मीडिया सेंटर

सरकारी प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया वार्ता का प्रतिलेख (जुलाई 14, 2022)

जुलाई 15, 2022

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आपको नमस्कार, वैरी गुड इवनिंग । हमारे साथ फिर से जुड़ने के लिए धन्यवाद। जैसा कि हम अपनी साप्ताहिक मीडिया वार्ता को जारी कर रहे हैं, हमने हाल ही में संपन्न आई2यू2 शिखर सम्मेलन पर वार्ता की थी, अब सप्ताह के अन्य मुद्दों पर करेंगे। मुझे कोई विशेष घोषणा नहीं करनी है, इसलिए प्रश्नों और टिप्पणियों के लिए मंच खोलते हैं । ठीक है, एक-एक करके। मैंने पहले आपका हाथ देखा। आगे बढ़िए, पूछिए ।

सुधी रंजन: महोदय, ब्लूमबर्ग से सुधी रंजन। मैं श्रीलंका की घटनाओं और उन पर दो त्वरित प्रश्नों पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ, क्या भारत के पास इस बारे में कोई समझ है कि राष्ट्रपति गोटाबाया अंततः कहाँ जाना चाहते हैं और श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए भारत कितना चिंतित है?

सिद्धांत: नमस्कार महोदय, विऑन से सिद्धांत। मेरा प्रश्‍न श्रीलंका पर है। भारत द्वारा गोटाबाया के देश से बाहर निकलने की सुविधा देने की खबरें आती रही हैं। अगर आप इसके बारे में बात कर सकते हैं या शायद इस पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

कल्लोल: हिन्दू से कल्लोल। राजपक्षे भाइयों पर लिट्टे के खिलाफ युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। क्या भारत उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के अंतर्राष्ट्रीय कदम का समर्थन करेगा ?

मधुरेन्द्र: सर मधुरेन्द्र न्यूज़ नेशन से, मेरा सवाल भी श्रीलंका को लेकर के है, बेसिकली मैं जानना चाहता हूँ कि जो रिफ्यूजी इंफ्लक्स की स्थिति हमारे बॉर्डर्स पर दिखाई दे रही है उससे निपटने के लिए भारत की क्या तैयारी है और अभी तक जो उधर से रिफ्यूजी इधर मूव कर रहे है क्या उनको वापस किया गया है इसका कोई डाटा है?

नीरज : सर न्यूज़ 18 इंडिया से नीरज हूँ, मेरा सवाल है कि श्रीलंका के संकट को लेकर भारत कितना चिंतित है, अबतक जो मदद की गई है और आगे क्या करने की तैयारी है?

शाहिद सिद्दीकी: महोदय, सद्भावना टुडे से शाहिद सिद्दीकी। हमने देखा है कि जब राष्ट्रपति मालदीव पहुँचे तो वहाँ भी कुछ विरोध हुआ कि वहाँ नहीं थे...

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आपका मतलब श्रीलंका के राष्ट्रपति से है?

शाहिद सिद्दीकी: श्रीलंका के, वे विरोध कर रहे थे। तो यह वहाँ कैसे देखा जा रहा था, क्या यह वहाँ होने के लिए ठीक जगह है और फिर, भारतीय पक्ष को भी देखें, कि भारत उस (अश्रव्य) को कैसे ले रहा है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्‍ता : श्रीलंका पर काफी प्रश्‍न हो रहे हैं। क्‍या श्रीलंका के संबंध में कोई अन्‍य प्रश्‍न है? आइए इसे एक बार में ही ले लें ।

अखिलेश सुमन: महोदय, श्रीलंका हमारा निकटतम समुद्री पड़ोसी है। श्रीलंका में सुरक्षा की भी स्थितियाँ हैं। तो श्रीलंका में किसी भी अप्रिय घटना को लेकर हम कितने संवेदनशील हैं, जहाँ तक, हिंसा का संबंध है और क्या भारत देश के विभिन्न राजनीतिक हितधारकों के संपर्क में है?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: श्रीलंका की स्थिति पर कोई अन्य व्यक्ति? कोई छूट तो नहीं रहा है? ठीक है अच्छा। देखिए, प्रश्नों के कई सेट हैं, उनमें से कुछ, मुझे लगता है कि आपने श्रीलंका और मालदीव में हमारे उच्चायोगों से कुछ प्रतिक्रियाएं पहले ही देख ली होंगी, लेकिन मैं आपको यह बताने की कोशिश करता हूँ कि हम कहाँ हैं और मैं उनमें से कुछ का इस प्रश्न के भाग के रूप में उत्तर देने का प्रयास करूँगा। देखिए, मैं एक बड़ा मुद्दा रखता हूँ, नेबरहुड फर्स्ट नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू हमारे क्षेत्र में सभी देशों की शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करना है, साथ ही साथ सब की सुरक्षा और सभी के लिए विकास, SAGAR, का हमारा दृष्टिकोण भी है। श्रीलंका के मामले में यह उस देश के साथ हमारे घनिष्ठ और बहुआयामी संबंधों और उस देश में वर्तमान स्थिति से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए श्रीलंका के लोगों की मदद करने में हमने जो प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, उससे स्पष्ट रूप से जाहिर है। हम निश्चित रूप से श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े रहेंगे क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों के साथ-साथ स्थापित संस्थानों और एक संवैधानिक ढाँचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति की अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।

सहायता आदि के बारे में कुछ प्रश्न थे? देखिए, आप यह सुन चुके हैं कि हम उनकी क्या सहायता कर रहे हैं। हमने आर्थिक कठिनाइयों से उबरने में श्रीलंका के लोगों की सहायता करने के लिए तत्परता से कार्रवाई की। जैसा कि मैंने उल्लेख किया, इस वर्ष ही, पिछले सप्ताह, भारत ने लगभग 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य की सहायता व सहयोग को तेजी से अंतिम रूप दिया और प्रदान किया। यह मुद्रा विनिमय, एशियाई समाशोधन संघ तंत्र के तहत भारतीय रिजर्व बैंक को श्रीलंका की देनदारियों के पुनर्भुगतान के आस्थगन के रूप में है। इसके अलावा, बेशक, भारत से ईंधन, भोजन, दवाओं, उर्वरकों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के आयात के वित्तपोषण के लिए लगभग डेढ़ बिलियन डॉलर की ऋण सहायता दी गई । जबकि ईंधन के लिए ऋण की व्यवस्था का अब पूरी तरह से उपयोग किया जा चुका है, 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण-सुविधा कार्यान्वयन के अधीन है। और निश्चित रूप से भारत इस संबंध में श्रीलंका के साथ काम में लगा है।

कुछ विशिष्ट प्रश्न, स्थिति के संबंध में थे और इसके लिए हम किस प्रकार चिंतित हैं? बेशक, श्रीलंका एक पड़ोसी देश है और हमारे पड़ोस के घटनाक्रमों में जो हमें प्रभावित कर सकते हैं, निश्चित रूप से, हम इस बात से बखूबी परिचित हैं कि इससे कौन सी चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। हम उस देश में उभरती स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि श्रीलंका के साथ हमारे संबंध ऐतिहासिक और व्यापक हैं, और हम श्रीलंका में सभी संबंधित हितधारकों के साथ लगातार जुड़े हुए हैं। हम लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, जैसा कि मैंने कहा, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढाँचे के माध्यम से सरकार और उसके नेतृत्व से संबंधित स्थिति के शीघ्र समाधान की आशा करते हैं ।

जहाँ तक कुछ अन्‍य प्रश्‍नों का संबंध है, एक, राष्‍ट्रपति, गोटबाया राजपक्षे के संबंध में। देखिए, मुझे लगता है कि आपने हमारे उच्चायोग द्वारा कही गई टिप्पणियों को देखा होगा। हमने स्पष्ट रूप से उनके प्रस्थान या श्रीलंका से उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने में कोई भूमिका होने से इनकार किया है। इसलिए मैं यह अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं हूँ कि वे कहाँ है। मैंने अभी यहाँ आते हुए कुछ मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं, मुझे लगता है कि वे अभी सिंगापुर में हैं, लेकिन यह एक मीडिया रिपोर्ट है। तो उस पर ये सभी सामान्य टिप्पणियाँ हैं। मालदीव में कुछ विरोध प्रदर्शन हुए, इस बारे में कुछ टिप्पणी थी, मुझे लगता है कि आपने उल्लेख किया था। देखिए फिर से, मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है। हम उस प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं। मुझे इस बात की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है कि उनकी क्या योजनाएँ थीं और उन्होंने क्या किया है। कुछ मुद्दे थे, जैसा कि मैंने अस्थिरता के बारे में चिंताओं के बारे में कहा, मुझे लगता है कि मैंने इसका उत्तर दिया। हम कितने संवेदनशील हैं - हम सभी संबंधित हितधारकों के संपर्क में हैं, अखिलेश आप इसके बारे में पूछ रहे थे।

नीरज जी आप पूछ रहे थे कि श्रीलंका में किस तरह के मदद के बारे में? हम उनके साथ है, श्रीलंका के लोगो के साथ है और हमने अभी तक काफी हद तक उनको मदद किया है और अभी देखते है कैसे होता है? किस तरह से स्थिति उभरती है और किस तरह के असिस्टेंस और चाहते है और सरकार उनकी तरफ से क्या होती है पर हमारा जो सपोर्ट है और जो श्रीलंका के लोगो के साथ जो हमारी सॉलिडरिटी है ये रहेगा।

मधुरेन्द्र जी आपने कुछ रिफ्यूजी इंफ्लक्स के बारे में पूछा था, देखिए आपने सुना होगा कुछ दिनों पहले हमारे विदेश मंत्री ने कहा था इस विषय पे कि ऐसा कोई इमीडियेट सिचुएशन नही है। मेरे पास और कोई इमीडियेट अपडेट नही है और आपने कहा था कुछ लोग जो आ गए थे वापिस चले गए है, अगेन उसमें भी मुझे कोई अपडेट नही है। कुछ बड़ी कम संख्या में लोग कुछ दिनों पहले आए थे, अभी रिसेंटली मैंने हाल ही में सुना नही है कुछ, तो अभी इमीडियेटली ऐसा कोई सिचुएशन, ऐसी कोई स्थिति नही बनी है।

मुझे लगता है कि कल्लोल का एक सवाल था। आपने घोषणात्मक वक्तव्य दिया; यह एक घोषणात्मक बयान है जो हमारी स्थिति का हिस्सा नहीं है। तो मैं इसे शुरुआत में स्पष्ट कर दूँ। और यह एक बहुत ही काल्पनिक स्थिति है। वे उस देश के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। मैं अभी तक निश्चित नहीं हूँ कि इस्तीफा, जिसके बारे में बात की जा रही है, वह है। तो, देखिए यह एक ऐसा मुद्दा है जो वास्तव में श्रीलंका के लोगों के लिए है। और जैसा कि मैं इस पर जोर देना चाहता था, जैसा कि विदेश मंत्री ने भी कुछ दिन पहले कहा था, श्रीलंका के लोगों को आगे का रास्ता खोजने की जरूरत है। उन्हें आगे समाधान ढूँढने की जरूरत है। श्रीलंका के लोगों की जिस भी तरह से हम मदद कर सकें, करने के लिए वहाँ मौजूद हैं। और हमने यह प्रदर्शित किया है, आर्थिक सहायता के साथ-साथ अन्य सहायता के साथ जिसकी हमने घोषणा की है। मुझे लगता है कि इसमें व्यापक रूप से प्रश्नों के विभिन्न सेट के उत्तर शामिल हैं। यदि कोई और प्रश्न है तो मैं उसे सहर्ष लूँगा ।

वक्ता 2: अरिंदम, यह प्रश्न चीन-भारत पर है, अगले कोर कमांडर स्तर की वार्ता से भी पहले, पिछले हफ्ते, एक चीनी विमान के एलएसी के बहुत करीब उड़ान भरने की खबरें थीं। क्या इसे हवाई क्षेत्र का उल्लंघन माना गया है? क्‍या इस मामले को चीन के साथ राजनयिक रूप से उठाया गया है?

ऋषिकेश : महोदय, स्पुतनिक न्यूज से ऋषिकेश। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने दक्षिण चीन सागर जैसी स्थिति को रोकने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका भारत या जापान से सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के लिए कहा है। तो क्या आप टिप्पणी करना चाहेंगे?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: क्या आप उस हिस्से को दोहरा सकते हैं, मैं समझ नहीं पाया, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने अनुरोध किया है

ऋषिकेश: अमेरिका, भारत और कुछ अन्य साझेदारों से, हिंद महासागर या दक्षिण प्रशांत जैसे अन्य क्षेत्रों में दक्षिण चीन सागर जैसी स्थितियों को रोकने के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने के लिए।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आप क्या चाहते हैं मैं क्या करूँ ?

ऋषिकेश: क्या आप टिप्पणी करना चाहेंगे।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: ओह, ठीक है। क्षमा करें। और कोई ? ठीक है, शैलेन्द्र पूछिए ।

शैलेन्द्र : शैलेन्द्र न्यूज़ 18 से, सर आपने रिपोर्ट्स देखी होगी पाकिस्तानी जर्नलिस्ट नुसरत मिर्ज़ा ने क्लेम किया है कि वो इंडिया आए थे, पांच बार उन्होंने यहाँ से इनफार्मेशन इकट्ठा करके डीजी आईएसआई को हैंडओवर किया। क्या हमारे पास जो उनके क्लेम्स हैं उनपर कमेंट करना चाहेंगे? क्या यह फैक्ट है, हालाँकि कुछ तस्वीरे भी सामने आई हैं।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: कोई अन्य प्रश्न?

कादम्बिनी शर्मा: कादम्बनी शर्मा फ्रॉम एनडीटीवी इंडिया, एक रिपोर्ट आई थी कि यू.एस कांसुलेट जनरल ने मुंबई में कहा था कि रशियन शिप्स भारतीय पोर्ट पर डॉक ना करे इसपर कोई रिएक्शन है?

नीरज : यस सर सप्लीमेंट्री है शैलेन्द्र जी के सवाल से कि पूर्व उप-राष्ट्रपति के तरफ से स्टेटमेंट आया जिसमें नुसरत मिर्ज़ा के दावे को खारिज किया कि वो मिले थे या आमंत्रण दिया गया था नुसरत मिर्ज़ा को तत्कालीन उप-राष्ट्रपति की तरफ से?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: मुद्दे को देखें। मुझे लगता है, मैं चीन एलएसी से शुरू करता हूँ । देखिए, इस तरह के मुद्दों पर विशिष्ट होना बहुत मुश्किल है। ठीक है, हम जो कहते रहे थे उस पर वापस चलते हैं। मुझे लगता है कि हमने काफी स्पष्ट कर दिया है। और हाल ही में, विदेश मंत्री द्वारा, मुझे लगता है कि उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि भारत एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का समर्थन नहीं करेगा। मैं यहाँ यह भी जोड़ना चाहता हूँ कि यह भी आवश्यक है कि भारत और चीन के बीच 1993 और 1996 के उचित समझौतों का ईमानदारी से पालन किया जाए। लेकिन जहाँ तक आपके विशिष्ट प्रश्न का संबंध है, देखिए, मुझे लगता है कि मैं आपको रक्षा मंत्रालय से पूछने के लिए कहूँगा, लेकिन राजनयिक दृष्टिकोण से हम यही कहेंगे।

ऋषिकेश, आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न मुझे स्पष्ट रूप से समझ नहीं आया, हालाँकि आपने उसे दोहराया भी। मुझे उस कथन के बारे में पूरी जानकारी नहीं है, मैंने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं, तो मुझे किसी ऐसी चीज़ पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, जिसकी मुझे पूरी जानकारी नहीं है। मुझे नहीं लगता कि हमसे कहा गया है, कम से कम मुझे जानकारी नहीं है, आपने भारत का उल्लेख किया है, कि हमें इंडो पैसिफिक में सेना तैनात करनी चाहिए, या हम दुनिया के अन्य हिस्सों में सेना तैनात करने की बात कर रहे हैं? मेरे पास वास्तव में इसका कोई जवाब नहीं है। हमने दक्षिण चीन सागर पर अपनी स्थिति का स्पष्ट रूप से समर्थन किया है। हम स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के बारे में बात कर रहे हैं, हम नियम-आधारित व्यवस्था के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या आप इसे अन्य स्थानों पर विस्तारित करते हैं और इसका क्या मतलब था और हमें क्या करना चाहिए। क्षमा करें, मेरे पास उस पर कोई विशेष विस्तृत टिप्पणी नहीं है, यह जाने बिना कि हमसे क्या अपेक्षा की जाती है।

मुझे लगता है शैलेन्द्र और नीरज आपने ये नुसरत मिर्ज़ा वाले स्टेटमेंट के बारें में कुछ कहा, उसके बारें में उप-राष्ट्रपति, भूतपूर्व उप-राष्ट्रपति के बारे में उसका जो बयान उनका आया है उसके बारे में। देखिए, मैंने कुछ मीडिया रिपोर्ट्स देखे हैं पर इसपे मैं कोई टिप्पणी नही कर पाउँगा ऐसे मीडिया रिपोर्ट्स जिसके बारे में मुझे कोई डिटेल नही है और अपुष्ट भी है, दोनों पॉइंट्स पर मैं कोई टिप्पणी नही करना चाहूँगा।

इस मुद्दे के बारे में, मुझे लगता है कि कादम्बिनी, आपने अमेरिकी दूतावास के बारे में पूछा, ठीक ? मुझे लगता है कि आपने यही प्रश्न रखा था। यह, फिर से, एक मीडिया रिपोर्ट थी । आप हमेशा मुझसे मीडिया रिपोर्ट्स के बारे में पूछते हैं, इसका जवाब देना बहुत मुश्किल है। ठीक है, मैं कहूँगा कि हाँ मामला हमारे ध्यान में आया है, संबंधित दूतावास को सलाह दी गई है कि इस तरह के किसी भी राजनयिक संचार के लिए उपयुक्त चैनल विदेश मंत्रालय और नई दिल्ली में दूतावास के माध्यम से है। रूस के साथ आर्थिक और व्यापार संबंधों के बड़े मुद्दे पर, हमारी स्थिति को मुझे लगता है कि अतीत में कई मौकों पर स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है, और उस पर फिलहाल साझा करने के लिए मेरे पास कोई विशेष अपडेट नहीं है। तो मैं इसे यहीं छोड़ता हूँ ।

अभिषेक: मैं अभिषेक हूँ, मैं सीएनएन आईबीएन से हूँ। महोदय, श्रीलंका में नागरिकों और उनकी सुरक्षा के संबंध में कुछ दूतावासों द्वारा परामर्श दिया गया है। स्विस दूतावास ने कल और अन्य दूतावासों ने भी परामर्श दिया है। क्या हमने अपने नागरिकों, जो श्रीलंका में रह रहे हैं, को इस संकट के बारे में सलाह दी है जिसका हम सामना कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा के बारे में और उन्हें कैसे काम करना चाहिए?

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: देखिए, मुझे वास्तव में हमारे उच्चायोग द्वारा जारी किसी विशेष परामर्श की जानकारी नहीं है। वर्तमान घटनाक्रम के संदर्भ में श्रीलंका में किसी भी अप्रिय घटना में भारतीय नागरिकों के शामिल होने के बारे में हमें जानकारी नहीं है। जहाँ तक हम जानते हैं, श्रीलंका में या श्रीलंका की यात्रा करने वाले सभी भारतीयों से हम आग्रह करेंगे कि वे खुद को नवीनतम घटनाओं से अवगत रखें और तदनुसार अपनी आवाजाही और अन्य गतिविधियों की योजना बनाएँ। वहाँ हमारा उच्चायोग भारतीय सामुदायिक संगठनों और सदस्यों से निकट संपर्क में है। बेशक, उच्चायोग के अधिकारी भी श्रीलंका में हमारे नागरिकों की आवश्यक सहायता के लिए हर समय उपलब्ध हैं और संपर्क विवरण, जिसमें आपातकालीन संपर्क नंबर शामिल हैं, उच्चायोग की वेबसाइट पर और साथ ही साथ सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। जुड़ने के लिए धन्यवाद। नमस्कार।

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