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द्वितीय सीआईआई-इंडिया यूरोप बिजनेस एंड सस्टेनेबिलिटी कॉन्क्लेव में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का संबोधन (20 फरवरी, 2024)

फरवरी 21, 2024

हेलेनिक गणराज्य, एस्टोनिया और लातविया के मेरे सहयोगीगण,

गणमान्य महानुभावो,

देवियो और सज्जनों,

मैं कहना चाहूँगा कि आज इस सम्मेलन में आपके साथ जुड़कर मुझे अत्यन्त हार्दिक प्रसन्नता है। मैं कल ही म्यूनिख से लौटा हूँ, म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेन्स से, इसलिए मेरे विचार में मैं यूरोप को वहां के मेरे सहयोगियों के समान अनुभव कर पा रहा हूँ, और आज मंच पर तीन विदेश मंत्रियों और कई अन्य लोगों की उपस्थिति जो रायसीना डायलॉग पर हमारी चर्चा में सहभागी बने हैं, तो उनकी भागीदारी, निश्चित रूप से यूरोप के साथ भारत के गहरे होते संबंधों का एक जीवंत प्रमाण है। लेकिन कभी-कभी आंकड़ों से चीज़ों को समझने में सुविधा होती है, और इस संदर्भ में मैं कह सकता हूँ कि यूरोप आज वास्तव में एक प्राथमिकता है। और इस परिप्रेक्ष्य में मैं आपको यह स्मरण कराना चाहूँगा कि भारत के प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल के दौरान 27 बार यूरोप गए हैं, और उन्होंने 37 यूरोपीय शासनाध्यक्षों और राज्यों का स्वागत किया है, और यह कि एक मंत्री के रूप में अपने अपेक्षाकृत छोटे कार्यकाल में मैंने 29 बार यूरोप का दौरा किया है। इस अवधि के दौरान मैंने अपने 36 सहयोगियों का स्वागत किया। इसलिए मैं आज वास्तव में इस बात पर जोर देने के लिए इन आंकड़ों को रेखांकित कर रहा हूँ कि हमारा संबंध बहुत गहन, बहुत स्थायी और बहुत सतत रहा है। लेकिन यह सिर्फ एक महाद्वीप या एक संघ के साथ संबंध की बात नहीं है। हमने यूरोपीय देशों को अपेक्षाकृत छोटे समूहों में भी शामिल करने का प्रयास किया है, और बाल्टिक के मेरे सहयोगियों की उपस्थिति इसका अनुस्मारक है कि हम आगामी दिनों में नॉर्डिक-बाल्टिक बैठक आयोजित करने वाले हैं। और मुझे आशा है, जैसा कि मैंने ग्रीस के अपने सहयोगी के साथ चर्चा की थी, संभवत: शीघ्र ही किसी दिन हम भूमध्यसागरीय देशों के साथ भी ऐसी ही बैठक आयोजित करेंगे।

अब यदि मैं, आज यहां भारतीय और यूरोपीय प्रतिनिधियों और हमारे अन्य शुभचिंतकों के बीच यह विचार करूं कि विश्व अर्थव्यवस्था को वास्तव में क्या प्रेरित करता है, तो मैं कहना चाहूँगा कि वास्तव में यही कारण है कि हम आज यहां एकत्र हुए हैं। और आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि इसके छह व्यापक तत्व हैं। इनमें से एक है उत्पादन और खपत। दूसरा है संपर्क सुविधाएं और लॉजिस्टिक्स। तीसरा है टेक्नोलॉजी। चौथा, जिसका महत्व अब तेजी से बढ़ता जा रहा है, वह जनसांख्यिकी से संबंधित है। पांचवां तत्व मूल्यों और सुख-सुविधाओं का है, क्योंकि जो देश और समाज एक-दूसरे के साथ अधिक निकटता से जुड़ते हैं, तो स्‍पष्‍ट रूप से, उनके लिए व्यापारिक सहभागिता करना भी अधिक आसान बन जाता है। और अंत में, जिस सीमा तक हम आर्किटेक्चर, एक रूपरेखा बनाते हैं, उससे हमारे लिए व्यापार करना और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना बहुत आसान होता है। इसलिए आज, मैं आपके सामने जो विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ उनमें से कुछ व्यवसायिक, कुछ स्थिरता, कुछ साझेदारी बनाने के दृष्टिकोण पर आधारित हैं। और मैं उत्पादन और उपभोग को सबसे पहले रेखांकित करना चाहूँगा। मेरे विचार में, पूर्ववर्ती वक्ताओं ने हमें यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता संपन्न करने के महत्व के बारे में स्मरण कराया था, साथ ही ईएफटीए के साथ भी, न केवल यूरोपीय संघ के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता, बल्कि भौगोलिक संकेतकों और निवेश संरक्षण से संबंधित एक समझौता भी। और ये समझौते, और ये वार्ताएं 2013 से आठ साल के अंतराल के बाद 2021 में फिर से शुरू हुईं।

अब यह महत्वपूर्ण क्यों है? यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आप देख सकते हैं कि हमारा व्यापार स्तर लगातार बढ़ रहा है। लेकिन यह सुस्थापित तथ्य है कि इसमें तेजी लाने के लिए हमें दरअसल अधिक सकारात्मक ढांचे की आवश्यकता है। पिछले साल, 2022 में, माल के संदर्भ में हमारा व्यापार लगभग 120 बिलियन यूरो का था, और सेवाओं का हमारा व्यापार वास्तव में लगभग 30 प्रतिशत की दर से बहुत मजबूती से बढ़ रहा है। लेकिन हमारी अर्थव्यवस्थाओं के बीच अधिक सहज आपसी संपर्क की आवश्यकता का एक कारण यह है कि भावी भारत के लिए तैयारी करना यूरोपीय संघ हेतु महत्वपूर्ण है। और भावी भारत कौन सा है? आज भारत की जीडीपी लगभग 3.7 के आसपास है, 3.73 अर्थात 3.75 ट्रिलियन डॉलर। दशक के अंत तक हमारी जीडीपी 7.3 होगी। जब हम अपनी आज़ादी के 100वें वर्ष में पहुँचेंगे तब तक यह अनुमानित आंकड़ा 30 ट्रिलियन का होगा। और गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, 2075 तक हम 52.5 ट्रिलियन के स्तर पर होंगे। तो इन आंकड़ों से प्रदर्शित होता है कि भारत तेजी से एक महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है, जो 2075 तक दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा, लेकिन निश्चित रूप से राष्ट्रीय संदर्भ में इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा। और यही वह बात है जो यूरोपीय संघ को ध्यान में रखनी होगी।

अब अर्थव्यवस्था का आकार एक है। इसे आप वृद्धि के संदर्भ में भी देख सकते हैं। यदि आप पिछले दशक में भारत के व्यापार को लगभग 570 बिलियन डॉलर से नीचे देखें तो यह 2022 में लगभग दोगुना बढ़कर 1.18 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। इसके अलावा, व्यापार में वृद्धि की गति बढ़ने की ही संभावना है। आगामी वर्षों में इसमें निश्चित रूप से वृद्धि ही होगी। अब मैंने उन दोनों का उल्लेख किया है, लेकिन एक बड़ा परिवर्तन है जो भारत में हो रहा है, बड़ा परिवर्तन, और यह व्यापार करने में सरलता लाने में, जीवनयापन को सरल बनाने में, अवसंरचना में परिवर्तन में जो हमारी गति शक्ति पहल से देखा जा सकता है, डिजिटल परिवर्तनों में, जो हमारे डिजिटल डिलीवरी कार्यक्रमों से चालित हैं, और इसके अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में प्रतिभाओं के व्यापक समूह के रूप में, जिसकी गुणवत्ता और आकार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।

ये विचार उत्पादन और उपभोग के संबंध में थे, कि आज यूरोपीय संघ के लिए भारत पर और भारत के लिए यूरोपीय संघ पर अधिक ध्यान केंद्रित करना क्यों आवश्यक है। मैं संपर्क सुविधाओं बारे में भी कुछ विचार रखना चाहूँगा, जिस बारे में ग्रीस के मेरे सहयोगी ने बात की थी। उन्होंने आईएमईसी कॉरिडोर, भारत मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर के बारे में तथ्य रखे, और जब यह समझौता, यह समझौता और सैद्धांतिक सहमति पिछले सितंबर में जी20 के मौके पर बनी थी, तो शायद हम लोग मौजूदा संपर्क सुविधाओं की नाजुक स्थितियों के बारे में पर्याप्त रूप से जागरूक नहीं थे। अदन की खाड़ी में लाल सागर में हाल के घटनाक्रम ने हमें इसकी याद दिला दी है। और यह सिर्फ हाल की घटनाएं नहीं हैं, अगर हम पीछे जाएं तो हमने देखा कि क्या हुआ था जब स्वेज नहर किसी दुर्घटना के कारण कुछ समय के लिए अवरुद्ध हो गई थी। इसलिए अब संपर्क सुविधाओं वाले कई कॉरिडोर बनाने की जरूरत है, संपर्क सुविधाओं के सहायक कॉरिडोर, जो अपने अंतर्निहित लचीलेपन के साथ भिन्न रूप में हों, और यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके दोनों सिरों पर यूरोप और भारत के रूप में उत्पादन और उपभोग के दो बड़े केंद्र मौजूद हैं।

अब आईएमईसी एकमात्र कॉरिडोर नहीं है, अन्य भी हैं, एक लंबा कॉरिडोर है जिस पर ईरान के माध्यम से काम किया जा रहा है। लेकिन मैं कुछ अन्य संभावित संपर्क माध्यमों का भी उल्लेख करना चाहूँगा जो भारत और यूरोप के लिए दीर्घकालिक हित में होंगे। उनमें से एक वास्तव में ध्रुवीय मार्ग है, इसलिए मुझे हमारे लातवियाई सहयोगियों को याद दिलाना होगा कि जलवायु परिवर्तन के कभी-कभी कुछ अनजाने लाभ भी हो सकते हैं। इसलिए आज एक गंभीर धारणा है कि ध्रुवीय मार्ग वास्तव में भारत और यूरोप के बीच एक अलग लॉजिस्टिक मार्ग खोल सकता है जो इंडो-पैसिफिक से होकर गुजरेगा।

मुझे अपने यूरोपीय मित्रों से यह भी कहना है कि दक्षिण एशिया में, इस क्षेत्र में, दक्षिण एशिया और उससे आगे, फिर से बहुत बड़ी संपर्क परियोजनाएं पहले से ही क्रियान्वित की जा रही हैं और विचाराधीन हैं। भारत और उसके निकटतम पड़ोसियों, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान के बीच, हमने सड़कों, ग्रिड कनेक्शन, जलमार्गों के संदर्भ में एक बहुत बड़ा बदलाव देखा है। एक बहुत अधिक कठिन परियोजना, त्रिपक्षीय राजमार्ग है, और वास्तव में अगर आईएमईसी पश्चिम के माध्यम से भारत को यूरोप से जोड़ पाता है और त्रिपक्षीय राजमार्ग जब पूरा हो जाएगा, और हालांकि म्यांमार में हमारे सामने चुनौतियां होंगी, लेकिन जब त्रिपक्षीय राजमार्ग बन जाएगा, तो यह वियतनामी तट तक पहुँचेगा। तो वास्तव में आपके पास एक पार्श्व कनेक्टिविटी ग्रिड होगा जो यूरोप को प्रशांत महासागर से मुख्यत: स्थलमार्ग से जोड़ेगा। तो यह निश्चित रूप से आपके लिए विचार करने योग्य बात है। अब संपर्क सुविधाओं के मामले में मेरे विचार में हम विशेष रूप से यूरोप के साथ काम करने को महत्व देंगे क्योंकि आज यह महत्वपूर्ण है कि संपर्क सुविधाएं सहयोगात्मक हों, पारदर्शी हों, व्यवहार्य परियोजनाओं पर आधारित हों, इसमें कोई छिपा हुआ एजेंडा न हो और ऐसा करके हम विश्व के समक्ष एक मॉडल प्रस्तुत कर सकते है कि संपर्क सुविधाओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग किस प्रकार साकार होना चाहिए, और हमें आशा है कि अन्य देश उस मॉडल से काफी कुछ सीख सकेंगे।

अब, दूसरा कारक जिसका मैंने उल्लेख किया वह प्रौद्योगिकी था, और निश्चित रूप से डिजिटल युग में, मुझे लगता है कि हम सभी विश्वास और पारदर्शिता के महत्व को भलीभाँति समझते हैं। यह एआई का युग है, यह इलेक्ट्रिक वाहनों का युग है, यह महत्वपूर्ण चुनौतीपूर्ण प्रौद्योगिकियों का, अंतरिक्ष का और वास्तव में स्मार्ट शहरों और स्मार्ट प्रौद्योगिकियों का युग है। और हम इसे वास्तव में हमारे दैनिक जीवन में, हमारे आस-पास के आर्थिक विकास में, और निश्चित रूप से हम जो कुछ भी कर रहे हैं उसमें परिलक्षित होते देखते हैं, हम आज यह मानते हैं कि यूरोपीय कंपनियों के लिए ढेरों अवसर मौजूद हैं। स्मार्ट शहरों और स्मार्ट ग्रिडों ने पहले ही यह प्रदर्शित कर दिया है, लेकिन विकार्बनीकरण के लिए भारत जो प्रयास कर रहा है, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने सोलर रूफ के संबंध में जिस बड़े अभियान की घोषणा की है, उनमें से कई आज हमारे बीच सहयोग के नए क्षेत्रों की संभावनाएं सृजित करते हैं। लेकिन ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां हम इसके सुरक्षा निहितार्थों को अनदेखा नहीं कर सकते। हम प्राय: नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में बात करते हैं, लेकिन शायद हम उस नवीकरणीय ऊर्जा की विश्वसनीयता पर पर्याप्त रूप से ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं। इसी तरह, हम डिजिटल युग में हैं। आज, संपूर्ण सेमीकंडक्टर वातावरण, चिप्स वार, उस भू-राजनीति को दिखाती है जो प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इसलिए आज हमारी व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद स्वाभाविक रूप से प्रमुख भागीदार है। यूरोपीय संघ के पास यह केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के साथ है। हम उस विकल्प के महत्व को पहचानते हैं। और मैं म्यूनिख में उपराष्ट्रपति वेस्टेगर से मिला, और निश्चित रूप से हम इस वर्ष टीटीसी की अगली बैठक आयोजित करना चाहेंगे, जो शीघ्र ही होने की आशा है।

अब मैं जनसांख्यिकी के बारे में कुछ विचार प्रकट करना चाहूँगा। मुझे लगता है कि आज कौशल और प्रतिभाओं के संबंध में पूरे विश्व के व्यवसायों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। और व्यवसाय इस दिशा में काफी कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं जो उन अंतरालों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए है कि उनके पास वह पहुंच हो, जो उनके निरंतर विकास के लिए आवश्यक है। हमने पिछले कुछ वर्षों में अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ गतिशीलता संबंधी कई समझौते किये हैं। और इन समझौतों में अच्छी बात यह है कि, एक तो वे विधिसम्मत आवाजाही को बढ़ावा देते हैं, और, दूसरी बात यह कि वे कुछ कौशल समूहों से संबंधित आवाजाही को बढ़ावा देते हैं। तो यह बात दूसरे सिरे पर उपभोक्ताओं की आवश्यकता के साथ बहुत अच्छी तरह से उपयुक्त है। और यहां मैं व्यवसाय से संबंधित लोगों से कुछ खास बात कहना चाहूँगा...मैं कहूँगा कि आप भारत की प्रतिभा क्षमताओं में जो तेज उभार देख रहे हैं, अगर कोई पिछले दशक पर नजर डाले तो पिछले दशक में भारत में 7,000 नए कॉलेज खुले हैं, जिसका अर्थ है पिछले दशक में प्रति दिन दो नए कॉलेज खोले गए हैं। 400 नए विश्वविद्यालय हैं, प्रौद्योगिकी के आठ नए संस्थान हैं, प्रबंधन के आठ नए संस्थान हैं, चिकित्सा विज्ञान के 13 नए संस्थान हैं, जिन्हें हम अखिल भारतीय चिकित्सा विज्ञान कहते हैं, सूचना प्रौद्योगिकी के 16 नए संस्थान हैं और राष्ट्रीय महत्व के 74 संस्थान खोले गए हैं। इसलिए मैं बस कुछ आंकड़े आपके सामने रख रहा हूँ क्योंकि मैं चाहूँगा कि आप आज न केवल हमारी अवसंरचना में, न केवल हमारे अभिशासन में, बल्कि इस देश के मानव संसाधनों में भी परिवर्तनों को समझें और जिस तरह से हम डिजिटल युग की ओर, ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं, तो इसे दृष्टिगत रखते हुए मानव संसाधन ही वास्तव में हमारे बीच वास्तविक जुड़ाव बनेगा। निस्संदेह, यह मुझे मूल्यों के महत्व का अहसास कराता है। मुझे लगता है कि, बहुलवादी समाज के रूप में, बाजार अर्थव्यवस्थाओं के रूप में विश्वासपूर्वक हम अपने व्यवसायों का विकास कर रहे हैं, और हम सहज रूप से जानते हैं कि कुछ चीजें हैं जो हमें करनी हैं, और कुछ बातें ऐसी भी हैं जो हमें नहीं करनी हैं। और मुझे लगता है कि ये प्रणालियां, एक बड़ा आत्मविश्वास प्रदान करती हैं जो निश्चित रूप से साझेदारी में सहायक होगा। और अंत में, जैसा कि मैंने कहा, हमें एक रूपरेखा की आवश्यकता है। आज, कोविड के बाद विश्व वैश्वीकरण के एक नए रूप को देख रहा है, वैश्वीकरण का एक ऐसा रूप जहां हम अपने देशों और क्षेत्रों में अधिक सुरक्षित हैं, जहां आपूर्ति श्रृंखलाओं में अधिक लचीलापन और विश्वसनीयता है, जहां डिजिटल विश्व में अधिक विश्वास और पारदर्शिता है। एक तरह से, मैं इसे उसी बहु-ध्रुवीयता का आर्थिक विवरण कहूँगा जिसका उल्लेख ग्रीस के मेरे सहयोगी ने किया था।

तो, एक बार फिर से, मैं आज आपके समक्ष अपने विचार रखने का अवसर प्रदान करने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूँ। और मेरे एस्टोनियाई सहयोगी द्वारा कही गई बात पर एक टिप्पणी के साथ मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा। उन्होंने कहा कि, आप जानते हैं, लोकतंत्र काम करता है और इसीलिए हम सरकारें बदलते हैं। मेरा विश्वास करें, इस देश में हम जानते हैं कि जब लोकतंत्र वास्तव में काम करता है, तो हम सरकारें दोबारा चुनते हैं। इसलिए, मैं अपने यूरोपीय सहयोगियों से वादा करना चाहूँगा कि वहां स्थिरता होगी और निरंतरता होगी, अधिक दूरदर्शिता होगी, अधिक परिवर्तन होगा, अधिक सुधार होगा और निश्चित रूप से अधिक व्यवसाय होगा।

एक बार पुन: आपका धन्यवाद।

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