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टोक्यो में संयुक्त प्रेस वक्तव्य में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की टिप्पणियां

मार्च 07, 2024

मुझे हमारी रणनीतिक वार्ता के 16वें दौर के लिए टोक्यो में फिर आकर प्रसन्नता हुई और मैं आज शाम इतनी उदारतापूर्वक हमारी मेजबानी करने के लिए विदेश मंत्री कामिकावा को धन्यवाद देता हूँ।

हमारी बातचीत के पहले भाग में, जो अभी-अभी संपन्न हुआ, हम दोनों ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम को शामिल करते हुए व्यापक और प्रगतिशील विचार-विमर्श किया। मैं हमारी बातचीत के शेष भाग में प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए भी उत्सुक हूँ।

पिछली बार जुलाई में नई दिल्ली में हुई वार्ता के बाद, आज हमारी बैठक में हमें विभिन्न जारी प्रयासों का अवलोकन करने का अवसर मिला। हम नए कदमों की आवश्यकता पर सहमत हुए, जिनमें से कई पर मेरी सहयोगी, मंत्रीजी ने बात की, ताकि इस संबंध को विकासशील भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक और भू-तकनीकी रुझानों और और दोनों देशों के नागरिकों के बीच आपसी समझ गहरी बनाने के लिए बढ़ती मांगों के लिए तैयार और उत्तरदायी बनाया जा सके। हमारी बातचीत ने हमारी टीमों को भारत-जापान विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के दृष्टिकोण और इस साझेदारी से हमारे नेतागणों की अपेक्षाओं को साकार करने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया।

हमने अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों में अच्छी प्रगति की है, जिसका हम दोनों ने स्वागत किया। आज यहां टोक्यो में हमारी मुलाकात के समय, भारतीय सेना भारत के राजस्थान राज्य में जापानी आत्मरक्षा बल के साथ संयुक्त अभ्यास कर रही है। हमारी सेना की तीन शाखाएं और तटरक्षक बल नई संचालित पारस्परिक साझेदारी व्यवस्था के माध्यम से अधिक सरलता से अपने जापानी समकक्षों के साथ उत्पादक रूप से जुड़ी हुई हैं। संयुक्त सहयोग के क्षेत्रों और साइबर तथा अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं के बारे में आदान-प्रदान हुआ है। हमने अपने रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी सहयोग ढांचे में प्रगति का भी अवलोकन किया।

आर्थिक सहयोग के मामले में, हम भारत में जापानी निवेश में भारी विकास की विपुल संभावनाएं देख रहे हैं, खासकर एसएमई से, क्योंकि हम विकास के एक दशक में प्रवेश कर रहे हैं। जैसा कि मंत्रीजी ने कहा कि हम फिर से समग्र निवेश के संदर्भ में 5 ट्रिलियन येन के अपने साझा लक्ष्य को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत सरकार हमारे अवसंरचना के परिवेश में निरंतर सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। मैंने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे जैसी प्रमुख परियोजनाओं को समय पर पूरा किए जाने के महत्व को रेखांकित किया, जो भारत की पहली शिंकानसेन परियोजना है।

हम पूर्वोत्तर भारत में विकास हेतु जापान की भूमिका का स्वागत करते हैं, जो उस क्षेत्र की संपर्क-सुविधा और औद्योगिक परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण साबित होगी। इससे न केवल हमारे दोनों देशों को बल्कि आगे और पीछे के संपर्कों के नेटवर्क के माध्यम से पड़ोस के अन्य देशों को भी लाभ प्राप्त होगा। हम तीसरे देशों में हमारी एजेंसियों द्वारा समन्वित विकास साझेदारी वाले प्रयासों के बारे में खोजबीन करने के लिए भी सहमत हुए।

हम व्यापार और प्रौद्योगिकी के बारे में रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाकर पारस्परिक आर्थिक सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला की लोचशीलता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर भी सहमत हुए। इस संदर्भ में, हमने अपनी पूरक शक्तियों का लाभ उठाकर सेमीकंडक्टर परिवेश, पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों और डिजिटल भुगतान संबंधी संभावनाओं पर चर्चा की।

हमने शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति के माध्यम से व्यक्तियों के बीच सहभागिता बढ़ाने के उपायों पर बात की। हमने "कनेक्टिंग दि हिमालय विद माउंट फ़ूजी" की थीम के साथ भारत-जापान पर्यटन आदान-प्रदान वर्ष को एक और वर्ष 2024 तक विस्तारित किया है, और वर्ष के अंत में एक-दूसरे के देशों में एक इंडिया मंथ और एक जापान मंथ आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की है। भारतीय पर्यटकों और अन्य नागरिकों के लिए जापान के भ्रमण हेतु अधिक सुविधाजनक वीज़ा व्यवस्था की आवश्यकता के बारे में भी मैंने मंत्रीजी से बात की। हमने जापान में भारतीय प्रतिभाओं और भारतीय कौशल के लिए गतिशीलता के अधिक अवसर प्रदान करने संबंधी हमारे साझा हितों पर भी चर्चा की। मौजूदा व्यवस्थाओं के दायरे का विस्तार करना, और पूरे देश में जापानी भाषा शिक्षण और परीक्षण को बढ़ावा देने में मदद करना स्वाभाविक रूप से एक पहला कदम होगा।

मूल्यों, इतिहास और हितों को साझा करने वाले दो प्रमुख हिंद-प्रशांत राष्ट्रों के रूप में, भारत और जापान के, हमारे क्षेत्र की शांति, सुरक्षा, समृद्धि में स्थायी हित हैं और वे हमारे समय की जरूरतों के अनुरूप एक जिम्मेदार भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। वैश्विक दक्षिण की विकास संबंधी आकांक्षाओं से लेकर वैश्विक अभिशासन के संस्थानों और तंत्रों में सुधार किए जाने तक, या अंतरराष्ट्रीय अपराधों की चुनौती का समाधान करने से लेकर आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधानों से बचाव तक, भारत और जापान के बीच सहयोग की विपुल संभावनाएं हैं। हमारी चर्चा के उत्तरार्ध में मैं विदेश मंत्री कामिकावा के साथ इन मामलों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक हूँ।

मैं एक बार फिर उन्हें वार्ता के इस दौर, जो सर्वाधिक उपयोगी रहा है, के लिए उनके शिष्टाचार, सत्कार और नेतृत्व के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं अगली 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए भारत में उनका स्वागत करने के लिए उत्सुक हूँ।

एक बार फिर से आपका धन्यवाद।

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