राज्य सभा
अतारांकित प्रश्न संख्या 2138
दिनांक 04.08.2022 को उत्तर देने के लिए
भारतीय प्रवासी कामगारों के अनसुलझे श्रम विवाद
2138. डा. अमी याज्ञिक:
श्री सैयद नासिर हुसैन:
क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान भारतीय प्रवासियों की सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन के साथ सहयोग किया है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं;
(ग) क्या अन्य देशों में स्थित भारतीय दूतावासों में भारतीय प्रवासी कामगारों के कोई अनसुलझे श्रम विवाद लंबित हैं; और
(घ) यदि हां, तो इनके लंबित रहने के कारणों सहित वर्ष 2017 से तत्संबंधी राज्य-वार और देश-वार ब्यौरा क्या है?
उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
[श्री वी. मुरलीधरन]
(क) से (घ) महामारी के दौरान यह सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता थी कि रोज़गार के नुकसान के रूप में भारतीय श्रमिकों पर इसका कम प्रभाव हो। इस उद्देश्य हेतु, मंत्रालय और खाड़ी क्षेत्र में स्थित हमारे सभी मिशन खाड़ी राष्ट्रों की सरकार के साथ लगातार संपर्क में थे ताकि श्रमिकों का भरण-पोषण किया जा सके, उनका कल्याण सुनिश्चित किया जा सके और उनको देय वित्तीय भुगतान को सुविधाजनक बनाया जा सके।
विदेश मंत्रालय ने नागर विमानन मंत्रालय के सहयोग से वंदे भारत मिशन (वीबीएम) के माध्यम से कोविड-19 महामारी के समय विदेश में फंसे नागरिकों को सुरक्षित भारत वापस लाने में सहायता प्रदान की। तदनुसार, भारत सरकार ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की संयुक्त पहल के रूप में ‘स्किल्ड वर्कर्स अराइवल डाटाबेस फॉर एम्प्लॉयमेंट सपोर्ट’ (स्वदेस) पोर्टल आरंभ किया, जिसका उद्देश्य कौशल सेट और अनुभव के आधार पर लौटने वाले ऐसे नागरिकों का डाटाबेस तैयार करना था जिन्होंने अपनी नौकरी खो दी और विदेशों में फंस गए तथा वीबीएम के माध्यम से भारत वापस आए। ‘स्वदेस’ के तहत पंजीकरण की संख्या 34118 है। अनिवासी भारतीयों के पुन: एकीकरण के लिए केंद्र और राज्य सरकार, दोनों स्तरों पर अनेक पहलें की गई थीं।
सरकार द्वारा हस्ताक्षरित 'श्रम और जनशक्ति सहयोग समझौता ज्ञापन/करार' अनेक देशों में कार्यरत घरेलू श्रमिकों के विशिष्ट हितों की रक्षा करते हैं। खाड़ी सहयोग परिषद के देशों (बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात) तथा जॉर्डन के साथ इस प्रकार के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। मंत्रालय ने घरेलू श्रमिकों के संबंध में कुवैत और सऊदी अरब के साथ अलग से समझौता ज्ञापनों/करारों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इसके अतिरिक्त, सितंबर 2009 में डेनमार्क के साथ जनशक्ति में सहयोग हेतु एक 'श्रम आवाजाही सहभागिता करार' पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत और जापान ने जनवरी 2021 में "विशिष्ट कुशल श्रमिकों (एसएसडब्ल्यू)" से संबंधित प्रणाली के उचित संचालन के लिए सहभागिता हेतु मौलिक संरचना के संबंध में एक सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जो भारत के कुशल श्रमिकों को 14 चुनिंदा क्षेत्रों में जापानी औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में काम करने का अवसर प्रदान करेगा। प्रवासन और आवाजाही समझौता ज्ञापनों/करारों पर फ्रांस और यूके के साथ भी क्रमशः मार्च 2018 और मई 2021 में हस्ताक्षर किए गए हैं। वे प्रवास और आवाजाही संबंधी मुद्दों पर सहयोग के लिए व्यापक अवसंरचना प्रदान करते हैं। भारतीय श्रमिकों की भर्ती के लिए सितंबर 2021 में पुर्तगाल के साथ एक 'श्रम और आवाजाही करार' पर भी हस्ताक्षर किए गए थे। जर्मनी (2018), ग्रीस (2022), डेनमार्क (2022) और ऑस्ट्रेलिया (2022) के साथ प्रवास और आवाजाही करारों पर हस्ताक्षर हेतु आगे की चर्चा के लिए आशय पत्र (एलओआई) पहले से ही प्रस्तुत किए जा चुके हैं, जबकि मंत्रालय द्वारा अन्य चिह्नित देशों (मॉरीशस और मलेशिया) के साथ वार्ताएं की जा रही हैं।
विदेश स्थित भारतीय मिशन/केंद्र संकट के समय में प्रवासी भारतीय नागरिकों और उनके आश्रितों को सहायता प्रदान करने के लिए भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ) का उपयोग भी करते हैं, जिसमें मृत्यु संबंधी मामलों के निपटान की प्रक्रिया और पार्थिव शरीर को भारत लाना शामिल है।
हालांकि विशेष रूप से खाड़ी क्षेत्र में काम करने वाले बहुसंख्यक भारतीय कामगार कोविड-19 के कारण भारत लौट आए, तथापि उस क्षेत्र की आर्थिक रिकवरी और भारत से होने वाली यात्राओं पर लगे प्रतिबंधों में ढील के फलस्वरूप कामगार लगातार खाड़ी राष्ट्रों में वापस जा रहे हैं। ई-माइग्रेट पोर्टल के अनुसार 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2022 की अवधि के दौरान ईसीआर देशों के लिए कुल 4,16,024 उत्प्रवास अनापत्ति (ईसी) जारी की गईं।
विदेश स्थित हमारे मिशनों/केंद्रों द्वारा भारतीय प्रवासी कामगारों से संबंधित श्रम विवादों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की जाती है। पहले कदम के रूप में हमारे मिशन विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान का पता लगाने के लिए विदेशी नियोक्ता (एफई) से संपर्क करते हैं। यदि आवश्यक हो तो विवादों को आगे स्थानीय सरकार और अदालतों सहित कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ उठाया जाता है। विदेश स्थित हमारे मिशन/केंद्र भारतीय प्रवासी कामगारों को विवादों का क्षमतापूर्वक निपटान करने हेतु मदद के लिए आर्थिक और कानूनी सहायता भी प्रदान करते हैं। ई-माइग्रेट पोर्टल में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार श्रमिकों की लंबित शिकायतों का देश-वार और राज्य-वार विवरण अनुबंध के रूप में संलग्न है।