मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (अक्टूबर 07, 2022)

अक्तूबर 07, 2022

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आप सभी को नमस्कार। सप्ताह की मीडिया वार्ता में हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। मेरे पास कोई विशेष घोषणा नहीं है, इसलिए मैं आपके प्रश्नों पर आगे बढ़ना चाहूँगा। ठीक है। शैलेंद्र शुरु आप करिए।

शैलेन्द्र: Sir, आपने देखा होगा कैलिफ़ोर्निया में एक सिख परिवार की हत्या कर दी गई, जिसमें पहले kidnapping हुई और उनकी body recover कर ली गई है। इस पूरे मामले को लेकर MEA ने या Indian embassy जो अमेरिका में है उनकी तरफ से क्या कारवाई की गई?

सिद्धांत: सर मैं डब्ल्यूआईओएन से सिद्धांत हूं। मेरा सवाल पाकिस्‍तान में बंद भारतीय बंदियों, विशेषकर मछुआरों की स्‍थिति पर है। ऐसी खबर आई है कि विगत कुछ महीनों में कई बंदियों की मौत हो चुकी है। इसपर भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया है? क्या आपने इस्लामाबाद से इसपर बात की है?

येशी: मैं द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली हूं। ब्रिटेन की गृह सचिव ने ब्रिटेन में अवैध तरीके से रह रहे भारतीय प्रवासियों पर कुछ कहा है। क्या आपको लगता है कि इसको जारी एफटीए वार्ता में शामिल किया जाएगा, क्या इसे आगे के लिए रखा जाएगा?

रेजा: मैं हिंदुस्तान टाइम्स से रेजा हूं। मेरा भी सवाल यही है, यानी ब्रिटेन की गृह सचिव ने यह कहा है की कि कैसे व्यापार समझौते से भारत से वहां आप्रवासन बढ़ सकता है, और जिसका वह विरोध करती हैं। ऐसा करना मूलतः पेशेवरों तथा छात्रों को वहां जाने जुड़ी पूरी बात को नकारना है। और यह सही भी कि, वह दावा करती है कि भारत में वीजा से अधिक समय बिताने वालों की संख्या सबसे अधिक है। क्या तथ्य तथा आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं?

कविता जोशी: Sir मैं कविता जोशी हूँ Hari Bhoomi Newspaper से, Sir मेरा सवाल यह है कि अभी कुछ दिन पहले चीन के जो राजदूत हैं भारत में उन्होंने LAC विवाद को लेकर के एक दावा किया है कि विवाद अब खत्म हो चूका है और भारत और चीन के बीच में जो हालात है, परिस्थितियां है LAC पर वो सामान्य हो गई है। तो, इसपर विदेश मंत्रालय का क्या कहना है? क्या आप उनके दावे से सहमत हैं?

मानस: सर मैं मानस हूं, पीटीआई से। सर, भारत और यूके के बीच जारी एफटीए वार्ता की स्थिति क्या है? क्योंकि ऐसा लगता है कि यह जल्द ही पूरी होने वाली है। तो अगर ऐसी टिप्पणियों से चल रही बातचीत पर कोई असर पड़ सकता है और अब इस संबंध में समग्र स्थिति क्या है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता: देखिए, मैं इन सवालों का एक साथ जवाब देना चाहूंगा और फिर आप दूसरे दौर के सवाल पूछ सकते हैं। मैं अमेरिका में हुई बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना से शुरूआत करता हूं।

शैलेन्द्र आपने पूछा था इसके बारे में। देखिए, ये बहुत दुखद घटना है, इसके बारे में आपने देखा ही होगा reporting कुछ की है, हमारे consulate general जो संफ्रंसिसको में है उन्होंने भी कल शाम को उनके time पे एक tweet निकाला है कि वो इसको, इस situation को contact में है, उनकी family के साथ। हमारे तरफ से हम यही कह सकते है कि हाँ हम इससे अवगत तो हैं ही और जो मर्सद काउंटी उसका नाम है कैलिफ़ोर्निया में। उसके police अधिकारी सक्रिय रूप से इस घटना का जाँच कर रहे है और संफ्रंसिसको में हमारा जो दूतावास है वो घटनाक्रम का follow-up तो कर ही रहे हैं, contact में हैं family के साथ भी contact में हैं और इस संपर्क में हम हैं और जो भी सहायता हम कर सकते हैं हम प्रदान करते रहेंगे इस तरह से। अभी इसके बारें में अभी भी on-going चल रहा है investigation तो इसके बारें में और मैं कहना नही चाहूँगा पर ये बहुत shocking incident है और और जितना हम कर सकते है counsellor side से हम करेंगे।

सिद्धांत ने पाकिस्तान के मुद्दे पर सवाल पूछा था। देखिए, यह समस्या अभी भी जारी है, लेकिन हाल के दिनों में मछुआरों की मौत की संख्या बढ़ी है। छह भारतीय कैदी या मछुआरे, जिनमें से पांच मुझे लगता है कि मछुआरे थे, विगत नौ महीनों में पाकिस्तानी हिरासत में मारे गए हैं। हैरानी की बात यह है कि उन सभी की सजा पूरी हो गई थी, लेकिन उन्हें सजा पूरी करने के बावजूद, और भारत द्वारा उनकी रिहाई एवं प्रत्यावर्तन की कई मांगों के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। भारतीय कैदियों की मौत की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक है और पाकिस्तानी जेलों में उनकी सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है। इस मामले को इस्लामाबाद में हमारे उच्चायोग और यहां पाकिस्तानी उच्चायोग के समक्ष उठाया गया है। और हम यह दोहराते हैं कि पाकिस्तान अपनी हिरासत में रखे गए सभी भारतीय कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु बाध्य है। और हम पाकिस्तान सरकार से पुनः अनुरोध करते हैं कि सभी भारतीय कैदियों को तुरंत रिहा किया जाए और उन्हें स्वदेश भेजा जाए।

एफटीए को लेकर कई सवाल पूछे गए थे। देखिए, हमने पहले भी इस पर चर्चा की है। इसलिए समय की कमी को देखते हुए मैं सीधे स्थिति की बात करता हूं, जिसपर किसी ने सवाल पूछा था। जैसा कि हमने पहले कहा है, एफटीए को जल्द से जल्द समाप्त करना दोनों पक्षों के लिए अच्छा है। मानस आपने पूछा कि क्या स्थिति है। तो, दोनों पक्षों का इसमें हित है, इसे दिवाली तय पूरा करना तय गई थी। लेकिन यह सिर्फ अभी एक लक्ष्य जैसा है। इस दिशा में गहन चर्चा चल रही है, जो अभी भी जारी है। वार्ता की मौजूदा स्थिति या किसी विशिष्ट समय सीमा के संबंध में, इसके वार्ताकार ही सही जवाब दे सकते हैं, जो वाणिज्य मंत्रालय और वार्ता का नेतृत्व करने वाली अंतरिक एजेंसी की टीम से हैं। इसलिए मैं इसपर कुछ नहीं कह सकता। लेकिन यह कहना चाहूंगा कि इसमें दोनों पक्षों की रुचि है, लेकिन यह आखिरकार कब पूरा होगी, यह बातचीत पर निर्भर करती है। जहां तक​ टिप्पणियों का संबंध है, मैं ब्रिटेन की गृह सचिव की ऐसी टिप्पणी पर कुछ नहीं कह सकता, जिसे मैंने केवल मीडिया रिपोर्ट में देखा है। देखिए, सभी वार्ताएं लेन-देन पर आधारित होती हैं और इससे दोनों पक्षों को लाभ होना जरूरी है। इसलिए घरेलू दृष्टि से लोग जो कहते हैं, उसमें मैं नहीं पड़ना चाहूंगा। मेरे पास वीजा से अधिक समय तक वहां रहने वालों पर डेटा नहीं है, इसलिए मैं इस मामलें पर टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन जब भी कोई भारतीय नागरिक विदेश जाता है, हम हमेशा कानूनी प्रवास को प्रोत्साहित करते हैं और अगर उन्हें वापस आने की आवश्यकता होती है, तो वे वापस लाये जाएंगे। लेकिन, लोगों को वापस लाने और उनकी पहचान करने की एक तय प्रक्रिया है। इसलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा और हमारे उच्चायोग ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है, जिसमें संभवत: इस मुद्दे पर अधिक जानकारी दी गई है। प्रवासन एक महत्वपूर्ण है और इस संबंध में हमारे बीच समझ थी, जिसकी हम उम्मीद करेंगे कि दोनों पक्ष इसका सम्मान करेंगे और हम निश्चित रूप से अपनी ओर से कार्रवाई कर रहे हैं और हम यूके की ओर से भी ऐसी की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं, यानी हमारे उच्चायोग के अनुसार स्पष्ट कार्रवाई। इस जवाब में शायद येशी और साथ ही रेजा तथा मानस का सवाल भी कवर हो गए।

कविता जी आपने पुछा था एलएसी पे normalcy के बारे में। देखिए, इसमें टिप्पणी normally कोई high commission करते हैं या in case कोई ambassador करते हैं। मैं इसमें इतना नही कहना चाहूँगा, मैं सिर्फ इतना हम जो कह रहे हैं, जिस तरह से हम देखते हैं वहां के development on the LAC, इसके बारे में तो आप जानते ही हैं। हमने कह रखा है कि disengagement, de-escalation इस तरह के क्या steps होने चाहिए, हमारे external affairs minister ने भी इसमें किया था in fact उनके foreign minister भी आए तब भी हम यही कह रहे है, पूरी normalcy के लिए कुछ steps जरुरी हैं वहां तो हम बिल्कुल नही पहुंचे हैं पर हम चाहेंगे कि वो पूरा sequence रहता है कि disengagement हो जाए, de-escalation हो फिर border पर normalcy हो ताकि हमारे overall relationship में कोई regularity या normalcy आ पाए। अभी वहां तक नही पहुंचे हैं, अभी हाल ही में आपने देखा होगा कि हमारे senior वरिष्ट अधिकारीयों ने यही कहा है तो i think ऐसा कहना correct नही होगा, situation अभी उस तरह से मैं उसको नही कहना चाहूँगा कि normal है इसमें कुछ positive steps हुए हैं और कुछ और अभी steps बाकि हैं। EAM ने जैसा अभी कहा था recent जो disengagement PP 15 से जो अभी हुई थी was another step।

ठीक है, अब सवालों का अगला दौर शुरु करते हैं। आपने हाथ उठाया हुआ है। हाँ, कृपया आप शुरुआत करें।

अनिल सिंह : शुभ संध्या। मैं आईएनएस से अनिल सिंह हूं। Sir मेरा पहला सवाल है, उइगरों के अत्याचारों पर चीन के खिलाफ यूएनएचआरसी के प्रस्ताव से भारत क्यों दूर रहा? सर मेरा दूसरा सवाल है कि जेनेवा में UNHRC से पहली बार कश्मीर के आतंकी पीड़ितों ने प्रतिनिधित्व किया, क्या आपको लगता है कि कश्मीर में आतंकवाद में पाकिस्तान की संलिप्ता के बारे में सच्चाई सामने लाने में ये भारत के मामले को वैश्विक मंचो में मज़बूत बनाएगा। क्या reaction है आपका?

मेघना: सर मैं मेघना, डीडी न्यूज से। सर, ऐसी खबरें आई हैं कि पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल के एक छात्र की हत्या कर दी गई है और रिपोर्ट में कहा गया है कि हत्या छात्र के रूममेट ने की है। क्‍या हमारे पास इस बारे में कोई जानकारी है? या हम छात्र या उसके परिवार के संपर्क में हैं? मेरा एक दूसरा सवाल भी है। सर कंबोडिया से भी फर्जी जॉब रैकेट की खबरें आई हैं। इसपर क्या अपडेट है? क्या इसमें और भी लोग शामिल हैं? साथ ही विदेश मंत्रालय ने उन एजेंटों का ब्योरा दिया है जो भारत से काम कर रहे हैं। क्‍या उन राज्‍यों की ओर से कोई प्रतिक्रिया आई है जिसके नाम आए हैं?

सुधी रंजन: सर मैं ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। हमें श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन पर पेरिस क्लब के भारत और चीन से संपर्क करने की रिपोर्ट मिल रही है। क्या आप इसपर भारत के रुख के बारे में कुछ बता सकते हैं?

कादम्बिनी शर्मा: कादिम्बिनी शर्मा from NDTV India, म्यांमार में जो IT Proffesionals फंसे हुए है उनके numbers क्या है? क्योकिं कुछ लोग जो वापस आए है उसमें वो कह रहे है कि there are some women as well और करीब 300-500। 300-500 और आईटी पेशेवर वहां फंसे हुए हैं। तो बाकि जिन देशो की आपने बात की है अपने advisory में लाओस कम्बोडिया की, तो वहां पर कितने लोग फसें हुए है कोई breakup आपके पास है?

सुहासिनी: मेरा नाम सुहासिनी है। मेरा सवाल भारत-अमेरिका संबंधों पर है, जिसके तीन हिस्से हैं और इसके लिए क्षमा मांगती लेकिन दो सप्ताह से कोई ब्रीफिंग नहीं हुई है। इसलिए, इसमें से कुछ सवाल पुराने हो सकते हैं, लेकिन ये महत्वपूर्ण हैं। सवाल का पहला हिस्सा यह है कि क्या भारत ने भारतीय कंपनी के खिलाफ संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंधों का विरोध किया है, विशेषतः पाकिस्तान द्वारा एफ16 के इस्तेमाल के संबंध में। और तीसरा हाल के घटनाक्रम से है, पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया, लेकिन उन्होंने इसे बार-बार आज़ाद जम्मू और कश्मीर कहा है। क्या विदेश मंत्रालय की इसपर कोई टिप्पणी है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : सबसे पहले मैं इस दौर के सवालों का जवाब दे देता हूँ और इसके बाद अगले दौर के सवाल पूछ सकते हैं। मेघना के सवाल से शुरू करता हूं। देखिए, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। शायद आपको पता होगा कि अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा, वह एक अमेरिकी नागरिक है, लेकिन फिर भी, भारत से उनका लिंक देखते हुए, अगर हम कोई सहायता कर सकते हैं, तो हम जरुर करेंगे। हम इस घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं। यह बहुत दुखद है। आपने फेक जॉब पर सवाल किया था, कादम्बिनी आपने म्यांमार के मुद्दे का जिक्र किया व आपने कंबोडिया का उल्लेख किया। देखिए, मुझे लगता है कि कुछ हफ्ते पहले हमारे प्रेस ब्रीफिंग के दौरान हमने कई चीजों पर चर्चा की थी तथा मैं उन दोनों सवालों को जोड़ना चाहूंगा। इस घटना के संदर्भ में वास्तव में हम म्यांमार की तरफ नज़र रखे हुए हैं। हमने एडवाइजरी जारी की है, यांगून में हमारे दूतावास के साथ-साथ बैंकॉक में हमारे दूतावास ने भी एडवाइजरी जारी की है। हमने 24 तारीख को एडवाइजरी जारी करते हुए जोखिम पर प्रकाश डाला था और मैं इस ब्रीफिंग को देख रहे लोगों के लिए फिर दोहराना चाहूंगा, बेहद सावधान रहें अगर आपको कोई ऐसी संदिग्ध जॉब की पेशकश करता है क्योंकि एक बार जब आप ऐसी जगह पर फंस जाते हैं, तो आपको सुरक्षित वापस लाना बहुत मुश्किल हो जाता है। हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे। इसलिए सावधान रहें। अगर ऐसा हो सके तो बेहद अच्छा होगा। आपने कंबोडिया पर सवाल पूछा, देखिए, मुझे लगता है कि वहां हमारा मिशन लोगों को बचाना है। मुझे लगता है कि पिछले कुछ हफ्तों, महीनों में लगभग 80 लोगों को बचाया गया है। लेकिन हम नहीं जानते कि वास्तव में वहां कितने लोग फंसे हैं क्योंकि यह पहला-यह संख्या लगातार बढ़ रही है और दूसरा- अगर हम जानते तो हम उन्हें कंबोडिया में आसानी से निकाल पाएंगे। लेकिन मुझे लगता है कि हमारे मिशन में 70 या 80 लोगों को वहां से निकाला गया था और वे थाईलैंड में वापस आ गए थे। शायद यह लाओस और कंबोडिया को मिलाकर हो सकता है लेकिन कंबोडिया को लेकर हमने कल कुछ तस्वीरों और सामानों पर भी प्रकाश डाला था। मैंने लाओस और कंबोडिया पर कहा था कि इसलिए म्यांमार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए मुझे ठीक-ठीक देखना होगा कि कितने लोग किस जगह से हैं, लेकिन मुझे लगता है कि लाओस सीमा पर हमें ऐसी समस्या थी, कंबोडिया में हमें यह समस्या थी, लेकिन कंबोडिया मुझे लगता है कि कल मैंने अपने राजदूत से जो बात की थी, कुल 70 या 80 लोग थे।

म्यांमार के बारे में आपने पूछा था, वहां पे हमने ज्यादा information पहले आपसे साझा कर चुके हैं, देखिए, वहां पे भी इस तरह के fraud offers आते हैं Indian citizens को मियावाडी area में हैं। वहां से हम करीब 50 लोग अभी rescue हो चुके हैं, i think मैंने अभी देखा 49 कोई 3-4 और निकल आए हैं, करीब 49 हैं। कुछ लोग वहां से निकल गए है captivity से पर म्यांमार authority के पास police के साथ है क्योकिं वो illegally enter किए थे, उसके लिए भी कोशिश जारी है कि वो वापिस आ पाएं या उनको भी हम ले आ पाएं, वो अवैध प्रवेश के लिए जो प्रक्रिया करनी पड़ती है वो कर रहे है। इसके अलावा कुछ और लोग है obviously अभी भी captivity में हैं, इसका exact number मेरे पास भी नही है, 300-500। मैंने भी पढ़ा कहीं से की कोई MEA का official कह रहा है, मैं भी जानना चाहता हूँ, अगर आप लोग जानते है तो बता दें मेरे पास तो ऐसा कोई number नही है, कुछ होंगे, कुछ लोगों ने हमसे contact किया मैं number और नाम नही देना चाहता हूँ क्योकिं उनका परिस्थिति के कारण वो अभी contact में है हमारे embassy के साथ, पर उनको भी हम कोशिश कर रहे है कि उनको निकालने की पर 300 की तरह number नही है कम number है उस तरह से। पर हमें डर यह है कि वो बढ़ता रहता है बीच-बीच में क्योंकि और लोग जा रहे है Thailand में और फिर ऐसे कोई group के control में आ जाते है फिर फँस जाते है इसलिए मेरा यही गुजारिश है सबसे कि अगर ऐसा कोई request हो या job offer देख रहे है, जिसको ठीक ना लगे, आपने अच्छी तरह contact check नहीं किया हो उसको accept मत कीजिएगा। तो, इसी चक्कर में आप फंस जाएंगे अभी, कुछ ऐसे offers हो लाओस और कम्बोडिया में ऐसे operation चल रहे है, म्यांमार specific में जैसा मैंने कहा करीब 50 के लोग निकल आए हैं और भी कुछ संपर्क में हैं भारतीयों से जो वहां अटके हुए हैं।

सुधी आपका सवाल पेरिस क्लब पर था, लेकिन मैं श्रीलंका पर और हम इसे कैसे देखते हैं, इसपर टिप्पणी करना चाहता हूं। शायद यह इसे समझने का सही तरीका होगा। आपने हमारे उच्चायोग द्वारा पिछले महीने के मध्य इसपर एक बयान देखा होगा, श्रीलंकाई पक्ष के साथ अपनी बैठक के संबंध में एक बयान जारी किया था, शायद 16 सितंबर को, जिसमें उपयुक्त आईएमएफ कार्यक्रम के शीघ्र निष्कर्ष एवं अनुमोदन हेतु भारत के समर्थन से अवगत कराया गया था। और इसके पश्चात हमारे उच्चायुक्त ने राजदूत मंच में भाग लिया था, जिसका आयोजन श्रीलंका सरकार द्वारा 22 सितंबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति की अध्यक्षता में किया गया था। और इसके बाद संबंधित अधिकारियों, भारत की संस्थाओं ने एक वर्चुअल बैठक में भाग लिया था, जिसे 23 सितंबर को श्रीलंकाई पक्ष द्वारा आयोजित किया गया था। हम संबंधित श्रीलंकाई हितधारकों से संपर्क में हैं। मेरा मानना है कि इसके लिए सभी ऋणदाताओं या लेनदारों को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता होगी और इसलिए यह आईएमएफ पुनर्गठन योजना है और हम इसका समर्थन करते हैं। इसलिए यह उन चर्चाओं का हिस्सा है जो अभी जारी हैं। पेरिस क्लब के संदर्भ में मेरी कोई विशेष टिप्पणी नहीं है। लेकिन, मुझे लगता है कि आईएमएफ नेतृत्व के साथ बड़ा पुनर्गठन शायद कुछ ऐसा है जिसके बारे में हम जानते हैं और जिसके संपर्क में हैं। इसलिए श्रीलंका के लिए एक उपयुक्त आईएमएफ कार्यक्रम के शीघ्र निष्कर्ष को हमारा समर्थन, जिसके लिए श्रीलंका के ऋण को टिकाऊ बनाने हेतु लेनदारों से वित्तीय आश्वासन की आवश्यकता होगी।

सुहासिनी आपने भारत-अमेरिका पर सवाल पूछा था, जो तीन अलग-अलग सवाल हैं, मुझे नहीं पता कि शुरुआत किससे करूं। अमेरिकी प्रतिबंधों पर, जो आपका पहला सवाल है, ठीक। देखिए, आप शायद एक विशिष्ट भारतीय इकाई की बात कर रही हैं। अमेरिका की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी, जो कि एक निजी कंपनी है, जिस अमेरिकी इकाई का आपने जिक्र किया है वह एक निजी कंपनी है, और यह एक नई बात है तथा हम इस पर विचार कर रहे हैं। आपने आगे पूछा कि क्या विदेश मंत्री की वाशिंगटन यात्रा के दौरान यह मुद्दा उठा था? नहीं, उस बातचीत के दौरान इसपर बातचीत नहीं हुई। अब एफ16 के विषय पर, देखिए, आपने कुछ बयान देखे होंगे, अमेरिका ने बाद में कुछ स्पष्टीकरण दिए है, उसके बाद उनका एक वरिष्ठ अधिकारी यहां आये थे। उन्होंने यहां एक साक्षात्कार में कुछ टिप्पणियां कीं। लेकिन मैं कहूंगा कि, इस मुद्दे पर अमेरिकी पक्ष हमारे विचारों से अवगत है, और वो आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए एफ16 संबंधी हमारी चिंताओं से भी बहुत अच्छी वाकिफ हैं। जहां तक​पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत का संबंध है, उनकी हाल की यात्रा और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर पर उनकी टिप्पणियों से मैं सिर्फ इस बात की पुष्टि करता हूं कि पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर की यात्रा और बैठकों पर हमारी आपत्ति से अमेरिकी पक्ष को अवगत करा दिया गया है। ठीक है, अब आगे बढ़ते हैं। कोई और सवाल?

श्रीजॉय: क्या कुछ दिनों में डब्ल्यूएमसीसी होने की संभावना है? और दूसरी बात, हमने सुना है कि 40% पाकिस्तान में बाढ़ आ गई है। क्या इसका घुसपैठ पर कोई असर पड़ा है?

अभिषेक: सर मैं सीएनएन न्यूज 18 से अभिषेक। सर मेरा सवाल उन भारतीय छात्रों के संबंध में है जो चीन में फंसे हुए हैं, जो चीनी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें चीनी प्राधिकरणों द्वारा कई वीजा जारी नहीं किए जा रहे हैं, हालांकि वे अन्य देशों के छात्रों को चीन आने तथा उनके कॉलेजों में पढ़ने के लिए वीजा दे रहे हैं। और ऐसी स्थिति भी है कि सीधी फ्लाइट्स उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए इन मामलों को पहले भी चीनी अधिकारियों के समक्ष उठाया जा चुका है। इस पर भारत का अपडेट क्या है?

शशांक: मैं मिंट से शशांक मट्टू। रूसी संसद यूक्रेन के क्षेत्रों के अपने कब्जे कर रही है और संयुक्त राष्ट्र में हमारे पीआर ने कहा है कि भारत यूक्रेन के घटनाक्रम से बहुत चिंतित है। ऐसी बात तब कही गई जब राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री से वादा किया था कि रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की चिंताओं को ध्यान में रखेगा, क्या इस क्षेत्र का कब्जा किसी भी तरह से भारत की स्थिति को बदलता है? हम ऐसी स्थिति को कैसे देख रहे हैं?

नयनिमा: मैं प्रिंट से नयनिमा। हम उन अफगान छात्रों लेकर क्या करने की योजना बना रहे हैं जो पिछले एक साल से अधिक समय से वीजा की इंतजार कर रहे हैं। जाहिर तौर पर उनमें से कुछ को आईसीसीआर से पत्र मिला है कि उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया है, क्योंकि वे विश्वविद्यालय नहीं पहुंच सके। वे काबुल में भारतीय दूतावास के सामने भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या आप हमें इस पर कोई अपडेट दे सकते हैं, धन्यवाद।

रेसा: मैं टाइम्स नेटवर्क से रेसा। सर, भारत के यूएन एचसीआर में मतदान से दूर रहने पर आपने जवाब नहीं दिया, उस पर आप कुछ कहना चाहेंगे।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: क्षमा करें। मुझे लगा कि मैंने जवाब दे दिया है। मैं आपके सवाल पर वापस आऊंगा। मुझे इस सवाल का जवाब दे लेने दें क्योंकि मैं शायद इसका उत्तर नहीं दिया है। देखिए, जो मैं अभी कह रहा था आपको जो मैंने उनको कहा US Ambassador अभी उनका जो अभी जो वो गए थे POK में, POJK में Pakistan Occupied Jammu Kashmir में, इसमें हमारे जो objections हैं और इसके visit के बारे में और इसके meetings के बारे में ये हमने US side को convey कर दिया है और ये आप यही चाहते थे ना इसमें और आपने पूछा था हमारे पहला जो प्रश्न था ना आपका, sorry अनिल मुझे answer करना चाहिए था तब। इस बार भी UNHRC session चल रही है वहां पे और UNHRC session में हमने अभी कुछ resolution में voting हुई है, आपने देखा होगा। आपने उनमें से एक में पूछा है, मैं सिर्फ यही कहना चाहूँगा कि हमारे उस वाले vote के। श्रीलंका वाला भी आप जानना चाहते थे? {English) जैसा हम कह रहे थे कि भारत सभी मानवाधिकारो को uphold करने के लिए प्रतिबद्ध है, भारत का vote उसके लम्बे समय के चली आ रही position के अनुरूप है। कि country specific प्रस्ताव कभी मददगार नही होते हैं। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए बातचीत के पक्षधर है और xinjang uyghur autonomus region में मानवाधिकारों की चिंताओं के सम्बंधित जो OHCR की report थी उसका आंकलन पर गौर किया है और xinjang uyghur autonomus region के लोगों के मानवाधिकारो का सम्मान किया जाना चाहिए और उनकी जो मानवाधिकार का guarantee और respect करना चाहिए, इसपे जोर देना चाहिए। हमें उम्मीद है कि सम्बंधित पक्ष स्थिति को निष्पक्ष और ठीक रूप से संबोधित करेंगे।

शायद आप इसका जवाब अंग्रेजी में चाहेंगे। तो चलिए इसका अंग्रेजी में जवाब दे देता हूं। भारत हर तरह के मानवाधिकार को लेकर प्रतिबद्ध है। यूएनएचआरसी में भारत का वोट उसकी लंबे समय से चली आ रही स्थिति के अनुरूप था कि देश विशिष्ट प्रस्ताव कभी मददगार नहीं होते हैं। भारत ऐसे मुद्दों से निपटने में बातचीत का पक्षधर है। हमने चीन जनवादी गणराज्य के झिंजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकार संबंधी चिंताओं के ओएचसीएचआर के आकलन को ध्यान में रखा है। झिंजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र के लोगों के मानवाधिकारों का सम्मान एवं गारंटी दी जानी चाहिए। हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष स्थिति को निष्पक्ष और ठीक से संबोधित करेगा।

देखिए, हम terrorism इस तरह से बात करते है (voice not clear) i think directly सुनना जो victims है उनसे फर्क पड़ता है और हमे अच्छा स्टेप है कि उनको वो counsellor उनको सुन पाए directly, terrorism के victims को। इससे क्या impact होगा वो तो मैं अभी जाहिर नही कर सकता हूँ पर ये important है कि एक human face दिया जाए terrorism के victims को सिर्फ numbers या आंकड़े ना रहे।

इस दौर के सवालों की ओर बढ़ते हुए, मैं डब्ल्यूएमसीसी के सवाल पर कहना चाहूँगा कि जब यह होगा, हम इसकी घोषणा करेंगे। अभी मेरे पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। घुसपैठ और 40% बाढ़ पर। देखिए, मैं ऐसे नंबरों का एक्सपर्ट नहीं हूं, इस बारे में हमारी सुरक्षा एजेंसियां ठीक से जवाब दे पाएंगी। मैं केवल अपनी स्थिति को दोहराऊंगा कि हम जमीनी स्थिति में बदलाव देखना चाहते हैं जहां आतंकवाद और घुसपैठ को कम किया जाता है या ऐसी मांग की जाती है कि पाकिस्तान इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करे।

अभिषेक आपने भारतीय छात्रों के लिए चीनी वीजा के बारे में पूछा। यह ऐसा मुद्दा रहा है जिस पर हम चीनी पक्ष के साथ चर्चा कर रहे हैं। मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि जैसा कि आप जानते हैं, हम यहां और बीजिंग दोनों जगह हम इस मामले को उठाते रहे हैं। अगस्त में चीनी दूतावास ने घोषणा की थी कि 24 अगस्त से वह उन भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन स्वीकार करेगा जो अपनी पढ़ाई के लिए चीन लौटने के इच्छुक हैं। जहां तक​हमें जानकारी है, अब भारतीय छात्रों की चीन वापस जाने की प्रक्रिया जारी है। बीजिंग में हमारे मिशन ने आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने हेतु चीनी पक्ष पर दबाव और प्रयास करना जारी रखा है जिससे हमारे छात्र जल्द से जल्द चीन लौट सकें। मैं अपने छात्रों को वीजा पाने और चीन वापस लौटने की प्रक्रिया को पूरा करने हेतु अपने विश्वविद्यालयों के संपर्क में रहने की सलाह देना चाहूंगा। हमारा मिशन और चीन में हमारे वाणिज्य दूतावास और हमारे मिशन, अपनी क्षमता के अनुसार सलाह या सहायता हेतु छात्रों के अनुरोधों का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसलिए, मुझे उम्मीद है कि हम इस मुद्दे पर सकारात्मक सुधार देखने को मिलेगा।

रूस हिस्से के मुद्दे पर, बल्कि हाल में शामिल क्षेत्रों पर। मैं इस संदर्भ में जनमत संग्रह के ठीक बाद हुए प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को वोट देने के हमारे स्पष्टीकरण का उल्लेख करना चाहूंगा। इस युद्ध की शुरुआत से ही भारत की स्थिति स्पष्ट तथा सुसंगत रही है। वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों तथा सभी राज्यों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है। प्रस्ताव पर हमारा वोट पूरी स्थिति तथा प्रस्ताव को ध्यान में रखते हुए है और हमने 30 सितंबर को इस वोट पर विस्तृत जानकारी पहले ही कर दी है, इसलिए मैं आप इसे देख सकते हैं।

अफगान के मुद्दे पर नयनिमा के सवाल संबंध में, देखिए, वीजा के संदर्भ में मैं स्वीकार करता हूं कि इसपर गृह मंत्रालय की ओर से काम किया जा रहा है, जैसा कि आप जानते हैं, हमने ई वीजा की भी शुरुआत की है। हमारे यहां एक तकनीकी टीम है, इसलिए सिर्फ दूतावास ही वीजा के मुद्दे को नहीं देख रहा है। मैं जानता हूं कि ऐसे अफगान छात्रों के अभ्यावेदन आदि आए हैं जो वीजा चाहते हैं लेकिन मुझे लगता है कि विदेश मंत्री ने कुछ दिन पहले इसपर टिप्पणी की थी, जब उन्होंने विश्वास और सुरक्षा के मुद्दों के बारे में बात की थी जिससे वहां वीजा जारी करने की स्थिति संभव हो सकेगी। मैं इस बारे में आगे कुछ नहीं कह सकता।

विजयलक्ष्मी: Sir विजयलक्ष्मी हूँ, India TV से, Sir Canada ,में Sikh for justice है, 7 November को referendum करा रहें हैं वहां पर independence Punjab के लिए, इसपर क्या भरत सरकार वहां authority से बात करेंगी क्योकि पहली बार नही ऐसा पहले भी हुआ है और Sikh for justice लगातार भारत विरोधी गतिविधियाँ वहां पर कर रहा है।

कल्लोल: मैं द हिंदू से कल्लोल हूं। ईरान से ऐसी खबरें आ रही हैं कि पिछले चार हफ्तों में मानवाधिकारों का काफी उल्लंघन हुआ है, पुलिस हिरासत में युवतियों की हत्या की गई है, कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जिनको पुलिस ने अपना शिकार बनाया है। क्या भारत ने महसा अमिनी की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर मतदान किया है। और पिछले कई हफ्तों से ईरान में हो रही घटनाओं को लेकर भारत की स्थिति क्या है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: देखिए, SFJ और आपने so called referendum की बात की, मैंने already एक statement पिछली बार दिया था और मेरे पास additional कुछ कहने के लिए नही है except की ऐसे कुछ developments, objectionable developments हो Canada में, हमें इसमें बहुत खेद है कि ऐसी चीज़े allow की जा रही हैं एक friendly country में, हमने ये पिछली बार भी दोहराया था। I think part 2 कह रहे है इसका, हमने ये issue हमारे जो concerns है ये तो obviously Canadian government को different levels convey कर चुके हैं । हम अपेक्षा करते है कि ऐसे developments या ऐसे activities ना हो, हमने advisory भी जारी की है कि anti-India activity किस तरह से बढ़ रही है उस देश में और कितना risk हो सकता है हम Indians को ऐसी चीजों में। आप जैसे कि जानते है हमे भूलना नही चाहिए किस तरह से violence हुआ था (voice not clear) bombing भी इसी तरह की गतिविधियों कैसे link हो सकती है और पहले हो चुकी है और आप जानते ही है कि वो organization बैन है हमारे यहाँ, हमने बैन कर रखा है।

कल्लोल आपके सवाल पर, देखिए मेरे पास इस संदर्भ में कोई विशेष जानकारी नहीं है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि हमने एचआरसी में इस पर कुछ कहा है और मैं अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया या विशेष टिप्पणी नहीं कर सकता। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद। इस मीडिया ब्रीफिंग में हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद।

Write a Comment एक टिप्पणी लिखें
टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या