिए अपने राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एन.के.एन.) के विस्तार की घोषणा की। भारतीय पक्ष ने म्यांमार राजनयिक अकादमी की स्थापना में म्यांमार का समर्थन करने के लिए अपनी तत्परता भी दोहराई। म्यांमार ने भारत की ‘आधार’ परियोजना के आधार पर ही म्यांमार की राष्ट्रीय आईडी परियोजना को तकनीकी सहायता प्रदान करने संबंधी भारत की पेशकश के लिए उसका धन्यवाद किया।
भारत ने एक लोकतांत्रिक संघीय संघ की स्थापना के लिए राष्ट्रीय सुलह और लोकतांत्रिक बदलाव की दिशा में म्यांमार के प्रयासों के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। भारत के प्रधानमंत्री ने म्यांमार की शांति प्रक्रिया के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया, जिसे राष्ट्रव्यापी युद्धविराम समझौते की रूपरेखा के तहत सरकार, सैन्य और जातीय सशस्त्र समूहों के बीच संवाद के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। दोनों राजनेताओं ने इस क्षेत्र में विकास के साझा राष्ट्रीय लक्ष्य को आगे बढ़ाने में स्थिरता और शांति के महत्व को रेखांकित किया।
आतंकवाद से उत्पन्न खतरे को स्वीकार करते हुए दोनों पक्षों ने आतंकवादी गुटों और उनके खतरनाक इरादों से निपटने में सहयोग करने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों एवं अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की और आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें सूचना और खुफिया जानकारियों को साझा करना भी शामिल है। दोनों पक्ष इस संबंध में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए।
इसके अलावा, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने घनिष्ठ सहयोग को जारी रखने पर सहमति जताई। दोनों पक्ष अन्य क्षेत्रीय व्यवस्थाओं जैसे कि आसियान, बिम्सटेक, मेकांग-गंगा सहयोग के अंतर्गत सहयोग करने पर भी सहमत हुए। म्यांमार ने विस्तारित और पुनर्गठित यूएनएससी में एक स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों का समर्थन किया। दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण सीमा को बनाए रखने और खुलेपन, समावेशिता, पारदर्शिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए सम्मान और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की केंद्रीयता के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की, जो प्रगति और समृद्धि की आम खोज में सभी को अपनाता है। दोनों पक्ष मौजूदा मैत्रीपूर्ण संबंधों और अच्छे पड़ोसी के आधार पर 200 समुद्री मील से आगे महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाहेतु द्विपक्षीय तकनीकी स्तर की वार्ता को जारी रखने पर तैयार हैं।
म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को आईएसए में शामिल करने और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के प्रयासों के तहत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आई.एस.ए.) के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन के जल्द अनुमोदन के लिए आवश्यक कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई। इसके अलावा, भारत और म्यांमार जैसे आपदाग्रस्त देशों के लिए आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के गठबंधन (सी.डी.आर.आई.) की प्रासंगिकता को भारत ने दोहराया और म्यांमार को सीडीआरआई में शामिल होने पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
भारत ने बागान को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने बागान में भूकंप से क्षतिग्रस्त 92 पगोडा को बहाल एवं संरक्षित करने की परियोजना के पहले चरण के तहत 12 पगोडा को बहाल और संरक्षित करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए.एस.आई.) के विशिष्ट कार्य के पहले चरण की शुरुआत का स्वागत किया। म्यांमार ने इस संरक्षण कार्य के लिए एएसआई टीम को सभी आवश्यक सहयोग देने पर सहमति व्यक्त की।
दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराया और सभी स्तरों पर सहभागिता बढ़ाने पर सहमति जताई।
राष्ट्रपति यू विन माइंट और फर्स्ट लेडी डॉव चो चो ने भारत में अपने प्रवास के दौरान म्यांमार के प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे और अभूतपूर्व आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और फर्स्ट लेडी श्रीमती सविता कोविंद का धन्यवाद किया।
नई दिल्ली
27 फरवरी, 2020
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