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प्रशांत द्वीप के नेताओं से प्रधानमंत्री की मुलाक़ात

सितम्बर 24, 2019

भारत-प्रशांत द्वीप समूह विकासशील राज्यों (पीएसआईडीएस) के नेताओं की बैठक 24 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में 74वें यूएनजीए के परिप्रेक्ष्य में आयोजित की गई थी। बैठक में फिजी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख, किरिबाती गणराज्य, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, नाउरू गणराज्य, पलाऊ गणराज्य, पापुआ न्यू गिनी के स्वतंत्र राज्य, समोआ के स्वतंत्र राज्य, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा, तुवालु और वानूआतू गणराज्य के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

प्रशांतद्वीपीय राष्ट्रों के साथ भारत का संबंध एक्ट ईस्ट नीति के विकास के साथ और गहरा हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप एक क्रियाशील फोरम भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग (एफआईपीआईसी) की स्थापना हो पाई है। एफआईपीआईसी का पहला और दूसरा संस्करण फिजी (2014) और जयपुर (2015) में हुआ। एफआईपीआईसी समिट के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रशांतद्वीपीय देशों का करीबी भागीदार बनने की भारत की इच्छा और उनके विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तत्परता से काम करने की इच्छा व्यक्त की। यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने बहुपक्षीय प्रारूप में यूएनजीए के दौरान पीएसआईडीएस के नेताओं से मुलाकात की है।

एसडीजी की प्राप्ति के लिए, विकास के अनुभवों को साझा करने, नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग बढ़ाने, आपदा प्रतिरोधी संरचना के लिए बने गठबंधन में शामिल होने, क्षमता निर्माण, भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी निधि के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन तथा भविष्य के भारत-पीएसआईडीएस सहयोग के लिए एक रोडमैप तैयार करने सहित कई मुद्दों पर नेताओं ने विचार-विमर्श किया।

पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और पीएसआईडीएस के मूल्य और भविष्य साझा हैं। उन्होंने असमानता को कम करने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विकास नीतियों को समावेशी और टिकाऊ बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए समान रूप से प्रतिबद्ध है और जरूरी विकास एवं तकनीकी सहायता के माध्यम से अपने विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पीएसआईडीएस के प्रयासों का समर्थन करता है।

पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता को रेखांकित किया और जलवायु परिवर्तन के कई प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए कुल ऊर्जा मिश्रण में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने वैकल्पिक ऊर्जा के विकास में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए भारत की तत्परता भी व्यक्त की। उन्होंने इस क्षेत्र के कई देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने पर संतुष्टि व्यक्त की और दूसरों को भी इस पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। पीएम ने डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के गठबंधन में शामिल होने के लिए पीएसआईडीएस के नेताओं को भी आमंत्रित किया।

अपने मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’’ (सबके साथ मिलकर, सबके विकास के लिए और सबके विश्वास के साथ) की भावना के साथ पीएम मोदी ने अपनी पसंद के क्षेत्र में उच्च प्रभाव वाली विकासात्मक परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर (प्रत्येक पीएसआईडीएस को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के आवंटन की घोषणा की। इसके अलावा, 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण की भी घोषणा की गयी जिसका लाभ प्रत्येक देश की आवश्यकता के आधार पर सौर, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु से संबंधित परियोजनाओं के लिए उठाया जा सकता है।

पीएम मोदी ने प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति करने को लेकर प्रस्तावित क्षमता निर्माण के लिए विकासात्मक सहायता प्रदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और साथी देशों द्वारा बताए जाने वाले प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आईटीईसी कार्यक्रम के तहत विशेष पाठ्यक्रम आयोजित करने की पेशकश की, जिसमें विदेश सेवा संस्थान में प्रशांतद्वीपीय देशों के राजनयिकों का प्रशिक्षण भी शामिल है। स्वास्थ्य क्षेत्र में, पीएम ने ‘मानवता के लिए भारत’ कार्यक्रम के तहत एक प्रशांत क्षेत्रीय केंद्र में जयपुर फुट आर्टिफिशियल लिम्ब फिटमेंट कैंप आयोजित करने की पेशकश की।

लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने के लिए, पीएम ने एक विशिष्ट आगंतुक कार्यक्रम की घोषणा की जिसके तहत इन देशों के प्रतिष्ठित व्यक्ति भारत की यात्रा कर सकते हैं। भारत पीआईसी से सांसद प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का भी स्वागत करेगा। उच्चस्तरीय संबंधों को बनाए रखने के लिए, पीएम ने 2020 के आरम्भ में पोर्ट मोरेस्बी में होने वाले तीसरे एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन के लिए सभी नेताओं को निमंत्रण दिया।

पीएसआईडीएस के नेताओं ने दोनों पक्षों के बीच संबंध और सहयोग को मजबूत करने के लिए पीएम मोदी द्वारा प्रस्तावित पहल का स्वागत किया और अपनी-अपनी सरकारों की ओर से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया।

न्यूयॉर्क
24 सितम्बर, 2019


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