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तीसरे समिट फॉर डेमोक्रेसी के नेतागणों के पूर्ण सत्र में प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी की टिप्पणियाँ

मार्च 20, 2024

गणमान्य महानुभावों, नमस्कार

मैं इस पहल को जारी रखने के लिए राष्ट्रपति यूं सुक येओल को धन्यवाद देता हूँ। समिट फॉर डेमोक्रेसी एक ऐसे महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है जहाँ लोकतांत्रिक देश अपने अनुभव साझा करते हैं और एक-दूसरे से सीखते हैं।

प्रिय महानुभावों, अब से कुछ ही सप्ताहों में, विश्‍व भारत में लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव का साक्षी बनेगा, जिसमें लगभग एक अरब मतदाताओं द्वारा मतदान करने की आशा है। यह मानव इतिहास में सबसे बड़ा चुनावी कार्यक्रम होगा. भारत की जनता एक बार फिर लोकतंत्र में अपना विश्वास प्रकट करेगी। भारत में लोकतंत्र की प्राचीन एवं अखण्ड संस्कृति है। यह भारतीय सभ्यता की जीवनधारा रही है। सर्वसम्मति बनाना, खुला संवाद और स्वतंत्र चर्चा पूरे भारत के इतिहास में प्रतिबिंबित होती रही है। इसीलिए मेरे साथी नागरिक, भारत को लोकतंत्र की जननी मानते हैं।

प्रिय महानुभावों, पिछले दशक में - सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास - के मंत्र के साथ भारत ने प्रगति की है। यह समावेशी विकास के लिए सामूहिक प्रयास है। समावेशिता की सच्ची प्रेरणा में समाज के सभी वर्गों, विशेषकर गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों तक पहुँचना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हम एक कार्यप्रदर्शन-आधारित शासन में परिवर्तित हो गए हैं जहाँ कमियों, भ्रष्टाचार और भेदभाव का स्थान पारदर्शिता, जवाबदेही और नई संभावनाओं ने लिया है।

इन प्रयासों में, प्रौद्योगिकी ने एक कार्यकुशल सहयोगी के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भारत की तीव्र प्रगति ने सार्वजनिक सेवा वितरण में क्रांति ला दी है और वित्तीय समावेशन बढ़ाया है। युवाओं और प्रौद्योगिकी की शक्ति के बूते, भारत तेजी से विश्‍व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के रूप में विकसित हुआ है। जमीनी स्तर पर हमारी 14 लाख निर्वाचित हमारी महिला प्रतिनिधिगण, महिलाओं के नेतृत्व में विकास के लिए बदलावों की वाहक हैं।

प्रिय महानुभावों, आज, भारत न केवल अपने 1.4 अरब व्यक्तियों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है, बल्कि यह विश्‍व को यह आशा भी प्रदान कर रहा है कि लोकतंत्र ही आगे बढ़ाता है और लोकतंत्र ही सशक्त बनाता है। जब भारतीय संसद ने महिला विधायकों का न्यूनतम एक-तिहाई प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए एक कानून पारित किया, तो इसने लोकतांत्रिक विश्‍व में महिलाओं की आशाओं को पंख प्रदान किए। जब भारत ने पिछले 10 वर्षों में 250 मिलियन नागरिकों को गरीबी के दायरे से बाहर निकाला, तो इसने सकारात्मक बदलाव के वाहक के रूप में वैश्विक विश्वास और लोकतंत्र को सशक्त बनाया। जब भारत ने 150 से अधिक देशों को कोविड की दवाएं और टीके पहुंचाए, तो यह लोकतंत्र की उपचारक शक्ति को दर्शाता है। जब भारत ने चंद्रमा पर चंद्रयान को सफलतापूर्वक उतारा तो यह भारत के लिए सिर्फ गौरव का क्षण नहीं था, यह लोकतंत्र की जीत भी थी। जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की आवाज उठाई, तो इसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में परामर्श आधारित निर्णय लेने के महत्व को रेखांकित किया।

अब, विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर आगे बढ़ता भारत, पूरे विश्‍व के लाखों-करोड़ों नागरिकों को उज्जवल भविष्य हेतु आकांक्षाएं प्रदान करता है। 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प के साथ भारत दर्शाता है कि लोकतंत्र आकांक्षाएं कर सकता है, प्रेरित कर सकता है और उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है।

प्रिय महानुभावों, उथल-पुथल और परिवर्तन से भरे दौर में, लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियाँ हैं। इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों और संस्थानों को अधिक समावेशी, लोकतांत्रिक, सहभागी और निष्पक्ष बनाने के प्रयासों में लोकतांत्रिक देशों को नेतृत्व करना चाहिए। ऐसे साझा प्रयासों से ही हम अपने नागरिकों की आकांक्षाएं पूरी कर सकेंगे। और इसके अलावा हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध भविष्य का आधार भी निर्मित कर पाएंगे। भारत इस प्रयास में सभी साथी लोकतंत्रों के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है।

धन्यवाद।

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