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प्रश्न संख्य़ा 1363 ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में ओडिशा की भूमिका

सितम्बर 22, 2020

राज्यसभा
अतारांकित प्रश्न संख्य़ा 1363
दिनांक 22.09.2020 को उत्तर देने के लिए

‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ में ओडिशा की भूमिका

1363. श्री सुजीत कुमारः

क्या विदेश मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि :

(क) क्या भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी उसके पड़ोसी देशों और विस्तारित पड़ोसी देशों से जुड़ने के लिए एक सशक्त मंच है;

(ख) क्या पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत को इस क्षेत्र से जुड़ने का एक प्रवेश द्वार माना गया है और ऐसा करते समय किसी हद तक ओडिशा की क्षमता का ध्यान नहीं रखा गया;

(ग) क्‍या ओडिशा कई सदियों से इस क्षेत्र के साथ अपनी सभ्यता और समुद्री संपर्क रखने के कारण एक्ट ईस्ट पॉलिसी को सुदृढ़ करने में अपना योगदान देने में विशिष्ट रूप से समर्थ है; और

(घ) यदि हाँ, तो क्या ओडिशा समूची एक्ट ईस्ट संरचना का हिस्सा है और क्या कोई आकलन करवाया गया है कि ओडिशा किस प्रकार योगदान दे सकता है?

उत्तर
विदेश राज्य मंत्री
(श्री वी. मुरलीधरन)

(क) से (घ) भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत के विस्तारित पड़ोस के साथ संबंधों को मजबूती प्रदान करने पर केंद्रित है। माननीय प्रधानमंत्री ने 2018 में सिंगापुर में इस क्षेत्र में सभी को सुरक्षा और संवृद्धि (सागर) को बढ़ाने के लिए एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित भारत–प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी का उद्देश्‍य भारत–प्रशांत क्षेत्र में अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर बातचीत के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों का संवर्धन करना तथा रणनीतिक संबंधों को विकसित करना है, जिससे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और लोगों के पारस्परिक संबंधों सहित व्यापक अर्थों में भारत का जुड़ाव बढ़ेगा।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी भारत की विदेश नीति का एक मजबूत स्तंभ है, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत सहित भारत के सभी राज्यों को लाभ पहुंचाना है।

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