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आसियान-भारत वार्ता संबंधों की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक पर सह-अध्यक्षों का वक्तव्य

जून 16, 2022

वर्ष 2022 में आसियान-भारत वार्ता संबंधों के शुरुआत की 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक 16 जून 2022 को नई दिल्ली, भारत में आयोजित की गई, जिसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष नामित किया गया है। महामहिम डॉ. विवियन बालकृष्णन, विदेश मामलों के मंत्री, सिंगापुर और महामहिम डॉ. एस. जयशंकर, भारतीय गणराज्य के विदेश मंत्री ने इस बैठक की सह-अध्यक्षता की।

दक्षिण-पूर्व एशिया एवं भारत के बीच सदियों पुराने सभ्यतागत तथा सांस्कृतिक संबंधों पर चर्चा करते हुए, बैठक में विगत तीन दशकों में आसियान-भारत वार्ता संबंधों के तहत हासिल की गई उपलब्धियों को स्मरण किया गया तथा इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता व समृद्धि को बढ़ावा देने हेतु इस व्यापक साझेदारी को और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता को पुनः दोहराया गया।

विकसित होती क्षेत्रीय संरचना में आसियान की केंद्रीय भूमिका, तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, दक्षिण पूर्व एशिया में मित्रता एवं सहयोग की संधि (टीएसी) में निहित प्रमुख सिद्धांतों, साझा मूल्यों तथा मानदंडों को बनाए रखने में भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए बैठक में आसियान आउटलुक ऑन इंडो पैसिफिक (एओआईपी) के तहत शुरु की गई परियोजनाओं तथा पहलों, आसियान समुदाय विजन 2025, आसियान कनेक्टिविटी पर मास्टर प्लान (एमपीएसी) 2025, तथा आसियान एकीकरण पहल (आईएआई) कार्य योजना के ज़रिए आसियान देशों की निर्माण प्रक्रिया में भारत के समर्थन का स्वागत किया गया।

बैठक में कोविड-19 महामारी से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में साथ मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए, बैठक में आसियान के सदस्य देशों और भारत द्वारा एक-दूसरे को दी गई सहायता की सराहना की गई।

आसियान-भारत वार्ता संबंधों की 30वीं वर्षगांठ मनाने हेतु आयोजित और नियोजित की गई विभिन्न गतिविधियों की सराहना करते हुए, बैठक में 30वीं वर्षगांठ के प्रतीक चिन्ह के अनावरण, अक्षय ऊर्जा पर आसियान-भारत उच्च स्तरीय सम्मेलन, आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक (एआईएनटीटी) के 7वें संस्करण एवं आसियान-भारत मीडिया एक्सचेंज पर चर्चा की गई।

विगत 30 वर्षों की साझेदारी की समीक्षा करते हुए, बैठक में निम्नलिखित विषयों पर सहमति बनी:

आसियान की अगुवाई वाले मौजूदा तंत्र का उपयोग करके राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक एवं विकास सहयोग के क्षेत्र में पारस्परिक लाभ हेतु आसियान-भारत सामरिक साझेदारी को और सुदृढ़ एवं गहरा करना।

संयुक्त राष्ट्र चार्टर, 1982 संयुक्त राष्ट्र की समुद्री क़ानून समझौता (यूएनसीएलओएस) तथा संयुक्त राष्ट्र की अन्य प्रासंगिक संधियों एवं समझौतों सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों पर टिके बहुपक्षवाद, और एक खुला तथा समावेशी क्षेत्रीय सहयोग ढांचा बनाए रखने, विकसित हो रही नियम-आधारित क्षेत्रीय संरचना में आसियान की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करने, क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटने में बहुपक्षवाद को बनाए रखने की पुनः पुष्टि करना।

शांति, प्रगति एवं साझा समृद्धि (2021-2025) हेतु आसियान-भारत भागीदारी का इस्तेमाल करने के लिए कार्य योजना का प्रभावी कार्यान्वयन जारी रखना।

क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि हेतु अक्टूबर 2021 में 18वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में अपनाए गए एओआईपी पर सहयोग पर आसियान-भारत संयुक्त वक्तव्य में निहित निर्णयों को लागू करना तथा समुद्री सुरक्षा, समुद्री संपर्क, ब्लू इकोनॉमी, आपदा जोखिम प्रबंधन, तलाश एवं बचाव (एसएआर) सहयोग, समुद्री पर्यावरण संरक्षण एवं समुद्री सुरक्षा समेत समुद्री सहयोग जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा शुरू किए गए एओआईपी एवं इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) के बीच सहयोग के संभावित अवसर का पता लगाना।

आसियान समुदाय एवं क्षेत्रीय एकीकरण को सुदृढ़ करने के लिए, गरीबी को कम करने व सतत विकास को बढ़ावा देने हेतु अन्य पहलों के अतिरिक्त आईएआई कार्य योजना IV (2021-2025) के कार्यान्वयन के ज़रिए विकास के अंतर को कम करने में सहयोग को बढ़ाना।

यह सुनिश्चित करने हेतु कि यह व्यवसायों के लिए उपयोगकर्ता अनुकूल, सरल एवं सुविधाजनक है, एआईटीआईजीए की समीक्षा के दायरे संबंधी पेपर के समर्थन की प्रक्रिया को तेज करके आसियान-भारत माल व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा की शीघ्र शुरुआत द्वारा आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (एआईएफटीए) के उन्नत उपयोग एवं प्रभावी कार्यान्वयन के ज़रिए आसियान-भारत व्यापार एवं आर्थिक साझेदारी का पूर्ण क्षमता में इस्तेमाल करना, ताकि एआईटीआईजीए समीक्षा के कार्यान्वयन की निगरानी हेतु एआईएफटीए संयुक्त समिति को सक्रिय किया जा सके।

भौतिक एवं डिजिटल दोनों सहित क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना, और "कनेक्टिंग द कनेक्टिविटी" दृष्टिकोण के अनुरूप एमपीएसी 2025 तथा भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत की कनेक्टिविटी पहलों के बीच तालमेल का पता लगाना। बैठक के दौरान, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के कार्य को जल्द पूरा तथा संचालन शुरु करने और इसके पूर्व की तरफ लाओ पीडीआर, कंबोडिया और वियतनाम तक विस्तार के साथ ही तकनीकी प्रगति के ज़रिए समुदाय को अधिक लचीला, नवोन्मेषी एवं अच्छी तरह से जुड़ा हुआ बनाने में आसियान स्मार्ट सिटी नेटवर्क का समर्थन और सहयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। बैठक में अधिक मजबूत वायु एवं समुद्री कनेक्टिविटी की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।

स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त आदि जैसे क्षेत्रों में बेहतर पहुंच हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म के महत्व को देखते हुए ओपन, सुरक्षित, इंटरऑपरेबल तथा उपयोगकर्ता-सशक्त डिजिटल कनेक्टिविटी इकोसिस्टम विकसित करना। इस संबंध में, बैठक में 2019 से आयोजित आसियान के साथ साइबर मुद्दों पर भारत के ट्रैक 1.5 संवाद के अलावा प्रस्तावित जी-2-जी आसियान-भारत साइबर वार्ता के ज़रिए साइबर और संबंधित मुद्दों पर आसियान-भारत सहयोग को मजबूत करने पर भी सहमत बनी।

एडीएमएम-प्लस के ज़रिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और नवंबर 2022 में होने वाली आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक तथा आसियान-भारत समुद्री अभ्यास का स्वागत किया गया। बैठक के दौरान, वर्ष 2023 में इंडोनेशिया में एचएडीआर पर एडीएमएम-प्लस विशेषज्ञों के कार्य समूह के फील्ड ट्रेनिंग अभ्यास को लेकर भी तत्परता दिखाई गई। बैठक में अंतरराष्ट्रीय अपराध पर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (एसओएमटीसी) + अंतरराष्ट्रीय अपराध पर भारत कार्रवाई कार्यक्रम को जल्दी अंतिम रूप देकर आतंकवाद, कट्टरता एवं हिंसक उग्रवाद के उदय को रोकने तथा उसका मुकाबला करने में आसियान-भारत सहयोग का भी स्वागत किया गया।

प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन तथा अपतटीय पवन ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, स्मार्ट ग्रिड विकसित करने आदि सहित नवीकरणीय, स्वच्छ एवं निम्न कार्बन ऊर्जा के अधिक उपयोग हेतु सहयोग को सुदृढ़ करके जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हानि की अन्योन्याश्रित चुनौतियों का समाधान करना तथा सतत विकास की दिशा में काम करना।

आसियान सामुदायिक विजन 2025 एवं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास 2030 एजेंडा के बीच संपूरकता को बढ़ावा देना, जिसमें आसियान चार्टर के तहत प्रासंगिक आसियान केंद्रों, संस्थानों एवं तंत्र के साथ सहयोग शामिल है जो इस क्षेत्र में सतत विकास में सहयोग प्रदान करते हैं।

स्वास्थ्य देखभाल, कृषि अनुसंधान, फिनटेक, और विज्ञान, तकनीकी व नवोन्मेष (एसटीआई) के क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ करना। इस संबंध में, बैठक में अंतरिक्ष कार्यक्रम पर आसियान-भारत सहयोग का स्वागत किया गया और वर्तमान में जारी परियोजनाओं को जल्द पूरा करने पर सहमति व्यक्त की गई। बैठक में वैक्सीन के उत्पादन व वितरण, जेनेरिक दवाओं में अनुसंधान एवं नवोन्मेष, पारंपरिक दवाओं पर सहयोग, जन स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने; तथा महामारी एवं जन स्वास्थ्य की आपात स्थितियों के लिए तैयारियों और प्रतिक्रिया हेतु क्षमता बढ़ाने में सहयोग करने पर भी सहमति बनी और कैंसर देखभाल में प्रस्तावित आसियान-भारत सहयोग का स्वागत किया गया।

आसियान अंतर-संसदीय सभा (एआईपीए) और भारतीय संसदीय आदान-प्रदान के ज़रिए अंतर-संसदीय वार्ता को लेकन समझ विकसित करना और उसे सुदृढ़ करना।

शिक्षा, पर्यटन, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा व प्रशिक्षण (टीवीईटी), महिला सशक्तिकरण और युवाओं के आदान-प्रदान सहित सामाजिक-सांस्कृतिक क्षेत्रों में लोगों-से-लोगों के बीच संपर्क बढ़ाना जारी रखना। बैठक के दौरान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और कंबोडिया, लाओस, म्यांमार एवं वियतनाम में स्थित आईटी प्रशिक्षण केंद्रों में आसियान छात्रों के लिए 1,000 पीएचडी फैलोशिप के भारत के समर्थन का स्वागत किया गया, जिसमें 'द आसियान' सामुदायिक पत्रिका और 'आसियान सांस्कृतिक विरासत सूची' पहल शामिल हैं।

विशेष रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था, तकनीकी सहयोग तंत्र एवं व्यापार अनुकूलन गतिविधियों में क्षमता निर्माण के ज़रिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के विकास को बढ़ावा देना और उन्हें डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए तैयार करना, क्योंकि एमएसएमई आसियान और भारत की अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ हैं।

मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) और अय्यावादी चाओ फ्राया-मेकांग आर्थिक सहयोग रणनीति (एसीएमईसीएस) सहित हिन्द महासागर तटीय सहयोग संघ (आईओआरए), बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक), इंडोनेशिया-मलेशिया-थाईलैंड ग्रोथ ट्राएंगल (आईएमटी-जीटी), ब्रुनेई दारुस्सलाम-इंडोनेशिया-मलेशिया-फिलीपींस पूर्वी आसियान विकास क्षेत्र (बीआईएमपी-ईएजीए) जैसे उप-क्षेत्रीय ढांचे के साथ संभावित जुड़ाव के रास्ते तलाशना, और आसियान तथा भारत के व्यापक, पारस्परिक विकास एवं संवृद्धि के साथ उप-क्षेत्रीय विकास को संरेखित करके न्यायोचित विकास को बढ़ावा देने में आसियान और भारत के प्रयासों का समर्थन करना।

आसियान और भारत के बीच ऐसी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के सृजन की दिशा में काम करना जो आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी को और बढ़ाकर सार्थक, वास्तविक एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी हो।

नई दिल्ली
जून 16, 2022

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