मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (जुलाई 28, 2022)

जुलाई 28, 2022

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आप सभी को बहुत-बहुत शुभ दोपहर। इस साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में हमसे जुड़ने के लिए धन्यवाद। मैं एक घोषणा के साथ शुरुआत करता हूं और फिर हम हमारे सामने आने वाले कुछ प्रश्नों का उत्तर देंगे। घोषणा मालदीव के राष्ट्रपति की यात्रा के संबंध में है। मालदीव गणराज्य के राष्ट्रपति महामहिम इब्राहिम मोहम्मद सोलिह 1 से 4 अगस्त तक भारत की आधिकारिक यात्रा करेंगे। राष्ट्रपति सोलिह के साथ एक उच्चस्तरीय आधिकारिक और व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल भी आएगा। यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति सोलिह भारत की राष्ट्रपति से मिलेंगे और प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे। विदेश मंत्री भी राष्ट्रपति सोलिह से भेंट करेंगे।

नई दिल्ली में अपने आधिकारिक कार्यक्रमों के अलावा, राष्ट्रपति सोलिह एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ भी चर्चा करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति सोलिह मुंबई भी जाएंगे और वहां व्यापारिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। कहने की जरूरत नहीं है कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का प्रमुख पड़ोसी देश है और भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति में एक विशेष स्थान रखता है। हाल के वर्षों में, इस साझेदारी ने सहयोग के सभी क्षेत्रों में तेजी से बढ़ोतरी देखी है और राष्ट्रपति सोलिह की आगामी आधिकारिक यात्रा दोनों देशों के नेताओं को इस व्यापक साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा करने का मौका देगी और दोनों पक्षों को दिशा दिखाएगी जो हमारे बीच की मजबूत साझेदारी को और गति प्रदान करेगी। अभी के लिए यही एकमात्र घोषणा थी। यदि अन्य मुद्दों पर कोई प्रश्न हैं, तो मैं उन्हें ले सकता हूं।

येशी: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली। क्‍या डॉ. जयशंकर की वांग यी और अन्य विदेश मंत्रियों के अलावा बिलावल भुट्टो के साथ बातचीत करने की संभावना है, और यदि वे बात करते हैं तो वो किस बारे में हो सकता है?

सिद्धांत: सर, सिद्धांत विऑन से। हमने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को यह कहते हुए देखा है कि वे चेन्नई में चेस ओलंपियाड में भाग नहीं लेने जा रहे हैं, और वास्तव में वे हट रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है?

अनिल सिंह : शुभ दोपहर, सर। मैं आईएएनएस से अनिल सिंह। सर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के अंदर 350 MW बिजली की जरुरत होती है उनको लेकिन तब भी वो अंधेरे में है और पाकिस्तान के अंदर 4000 MW बिजली जेनेरेट होती है। अभी देखा गया कि वहां पे लोग सड़कों पर विरोध में आ गए है और काफी राउंड फायरिंग हुई और फायरिंग होने के बाद 130 लोगो को हिरासत में ले लिया गया, अब वो पाकिस्तान के साथ-साथ हिंदुस्तान से भी मदद चाहते है। सर आपका क्या रिएक्शन है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: मैं समझा नही आप क्वेश्चन को फिर से बताएंगे इसमें पावर का क्या? आपने कहा 4000 MW वहां पे और 350 MW वहां पे चाहिए होता है उनको।

अनिल सिंह : सर 350 MW के अंदर पाक अधिकृत कश्मीर के अंदर पूर्ति हो जाएगी लेकिन तब भी उनको बिजली नही मिलती है और वहां पर 4000 MW जेनेरेट होता है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: तो इसमें आप कमेंट किस बारें में मांग रहे थे प्रोटेस्ट के बारे में?

अनिल सिंह :
प्रोटेस्ट के बारे में सर वो हिंदुस्तान सरकार का सहयोग चाहते है पाक अधिकृत कश्मीर के लोग।

सौरव: सर, सौरव एएनआई से। सर, पीओके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: क्षमा करें, वह मेरी समझ में नहीं आया। किस बयान पर, किसने तीखी प्रतिक्रिया दी है?

सौरव: महोदय, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: उन्होंने किस बयान पर प्रतिक्रिया दी?

सौरव: वो कुछ ऐसा है, हम वहां भी पूजा करेंगे।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : हाँ, वह वक्‍तव्‍य, वो वही है। सही है। और आप क्या चाहते हैं कि मैं क्या करूं? उस पर प्रतिक्रिया दूं।

नीरज: सर नीरज हूँ न्यूज़ 18 इंडिया से, क्या सितम्बर में एससीओ की जो बैठक होगी उसमें हम उम्मीद कर सकते है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होगी। उम्मीद की जा सकती है क्योंकि अभी विदेश मंत्रियों की बैठक चल रही है।

सुधी रंजन: सर, ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। महोदय, पाकिस्तान के साथ विदेश मंत्री की द्विपक्षीय वार्ता के बारे में आप हमें कोई अपडेट दे सकते हैं?

वक्ता 1: महोदय, क्या पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से द्विपक्षीय वार्ता के लिए कोई विशेष अनुरोध किया गया है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: समान प्रश्न।

वक्ता 1: हाँ, लेकिन मूल रूप से, आप जानते हैं कि कुछ महीने पहले उनके विदेश मंत्री सोच रहे थे कि क्या भारत से बिल्कुल भी बात न करना बुद्धिमानी होगी। तो मैं उस संदर्भ में, पूछ रहा हूँ।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : ठीक है, मैं इस दौर के प्रश्‍न लेता हूँ। मुझे पता है कि मेरे पास कुछ और प्रश्न हैं। ठीक। मैं आसान प्रश्न लेता हूँ। मुझे लगता है कि अब तक आप जान गए होंगे कि मैं सभी द्विपक्षीय और अन्य बातों पर क्या कहने जा रहा हूं। हालाँकि विदेश मंत्री के बारे में, हमने पहले ही घोषणा की है, वास्तव में वे शीघ्र ही ताशकंद का दौरा करने जा रहे हैं, मुझे लगता है कि वह एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए निकल चुके हैं या बस जा ही रहे हैं, जो अभी से कल शाम या शनिवार की सुबह तक तय है। जैसा कि मैंने कहा, द्विपक्षीय बैठकों और अन्य कार्यक्रमों के बारे में जानने के लिए बने रहें, जैसे-जैसे यात्रा आगे बढ़ेगी हम आपको अपडेट करेंगे। वास्तव में, इस समय मैं उस स्थिति में नहीं हूँ कि उनकी यात्रा के दौरान होने वाले उनके कार्यक्रम, उनकी द्विपक्षीय वार्ताओं या अन्य व्यस्तताओं को आपसे साझा कर सकूँ। वह क्या कर रहे होंगे, इसके बारे में मैंने आपको संकेत दे दिया है लेकिन मुझे लगता है कि आपको तब तक हमारे साथ रहना होगा जब तक हम उन द्विपक्षीय वार्ताओं, जिनके बारे में आप बात कर रहे हैं, ज्यादा जानकारी साझा करने की स्थिति में नहीं आ जाते। मुझे लगता है कि कम से कम इन बहुत सारे प्रश्नों का जवाब मिल जाएगा, जो बहुत ही सरल हैं। मुझे बैठक के बारे में पाकिस्तान से ऐसे किसी विशेष अनुरोध की जानकारी नहीं है। लेकिन फिर, मैं गलत हो सकता हूं, उनके वहां पहुँचने पर ही हम देख पाएंगे। मेरे विचार से येशी का भी इस संबंध में एक प्रश्‍न था, आपका प्रश्‍न फिर वही था कि विदेश मंत्री की चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक होगी या नहीं। फिर से, मेरे पास इस समय साझा करने के लिए कुछ भी नहीं है, जब भी ऐसा होगा या उचित समय पर, हम आपको बताएंगे। मुझे लगता है कि इनमें से अधिकतर प्रश्नों को ले लिया गया है।

सिद्धांत के सवाल पर, यह चेस ओलंपियाड के मुद्दे पर था, है ना? देखिए, यह कुछ ऐसा है जो बस अभी ही आया है, और हम इसे देख रहे थे। मैं इसे इस तरह रखता हूँ। यह आश्चर्य की बात है कि पाकिस्तान ने अचानक यह फैसला लिया है, FIDE चेस ओलंपियाड में भाग नहीं लेने का, खासकर तब जब टीम पहले ही भारत पहुंच चुकी है। जहां तक ​​उनका तर्क है, यह देखते हुए कि जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के केंद्रशासित प्रदेश निश्चित रूप से भारत का अभिन्न अंग रहे हैं, हैं और रहेंगे। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान ने इस तरह के बयान देकर एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आयोजन का राजनीतिकरण कर दिया है और अपनी टीम के भारत पहुंचने के बाद अपनी भागीदारी वापस ले ली है। तो, मुझे लगता है कि उस पर हम जो कहना चाहते हैं, वह इसमें आएगा। मेरी समझ यह है कि टीम भारत पहुंच गई है या पहुंच रही है। यही पता है, लेकिन देखिए, आपको टीम के साथ इसकी जांच करनी होगी। मुझे बताया गया था कि टीम वास्तव में यहां है, लेकिन फिर से, अगर वे पीछे हट गए हैं, तो शायद टीम वापस चली जाएगी। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, मुझे लगता है कि यह इस गतिविधि का राजनीतिकरण है।

एक सवाल था, सौरव आप पाक की प्रतिक्रिया के बारे में पूछ रहे थे। देखिए, मुझे लगता है कि इस पर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है, इस तथ्य पर कि जम्मू-कश्मीर का पूरा केंद्रशासित प्रदेश और साथ ही लद्दाख भारत का अभिन्न अंग है। और मुझे नहीं लगता कि रक्षामंत्री की टिप्पणी पर अधिक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। मैं निश्चित रूप से इस पर टिप्पणी नहीं करने जा रहा हूं कि रक्षामंत्री ने क्या कहा। मुझे लगता है कि रक्षामंत्री ने भारत का हिस्सा होने के बारे में बात की थी और हम निश्चित रूप से पाकिस्तान की ओर से ऐसे किसी भी बयान को खारिज करते हैं जो हमारी स्थिति की इस वास्तविकता को मान्यता नहीं देता है। मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट हो गया है। और जैसा कि मैंने अभी-अभी शतरंज ओलंपियाड के मामले में कहा है।

नीरज आपका प्रश्न था एससीओ में, एससीओ सितम्बर में समिट में पीएम और शी जिनपिंग। इसमें आप भी जानते है मैं क्या कहने वाला हूँ अभी तो दूर की बात है, विदेशमंत्री का ये पहले विजिट हो जाए। प्रधानमंत्री जाएंगे उनके बारे में, उनके विजिट के बारे में अभी नही पता और उसके बाद क्या होगी उस विजिट में अभी आपको वेट करना होगा।

अनिल जी आपने पूछा था पाकिस्तान, पीओके के बारे में? देखिए आपका क्वेश्चन बहुत स्पेसिफिक है, मुझे उनके पावर रेक़ुएरमेन्ट का ना तो अंदाज़ा है पर मैं यह कह सकता हूँ कि हमारी तरफ से तो कोई पाबंदी नही है। हमने तो ट्रेड और बेटर बिज़नेस कॉन्टेक्ट्स के लिए हमेशा कहा है जब टेररिज्म नही हो। पर उनके पास किस तरह से पावर का वो कर रहे है उसके बारे में मुझे डिटेल नही मालूम है। पर हम चाहेंगे वहां के लोग, अभी मैंने नीरज को भी कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर बिल्कुल इंडिया का इंटीग्रल पार्ट मानते है और हमारी ये पोजीशन रहेगी पर उसमें अभी किस तरह से उन्हें पावर हम भेज सकते है मैं उसपे कमेंट नही कर पाउँगा।

मधुरेन्द्र: मधुरेन्द्र मैं न्यूज़ नेशन से, मेरा सवाल अभी हाल के दिए गए विदेश मंत्रालय के बयान से जुड़ा हुआ है जो ऑब्जेक्शन सीपीईसी में 3rd पार्टी की एंट्री को लेकर इंडिया ने रेज किया है। तो क्या सिर्फ जिस बयान को विदेश मंत्रालय ने दिया है, क्या हम सिर्फ उसी बयान के साथ रहेंगे या हमारे पास मोडस ऑपरेंडी के कि क्या हम एक्शन ले सकते है अगर सीपीईसी में 3rd पार्टी की एंट्री चाइना देता है और पाकिस्तान उसको ज्वाइन करता है तो क्या हम कोई कड़ा एक्शन ले सकते है। इसी चीज़ में दूसरा सवाल हमारा ये भी है कि लगातार देखा जा रहा है चाइनीज कंपनी हैं उनकी एक्टिविटी बढ़ी है और पर्टिक्यूलरली 32 इन्फेंट्री ब्रिगेड है, उनका वहां पर देखा जा रहा है कि चाइनीज कंपनी जो है वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है जो कि मुजफ्फराबाद और अथमुकाम जो पीओके का है वहां पर देखा जा रहा है। तो ये चाइनीज एक्टिविटी वहां पर लगातार बढ़ रही है, इसपे क्या रिएक्शन है आपका?

देवीरूपा: नमस्ते, मैं द वायर से देवीरूपा। मैं म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं की फांसी पर आपकी प्रतिक्रिया पूछना चाहती हूं। हमने आसियान की प्रतिक्रिया देखी है जिसने इसे अत्यधिक निंदनीय करार दिया है और इसके बारे में चिंता और परेशानी व्यक्त की है। क्‍या भारत इस पर कोई वक्‍तव्‍य देगा?

शैलेश कुमार : महोदय, मैं नेशनल डिफेन्स से शैलेश हूं। मेरा सवाल मधुरेंद्र के सवाल का सिर्फ एक विस्तार है। महोदय, चीन और पाकिस्तानियों द्वारा सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को सीपीईसी में शामिल होने का लालच देने का पहले भी प्रयास किया गया है। क्या आपके पास कोई संकेत है कि वे कुछ देशों के लिए प्रयास कर रहे होंगे...?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: सऊदी अरब और आपने किस बारे में कहा?

शैलेश कुमार: संयुक्त अरब अमीरात। यदि वे किसी अन्य देश को लुभाने का प्रयास करते हैं, तो हम रोकने के लिए क्या ठोस कार्रवाई करेंगे, और दूसरी बात, श्रीमान, चीनी और पाकिस्तानियों द्वारा जो किया जा रहा है, उसमें निरंतर विकास हो रहा है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: कहाँ, क्या?

शैलेश कुमार: सीपीईसी को विकसित करने के लिए, और बहुत सी खबरों और स्रोतों से पुष्टि हुई है कि चीनी सेना पाकिस्तान में मौजूद है, उन क्षेत्रों में जहां सीपीईसी का काम बढ़ रहा है। तो उस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है सर?

सृंजॉय: सर, टाइम्स नाउ से। आप श्रीलंका में अराजकता और भ्रम की स्थिति से अवगत हैं। इस समय में, चीनी युआन वांग 5 नामक तथाकथित वैज्ञानिक अनुसंधान पोत एक सप्ताह के लिए 11 अगस्त को हंबनतोता में प्रवेश करने के लिए तैयार है। अब, क्या ये कुछ ऐसा है जिस पर भारत सरकार करीब से नजर रखेगी?

नयनिमा: द प्रिंट से नयनिमा। पिछले हफ्ते आपने मॉरीशस में चल रहे जासूसी के मुद्दे का जिक्र किया था। हालांकि, तब से लेकर अब तक बहुत कुछ हो चुका है, विपक्ष ने प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और आज संसद में अगालेगा द्वीपों पर चर्चा हो रही है। क्या आप उस पर कुछ प्रतिक्रिया देना चाहेंगे? शुक्रिया।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आपने दो अलग-अलग मुद्दों के बारे में बात की।

नयनिमा: दोनों मुद्दे जुड़े हुए हैं।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: मुझे जानकारी नहीं है। ठीक है। मैं इस दौर के सवालों को लेता हूं। मुझे पता नहीं था। शैलेश और मधुरेंद्र जी आपका भी ये प्रश्न था, देखिए सीपीईसी पर एक काफी क्लियर स्टेटमेंट हमारा पिछले हफ्ते आया था जिसमें हमने दो चीज़े काफी क्लैरिटी से कही थीं एक कि जम्मू और कश्मीर में पाक अधिकृत कश्मीर जो है उसमें इस तरह के कोई एक्टिविटीज हो तो वो हमारे सोवेरेंटी और टेरीटोरियल इंटीग्रिटी के खिलाफ है तो उसमें हम ऑब्जेक्ट करते है और दूसरा कि कोई तीसरी देश इसमें ना जुड़े क्योकि हम पहले चेतावनी दे रहे है कि ये हमारे सोवेरेंटी की बात है। इससे ज्यादा मेरे पास कहने के लिए नहीं है?

शैलेश ने सीधे तौर पर पूछा कि हम क्या कार्रवाई करेंगे? मैं अटकलें नहीं लगाने जा रहा, क्षमा करें। यह न तो सही मंच है और न ही मैं अधिकृत व्यक्ति हूं, इस बात पर जोर देने के अलावा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, जैसा कि हमने कहा, पूरा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर भारत का हिस्सा है और हमें आपत्ति है और हम किसी तीसरे देश को इसमें शामिल करने के विचार को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं। आपने बहुत स्पष्ट बयान देखा होगा। मुझे लगता है कि हम जो कहना चाहते हैं उसके संदर्भ में यह बहुत स्पष्ट है, और मैं इससे आगे नहीं जाऊंगा। मुझे लगता है कि यह काफी स्पष्ट है। इसलिए मुझे लगता है कि मैं बस यहीं रुक जाऊंगा। चीनी सेना के वहां होने आदि से संबंधित प्रश्न थे। देखिए, यह सब एक ही मूल तत्व से संबंधित है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में गतिविधियाँ या परियोजनाएँ हैं, जिनका हम विरोध करते हैं और हम अस्वीकार करते हैं। यह हमारी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन या अतिक्रमण है। तो मुझे लगता है कि मैं बस उस तत्व को दोहराता हूं।

देवीरूपा आपने म्यांमार के बारे में पूछा, है ना? मुझे लगता है कि चार लोगों की फांसी। हमने कुछ भी जारी नहीं किया है, लेकिन चूँकि आपने पूछा है, हमने निश्चित रूप से, म्यांमार में हो रही इन घटनाओं को गहरी चिंता के साथ देखा है। म्यांमार के एक पड़ोसी देश के रूप में, हमने हमेशा इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए। म्यांमार के लोगों के मित्र के रूप में हम म्यांमार में लोकतंत्र और स्थिरता की वापसी का समर्थन करना जारी रखेंगे। तो मुझे लगता है, मैं सिर्फ उन बिंदुओं पर जोर दूंगा।

सृंजॉय, आपने एक अनुसंधान पोत के बारे में बताया। यह वही है जो अगले सप्ताह हंबनतोता बंदरगाह पर आ रहा है?

सृंजॉय: हाँ

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : मुझे नहीं पता कि उस विशिष्‍ट बात पर कैसे प्रतिक्रिया दूं। मैं ये स्पष्ट करना चाहता हूँ कि हम अगस्त में हंबनतोता बंदरगाह पर इस जहाज के प्रस्तावित दौरे की रिपोर्ट से अवगत हैं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि सरकार भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी घटनाक्रम की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है और उनकी सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है। मुझे लगता है कि यह एक स्पष्ट संदेश होना चाहिए।

नयनिमा, मॉरीशस के मुद्दे के संबंध में, मुझे लगता है कि मैंने पिछले सप्ताह इसका उत्तर दिया था। मुझे नहीं लगता कि मेरे पास इसमें जोड़ने के लिए कुछ और है। यदि आपको याद हो तो मॉरीशस सरकार ने इस संबंध में प्रश्नों का उत्तर दिया है, प्रधानमंत्री के स्तर पर भी। इस समय इस मुद्दे पर साझा करने के लिए हमारे पास और कोई जानकारी नहीं है।

अभिषेक: महोदय, सीएनएन न्यूज 18 से अभिषेक। मेरा प्रश्न हाल ही में उज्बेकिस्तान, ताशकंद में अफगानिस्तान के संबंध में हुई घटना के बारे में है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: क्षमा करें, आपका मतलब उस बैठक से था जो अभी हो रही है?

अभिषेक : यह 25 और 26 तारीख को हुआ, अफगानिस्तान पर सम्मेलन। तो क्या भारत ने उसमें भाग लिया? भारत ने क्या बातें रखीं? यदि आप उस पर विस्तार से बता सकें, क्या चर्चाएं हुईं?

येशी: तो कल फिर अफगानिस्तान में करते परवान गुरुद्वारे के पास धमाका हुआ। भारत ने कोई बयान जारी नहीं किया है। और एक दिन पहले तालिबान ने कहा था कि सुरक्षा के सभी मुद्दे सुलझा लिए गए हैं, तो सिख और हिंदू वापस आ सकते हैं।

सिद्धांत: सर, सिद्धांत विऑन से। मेरा प्रश्न रूस और यूक्रेन के बीच हाल के समझौते के बारे में है, जब गेहूं निर्यात की बात आती है, तो इस समझौते पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है, भले ही इस तथ्य पर सवाल हैं कि समझौता जारी है भी या नहीं।

सृंजॉय: सर, टाइम्स नाउ से। कल, सामंथा पावर ने संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत दोनों में, संभवतः अलग-अलग ताकतों में, विघटनकारी ताकतों के बारे में बात की। क्या आप भारत में इन विघटनकारी ताकतों पर टिप्पणी करना चाहेंगे जिनके बारे में उन्होंने बात की थी?

देवीरूपा: मूल रूप से एक बार फिर मॉरीशस पर। मुझे पता है कि आपने उस पर एक प्रश्न का उत्तर दिया है। बस आपसे यह जानना चाहती थी कि पिछले सप्ताह मॉरीशस के मंत्री, महान्यायवादी और कृषि मंत्री यहाँ थे और उन्होंने मेरे विचार से यहां हमारे समकक्ष और विदेश मंत्रालय के सचिव दम्मू रवि से मुलाकात की थी। मेरा मतलब है, बैठक का एजेंडा क्या था? किस बारे में बात हुई थी और क्या उन्होंने इस पूरे जासूसी के मुद्दे को उठाया जिसके बारे में वे बात कर रहे हैं?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : देखिए, अफगानिस्‍तान पर सम्‍मेलन के बारे में, मुझे लगता है कि आपका जो प्रश्‍न था, मैं समझता हूं कि यह 26 को था। 26 तारीख को, उज्बेकिस्तान ने ताशकंद में अफगानिस्तान पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें लगभग 20 देशों के विशेष प्रतिनिधियों, वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। उसमें संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठन के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भी थे। भारत ने इस आयोजन में भाग लिया था। मैं कहूँगा कि यह अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ जुड़ने के हमारे प्रयासों की निरंतरता में है। इस सम्मेलन के दौरान, भारत ने इस कठिन समय में अफगानिस्तान के लोगों की सहायता करने और उन्हें मानवीय सहायता प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 को भी दोहराया, जिसमें अफगानी धरती का इस्तेमाल किसी आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने, वित्तपोषण करने या संचालन के लिए नहीं करने का आह्वान किया गया है। भारत का प्रतिनिधित्व आधिकारिक स्तर पर था। येशी, करते परवान पर, हाँ हमने यह भी देखा है, हम और अधिक विवरण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई घायल हुआ है। हम यह भी समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर यह घटना क्या थी। मुझे ठीक से पता नहीं है कि यह किसी तरह का हमला था या नहीं। हम अभी तक निश्चित नहीं हैं।

सिद्धांत, जैसा कि आपने यूक्रेन के बीच उल्लेख किया है, मैं समझौते पर स्वयं टिप्पणी नहीं कर पाऊंगा। लेकिन देखिए, मुझे लगता है कि जिन चीजों को आपने देखा है या आपने विदेश मंत्री और अन्य लोगों को बात करते हुए सुना है, उनमें से एक यूक्रेन में संघर्ष से द्वितीयक या फैल प्रभाव है, विशेष रूप से भोजन, उर्वरक आदि के मामले में। तो खाद्य सुरक्षा का मुद्दा, और विशेष रूप से कमजोर देशों में, और खाद्यान्न की उपलब्धता, विशेष रूप से गेहूं एक महत्वपूर्ण तत्व है और अगर इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक खाद्यान्न, या गेहूं प्राप्त करने में मदद मिलती है, तो मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिसका भारत सहित सभी के द्वारा स्वागत किया जाएगा, क्योंकि हम उन जोखिमों के बारे में भी बहुत जागरूक हैं, जो कि कमी, या खाद्य सुरक्षा की कमी से, विशेष रूप से कमजोर देशों को प्रभावित कर सकते हैं। तो देखते हैं कि क्या होता है और इस समझ का क्या प्रभाव पड़ता है।

सृंजॉय, मैं टिप्पणी करने की स्थिति में नहीं हूं, मैंने यूएसएआईडी प्रमुख की पूरी टिप्पणी नहीं देखी, जो यहां थीं। इसलिए मैं आपके द्वारा उल्लिखित विघटनकारी ताकतों के बारे में उनके वर्गीकरण पर टिप्पणी करने की कोशिश नहीं करने जा रहा हूं। तो मैं इसे छोड़ रहा हूँ।

मॉरीशस पर देवीरूपा, मुझे याद आता है कि यह बैठक हुई थी। यह नियमित परामर्श का हिस्सा था। मेरे पास उस विशिष्ट बैठक पर साझा करने के लिए और कुछ नहीं है, जो वास्तव में अन्य मंत्रालयों के साथ, प्रमुख मंत्रालयों के साथ थी। लेकिन अगर मेरे पास कुछ होता है, तो हम आपके पास वापस आएंगे।

प्रणय: सर प्रणय फ्रॉम एबीपी न्यूज़, आपने पिछली ब्रीफिंग में कहा था कि अरविन्द केजरीवाल की सिंगापुर यात्रा को लेकर आपको एप्लीकेशन मिला है, तो क्या उसके ऊपर कोई निर्णय हो पाया है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : जैसा कि हमने पिछले हफ्ते बताया था 21 जुलाई को हमारे पास ये जो पोलिटिकल क्लीयरेंस का जो पोर्टल है उसपर एक एंट्री आई थी, एक प्राप्त हुई थी हमें। हमें जितना ज्ञात है कि अभी जो होस्ट गवर्मेंट सिंगापुर ने दिल्ली सरकार को डायरेक्टली कुछ निमंत्रण के बारे में कुछ अपडेट भेजा है, कुछ चेंज हुआ है उसमें, उसको साझा किया है डायरेक्टली उनके साथ, हमें भी पता है उसके बारे में। तो, मैं चाहूँगा कि आप दिल्ली गवर्मेंट से ही पूछे कि उनके इनविटेशन का क्या अभी स्टेटस है? थैंक यू!

वक्ता 2: महोदय, सिंगापुर की तरफ से क्या अपडेट है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप दिल्ली सरकार से पूछें। मुझे लगता है कि निमंत्रण सिंगापुर सरकार की ओर से है। इसलिए यदि आप चाहें तो मैं अंग्रेजी में पढ़ूंगा, यदि इससे आपको कोई मदद मिलती है। जैसा कि हमने पिछले सप्ताह बताया था, और वास्तव में, हमें 21 जुलाई को अपने राजनीतिक अनुमति पोर्टल पर एक प्रविष्टि प्राप्त हुई। हमें यह बताया गया है कि मेजबान सरकार ने दिल्ली सरकार से अपने निमंत्रण में कुछ अपडेट और बदलाव साझा किए हैं। इसलिए मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आप दिल्ली सरकार से पता करें कि उसकी स्थिति क्या है।

सुधी रंजन: सर फिर से ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। ऐसा लगता है कि चीनी पीएलए का एक बयान आया है, जो संबंधों को बहाल करने पर आम सहमति की बात कर रहा है। क्या आप भारत और चीन के बीच 16वें दौर की वार्ता में ऐसे किसी घटनाक्रम से अवगत हैं?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्‍ता : नहीं। देखिए, मैं समझता हूँ कि 16वें दौर में हमने पहले ही एक बहुत स्‍पष्‍ट वक्‍तव्‍य जारी कर दिया था, दोनों पक्षों के बीच संयुक्‍त वक्‍तव्‍य, मेरे पास इस पर कोई अपडेट नहीं है। मैं संबंधों की बहाली शब्द को नहीं समझ पा रहा हूँ। चीन के साथ हमारे राजनयिक संबंध हैं, लेकिन कुछ ऐसा है जिसकी हम उम्मीद कर रहे हैं और मैं दोहराना चाहता हूं- सैन्य विघटन के बाद सीमा पर तनाव को कम करना और फिर शायद सीमा पर एक स्थिति, जो अधिक सामान्य हो सकती है, ताकि समग्र संबंधों में सुधार हो सके। मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई बदलाव आया है और न ही मुझे इसकी जानकारी है। लेकिन फिर, अगर कोई अपडेट है, तो हम आपको बताएंगे।

मुझे याद है, मुझे अभी-अभी जो इनपुट मिला है, वह इस मुद्दे पर है, मेरे विचार से, पीओके पर आपका प्रश्न। मैंने वह वास्तविक बयान या मदद का अनुरोध नहीं देखा है। पीओके के लोगो ने जो हेल्प मांगी थी उसको मैंने देखा नही है पर मुझे ये बताया जा रहा है कि उन्होंने पाकिस्तानी गवर्मेंट से हेल्प मांगी थी भारतीय सरकार से नही, पर देखिए इसीलिए मैं कुछ कह नही पाउँगा उससे ज्यादा। धन्यवाद!

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