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I2U2 नेताओं के पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन पर विदेश सचिव की विशेष ब्रीफिंग का प्रतिलेख (जुलाई 14, 2022)

जुलाई 14, 2022

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आप सभी को बहुत-बहुत शुभ संध्या। इस विशेष ब्रीफिंग में हमारे साथ जुड़ने के लिए आप सभी का धन्यवाद, जिसे हम अभी-अभी समाप्त हुए चार देशों के शिखर सम्मेलन, जिसे अब I2U2 कहा जा रहा है, के बाद आयोजित कर रहे हैं। इस बात की जानकारी देने के लिए हमारे बीच विदेश सचिव महोदय, श्री विनय क्वात्रा हैं। यहां मंच पर मेरे साथ मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) श्री दम्मू रवि हैं, जो वास्तव में इस प्रक्रिया के शेरपा भी हैं, साथ ही आर्थिक कूटनीति प्रभाग के संयुक्त सचिव नूर रहमान शेख भी हैं। महोदय, मैं अब बिना देर किए आपको मंच सौंप रहा हूं।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: आप सभी मित्रों का बहुत-बहुत धन्यवाद और जैसा कि अरिंदम ने बताया हाल ही में संपन्न I2U2 शिखर सम्मेलन पर इस विशेष ब्रीफिंग में आप सबका, मीडिया के दोस्तों का स्वागत है। मेरे सहयोगी दम्मू और नूर को भी धन्यवाद जो इस ब्रीफिंग के लिए हमारे साथ आए हैं। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज इजरायल के प्रधानमंत्री यायर लैपिड, संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। I2U2 की अवधारणा पिछले साल अक्टूबर में आयोजित चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान रखी गई थी। व्यापक रूप से इसका उद्देश्य छह पारस्परिक रूप से पहचाने गए क्षेत्रों- जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश को प्रोत्साहित करना है। इस समूह के माध्यम से, निजी क्षेत्र की पूंजी को जुटाना और आर्थिक सहयोग के कई क्षेत्रों के लिए इसका इस्तेमाल करना ही मुख्य मंशा है। उनमें से जिन प्रमुख बातों को मैं सूचीबद्ध करना चाहूंगा, वे हैं- विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए विशेषज्ञता का इस्तेमाल, हमारे उद्योगों के लिए निम्न कार्बन विकास के रास्ते तलाशना, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना और टीकों तक पहुंच बनाना, मध्य-पूर्व क्षेत्र के देशों के बीच भौतिक संपर्क को आगे बढ़ाना, अपशिष्ट उपचार के लिए संयुक्त रूप से नए समाधान तैयार करना, संयुक्त वित्तपोषण के अवसरों का पता लगाना, हमारे स्टार्ट-अप्स को I2U2 निवेश से जोड़ना और फिनटेक के क्षेत्र में भी अवसरों को देखना। ये परियोजनाएं, ये प्रारंभिक परियोजना क्षेत्र, आर्थिक सहयोग के लिए एक मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं और निश्चित रूप से इस क्षेत्र में हमारे व्यापारिक लोगों और श्रमिकों के लिए अवसर प्रदान करते हैं।

आज के शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने I2U2 के अन्य नेताओं के साथ हमारे संबंधित क्षेत्रों और उसके बाहर आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक स्पष्ट और बहुत ही उद्देश्यपूर्ण बातचीत की। मैं यहाँ तक कहूँगा कि शिखर सम्मेलन का एक बहुत ही सकारात्मक, रचनात्मक और ठोस एजेंडा भी था, जिसमें विशिष्ट परियोजनाओं को बढ़ावा देने, विशिष्ट संयुक्त परियोजनाओं एवं हमारे संबंधित देशों और हमारे क्षेत्रों के लाभ के लिए साझा क्षेत्रीय विषयों पर चर्चा भी शामिल रही। I2U2 सहयोग की संभावित संयुक्त परियोजनाओं और अन्य प्राथमिकताओं को पहले ही संयुक्त वक्तव्य में शामिल कर लिया गया है जो आपके उपयोग के लिए सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है। मैं इस अवसर पर दो प्रमुख संयुक्त परियोजनाओं पर प्रकाश डालना चाहूंगा जिन पर नेताओं ने चर्चा की और जिससे पूर्व चार देशों के शेरपाओं के बीच हुईं शेरपा स्तर की बैठकों में तैयारियां हुईं। पहली परियोजना फूड कॉरिडोर से संबंधित है। इस परियोजना के तहत, संयुक्त अरब अमीरात पूरे भारत में एकीकृत फूड कॉरिडोर की एक श्रृंखला विकसित करने के लिए तक़रीबन 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने को इच्छुक है, जो भोजन की बर्बादी और खराबी को कम करने के लिए जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियों को तैनात करेगा, साथ ही साथ ताजे पानी का संरक्षण करेगा और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का भी इस्तेमाल करेगा। इस प्रयास में, अमेरिका और इजरायल के निजी क्षेत्र इस परियोजना में भागीदार के रूप में अपनी विशेषज्ञता साझा करेंगे एवं परियोजना की समग्र स्थिरता में योगदान करने वाले नए समाधानों की पेशकश पर भी विचार करेंगे। भारत ने इस परियोजना का स्वागत किया और वह इसके सफल संचालन की दिशा में पर्याप्त सुविधा प्रदान करेगा। यह परियोजना ज़मीनी स्तर पर चार मुख्य प्रकार से लोगों को जोड़ती है। उनमें से एक निश्चित तौर पर फसल की पैदावार को अधिकतम करना है, दूसरा भारतीय किसानों की आय में वृद्धि करना, तीसरा दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा में समग्र योगदान देना और इस मामले में, मध्य-पूर्व में भी इसका विस्तार करना है।

दूसरी परियोजना अक्षय ऊर्जा से संबंधित है। I2U2 देश गुजरात के द्वारका में एक हाइब्रिड नवीकरणीय परियोजना को आगे बढ़ाएंगे, जिसमें बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली द्वारा पूरित 300 मेगावाट पवन और सौर क्षमता शामिल होगी। अमेरिकी ट्रेड एंड डेवलपमेंट एजेंसी (यूएसटीडीए) ने पहले ही इस परियोजना की व्यवहार्यता के अध्ययन के लिए लगभग 330 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्त पोषण किया है। संयुक्त अरब अमीरात स्थित कंपनियां इस परियोजना में जानकारी और निवेश भागीदार के रूप में काम करने के मौके तलाश रही हैं। इज़रायल और अमेरिका इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र के अवसरों को रेखांकित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात और भारत के साथ काम करने का इरादा रखते हैं। बेशक, भारतीय कंपनियां इस परियोजना में भाग लेने और 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता हासिल करने के भारत के लक्ष्य में योगदान देने के लिए बहुत उत्सुक हैं। वास्तव में, ऐसी परियोजनाओं में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला केंद्र बनाने की क्षमता है।

इन दो विशिष्ट परियोजनाओं के अलावा, I2U2 के नेताओं ने अन्य साझा हितों के क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की। जैसा कि मैंने शुरुआत में उल्लेख किया है, ये क्षेत्र मुख्य रूप से कनेक्टिविटी के साथ-साथ बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण कैसे करें, इससे भी संबंधित हैं। दूसरा, निम्न कार्बन विकास के मार्ग को कैसे आगे बढ़ाया जाए, सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र, अपशिष्ट उपचार के समाधान, स्टार्ट-अप को I2U2 निवेश मंच और फिनटेक क्षेत्र से कैसे जोड़ा जाए। फिनटेक क्षेत्र में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विशेष रूप से I2U2 क्षेत्रों में UPI भुगतान प्रणाली के विस्तार के महत्व और क्षमता पर प्रकाश डाला। शिखर सम्मेलन के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने इज़राइल के प्रधानमंत्री को अपने देश के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने पर बधाई और शुभकामनाएं दीं। कुल मिलाकर, शिखर सम्मेलन में चर्चा बहुत उपयोगी और उत्पादक थी और इसके लिए तंत्र मौजूद हैं और हम इन स्थापित तंत्रों के माध्यम से अपने I2U2 भागीदारों और अन्य हितधारकों के साथ इस शिखर सम्मेलन के परिणामों को आगे बढ़ाने की उम्मीद करते हैं, जिनका नेतृत्व शेरपा स्तर पर किया जाता है। मैं यहां रुकूँगा और जो प्रश्‍न हैं, उनका उत्‍तर दूंगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद महोदय। हम कुछ प्रश्न लेंगे। कृपया अपना और उस संगठन का परिचय दें जिसका आप प्रतिनिधित्व करते हैं।

येशी: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से मैं येशी सेली। मैं इन फ़ूड कॉरिडोर के बारे में कुछ और जानना चाहती हूँ। इसमें क्या शामिल है? और क्या भारत में ऐसे स्थान हैं जिनकी पहचान कर ली गई है, जहां उनके होने की संभावना है? और दूसरी बात, इस I2U2 से पहले भारत, इजरायल और यूएई के बीच यह ग्रुप था। क्या यह अभी भी कायम है या इसे आपस में मिला दिया गया है?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: त्रिपक्षीय?

येशी: हाँ, त्रिपक्षीय।

निवेदिता: मैं स्वराज्य से निवेदिता। क्या इस पहल, इस विशेष समूह के गठन के समय के पीछे कोई विशेष कारण है? और दूसरी बात, क्या चीन इसमें एक कारक है?

मधुरेन्द्र: सर मैं मधुरेन्द्र न्यूज़ नेशन से, I2U2 को लेकर ये कहा जा रहा है कि पश्चिमी एशिया का क्वाड है तो, इसके पहले वर्चुअल समिट के बाद इस टर्म को आप कैसे डिफाइन करना चाहेंगें अगर पश्चिमी एशिया का इसे क्वाड कहें इसे तो?

सिद्धांत: नमस्ते सर, मैं सिद्धांत विऑन से। महोदय, इस समूह की बैठक के संदर्भ में कौन सा तंत्र होगा? क्या ये सालाना तौर पर मिलेंगे या इसका प्रारूप कैसा है?

अखिलेश सुमन: सर मैं संसद टीवी से अखिलेश सुमन हूँ। I2U2 शिखर सम्मेलन, यह I2U2 का पहला शिखर सम्मेलन है और संयोग से वो समय है जब श्रीलंका में संकट चल रहा है, विशेष रूप से श्रीलंका में खाद्य सुरक्षा दांव पर है। तो क्या आपने श्रीलंका की स्थिति के बारे में कुछ बात की और क्या चारों देश सहयोग कर सकते हैं जब श्रीलंका अपने अस्तित्व के सबसे खराब संकट से गुजर रहा है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: चूंकि आप इसे शिखर सम्मेलन के संदर्भ में लाने में कामयाब रहे हैं, इसलिए हम फिलहाल इसकी अनुमति देंगे।

विजयलक्ष्मी: सर विजयलक्ष्मी हूँ इंडिया टीवी से, ये जो I2U2 का जो एडवांस हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट है इसका कोई टाइमलाइन है? कैसे इसपर काम होगा? कब से शुरू होगा या थोड़ी जानकारी मिल पाए?

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: धन्यवाद। फूड कॉरिडोर पर सवाल के संबंध में, फूड कॉरिडोर से संबंधित इस विशेष परियोजना में हमारा प्रयास इसे इस तरह से आकार देना है जिससे यहां के छोटे और सीमांत किसानों को लाभ हो। जिन प्रस्तावित फूड पार्कों के बारे में बात की जा रही है, उनके कुछ उद्देश्य हैं जिन्हें हासिल करने की कोशिश की जाएगी। उनमें से एक ये है कि इन फूड कॉरिडोर के माध्यम से, आप I2U2 की अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार बाधाओं को कैसे कम करते हैं, आप कैसे करते हैं, और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है - आप खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का सामंजस्य कैसे करते हैं? तीन, सामंजस्य के अलावा, आप इसे कैसे खराब होने वाले खाद्य उत्पादों को निर्यात करने के लिए खुद को बेंचमार्क के अवसर के रूप में उपयोग करते हैं जिन्हें आप इस कॉरिडोर में विकसित करेंगे और उनका विश्व स्तर पर निर्यात करेंगे? न केवल यह परियोजना बहुत विशिष्ट है, मुझे लगता है कि परियोजना के परिणाम भी उतने ही विशिष्ट हैं, व्यापार सुविधा तंत्र के संदर्भ में, और साथ ही उत्पाद, इस मामले में खाद्य उत्पाद, के वास्तविक निर्यात के संदर्भ में। स्वाभाविक रूप से, कॉरिडोर संयुक्त अरब अमीरात के ज़रिये शुरू होने वाले खाड़ी के रणनीतिक बाजारों तक पहुंच प्रदान करेगा, जहां इसे लक्षित किया गया है। यह भारतीय सेटअप के भीतर स्वत: ही रोजगार सृजन के महत्वपूर्ण अवसरों को भी जन्म देगा। जहां तक मेरी समझ है, यह अनिवार्य रूप से दोनों देशों में निजी क्षेत्रों द्वारा शासित एक प्रयास होगा और फूड पार्क की आर्थिक गतिविधि का क्षेत्र राज्य सरकारों के अधीन होगा। मैं समझता हूं कि अभी स्टार्टअप का विचार इसे दो राज्यों में स्थापित करने का है, मेरा मतलब है कि दोनों राज्य अभी उस अवसर की तलाश कर रहे हैं। मुझे लगता है कि उनमें से एक गुजरात है, दूसरा मध्य प्रदेश है। तो ये दो राज्य हैं जिनमें यह विशेष फूड कॉरिडोर, फूड पार्क परियोजना शुरू की जाएगी। वहां किस तरह की खाद्य उत्पाद फसलें उगाई जाएंगी, इसकी प्रारंभिक तौर पर पहचान करने को लेकर भी चर्चा हुई है। और प्रारंभिक सूची एक संपूर्ण सूची नहीं है, लेकिन इसमें केला, आलू, चावल, मसाले, प्याज जैसी चीजें शामिल हैं, ये स्पष्टतः कुछ फोकस फसल क्षेत्र हैं। आगे बढ़ते हैं, तो इस सूची का विस्तार इस आधार पर हो सकता है कि जमीन पर गतिविधि कैसे आगे बढ़ती है।

मेरी समझ से I2U2 शिखर सम्‍मेलन के समय से संबंधित कुछ प्रश्‍न थे। मुझे लगता है, जैसा कि मैंने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में भी उल्लेख किया था, I2U2 शिखर सम्मेलन की परिकल्पना पिछले साल अक्टूबर में की गई थी। तब से, I2U2 देशों के शेरपा न केवल आज की चर्चा के लिए मूल सामग्री को आकार देने में लगे हुए हैं, बल्कि इस शिखर सम्मेलन के समय को लेकर काम कर रहे हैं। इसलिए मुझे लगता है कि I2U2 के भीतर, I2U2 देशों के बीच सहयोग और भारत के लिए, I2U2 में प्रत्येक देश एक रणनीतिक भागीदार है। मुझे लगता है कि यह सहयोग, इसकी दिशा, इसका प्रमुख आर्थिक अभिविन्यास, इसकी अपनी योग्यता पर आधारित है, और इसे इसी तरह लिया जाना चाहिए, किसी अन्य देश के संदर्भ में नहीं।

आपका एक प्रश्न था कि I2U2 को पश्चिमी क्वाड के रूप से परिभाषित किया जाए की नही? मेरे हिसाब से I2U2 को I2U2 ही परिभाषित करे तो उत्तम रहेगा, वो अपने आप में प्रत्यक्ष है उसको किसी और रूप में परिभाषा देने की मेरे ख्याल से इस समय आवश्यकता ना है, ना ही वो तर्क संगत और ना ही तथ्य संगत है एक प्रकार से देखा जाए तो।

इस संबंध में कि क्या श्रीलंका में संकट पर कोई चर्चा हुई थी और I2U2 इसे कैसे देखता है, जैसा कि मैंने आपको बताया कि I2U2 के भीतर आर्थिक सहयोग के प्रमुख क्षेत्र अनिवार्य रूप से उनमें से छह या सात हैं। इन छह या सात क्षेत्रों से संबंधित विशिष्ट परियोजनाएं हैं जिन पर विचार किया जा रहा है। उनमें से दो को मैंने विशेष रूप से सूचीबद्ध किया है। यह हमारी धारणा है और हमारा प्रयास, यहां तक कि हमारा उद्देश्य भी है कि इन परियोजनाओं में विशिष्ट सहयोग से क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है, लेकिन इस मामले में खाद्य सुरक्षा के बड़े वैश्विक मुद्दों को भी लाभ होता है। विशेष रूप से श्रीलंका चर्चा में नहीं आया। चर्चा का प्रारूप I2U2 देशों के बीच संयुक्त आर्थिक सहयोग पर केंद्रित है और आगे इसका एक विस्तारित रूप यह है कि यह इस क्षेत्र और उससे आगे के अन्य देशों की कैसे मदद करता है।

विजयलक्ष्मी जी जो आपका प्रश्न था हाइब्रिड से लेके मेरे ख्याल से, हाइब्रिड प्रोजेक्ट 300 MW का जैसा कि मैंने जिक्र किया इसमें लगभग 200 MW विंड एनर्जी के रूप से है, 100 MW सोलर के उसमें है और बैटरी स्टोरेज कॉम्पोनेन्ट जो इसमें है वो लगभग 100 से 500 MW के बीच की सक्षमता का है। ये बैटरी स्टोरेज वाला जो एरिया है वो थोडा नया और इमर्जिंग वाला एरिया है लेकिन एक स्थिर और निरंतर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई के लिए ये एक सक्षम, सुदृढ़ बैटरी सप्लाई स्टोरेज सिस्टम जो है नितांत आवश्यक पाया गया है इसके लिए। ये प्रोजेक्ट जैसा कि मैंने कहा भारत को एक रिन्यूएबल स्पेस में एक ग्लोबल एनर्जी सप्लाई चेन के हब बनने में सहायता करेगा। द्वारका गुजरात में इसके स्थापना का प्रस्ताव है, इसपे आगे इसका किस तरह से इम्प्लीमेंटेशन हो, प्राइवेट सेक्टर का इन्वॉल्वमेंट इसमें कैसे हो, कौन-कौन सा प्राइवेट सेक्टर इसमें सम्मिलित हो ये सब इम्प्लीमेंटेशन की जो डिटेल्स है ये शेरपा स्तर पे इसमें काफी बाते हो चुकी है, काफी बाते इसमें होनी थोड़ी बाकी है।

मुझे लगता है कि समय अंतराल को लेकर सिद्धांत का सवाल था, मुझे लगता है कि इस पर अभी चर्चा चल रही है, लेकिन हम उम्मीद करेंगे कि इस तरह के शिखर सम्मेलन नियमित समय अंतराल पर होते रहें, विशेष रूप से सहयोग के एजेंडे की प्रकृति को देखते हुए, जो बहुत मजबूत, बहुत व्यापक है और यह देखते हुए कि हमने अभी-अभी शुरुआत ही की है। कई क्षेत्रों में दोनों परियोजनाओं पर व्यापक चर्चा के साथ, हम उम्मीद करेंगे कि यह जल्दी-जल्दी हो। समय अंतराल एक ऐसी चीज है जो जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, तय होता जाएगा। शुक्रिया।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद महोदय। अब मैं प्रश्न का अगला दौर लूँगा।

येशी: महोदय, त्रिपक्षीय प्रश्न।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: भारत-इजरायल-यूएई त्रिपक्षीय पर आपका प्रश्न, मुझे लगता है कि आप पाएंगे कि विभिन्न अन्य तंत्र कैसे सामने आते हैं, जो सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, अन्य द्विपक्षीय या त्रिपक्षीय तंत्र का क्षेत्र इसकी परवाह किए बिना जारी रहता है कि I2U2 जैसे अन्य संरचित तंत्रों के तहत क्या होता है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद महोदय।

चंद्रकला: सर मैं ईटीवी भारत से चंद्रकला। निश्चित रूप से आप जानते हैं, पूरे पश्चिमी हिंद महासागर में भू-राजनीतिक बदलाव हो रहे हैं, तो नया समूह कितना महत्वपूर्ण है और I2U2 में भारत की क्या भूमिका होगी?

सृंजॉय: सर टाइम्स नाउ। सर आपने आर्थिक मुद्दों पर बहुत बात की। आपने अब तक जो कुछ भी बोला है वह आर्थिक विषयों से संबंधित है। आज विश्व में ऊर्जा संकट को देखते हुए क्या पेट्रोलियम का सवाल उठा? और श्रीमान, आर्थिक मुद्दों के अलावा, क्या यूक्रेन, ईरान से संबंधित मुद्दे थे, यह देखते हुए कि इजरायल और अमेरिका वहां थे, अफगानिस्तान, आतंकवाद क्या ये मुद्दे सामने आए?

कल्लोल: द हिंदू से कल्लोल सर। महोदय चूंकि फूड पार्क किसानों से संबंधित हैं, क्या इस योजना पर किसानों के साथ चर्चा की गई है?

महा: एनडीटीवी से सर महा। महोदय, मैं खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या यूक्रेन का मुद्दा उठा? और क्योंकि अमेरिका भारत के गेहूं पर प्रतिबंध की आलोचना करता रहा है, क्या यह बात सामने आई?

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: धन्यवाद। पश्चिम हिंद महासागर में संकट और भारत की भूमिका, हम इसे I2U2 से कैसे जोड़ते हैं, मुझे लगता है कि यह आपका प्रश्न था। मैं इसे उस प्रश्न के साथ भी जोड़ दूं जो टाइम्स नाउ से आया था, जैसा कि आप जानते हैं, हमने कहा कि मैंने केवल आर्थिक मुद्दों का उल्लेख किया है, क्या अफगानिस्तान, आतंकवाद, ऊर्जा सुरक्षा आदि से संबंधित प्रश्न आए या नहीं। मैं इसे इस परिप्रेक्ष्य के साथ रखूँगा कि वास्तव में I2U2 के नेता और भारत इस सहयोग के उद्देश्य की दिशा और प्रयासों को कैसे देखते हैं। I2U2 सहयोग का मुख्य अभिविन्यास और दृष्टिकोण आर्थिक सहयोग है। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, इसका उद्देश्य I2U2 अर्थव्यवस्थाओं में निजी पूंजी जुटाना और इसे आर्थिक गतिविधि के मूर्त क्षेत्रों, विशिष्ट परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल करना है, जिनके क्षेत्रों को मैंने सूचीबद्ध किया है- जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा। यह वर्तमान में इसमें शामिल चारों देशों के बीच I2U2 आर्थिक जुड़ाव का परिभाषित दायरा है। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, भारत की प्रत्येक I2U2 देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी है। इसमें भारत की भूमिका एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी, एक मुख्य भूमिका होगी, और एक ऐसी भूमिका भी होगी जिसमें हम अपने देश में वास्तविक आर्थिक गतिविधियों के इन क्षेत्रों में से कई को सुगम बनाएंगे और शुरू करेंगे। आगे बढ़ते हुए, जैसा कि मैंने आपको बताया, यदि आप सहयोग के क्षेत्रों को देखते हैं, जैसे I2U2 देशों की पूंजी समृद्ध प्रकृति को जोड़ना, तो हम इसे भारत में स्टार्ट-अप नवाचार क्षेत्र से कैसे जोड़ सकते हैं, उदाहरण के लिए, फिनटेक से? जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, फिनटेक के क्षेत्र में, उत्पादों और सेवाओं दोनों के मामले में, एवं अब और अधिक प्लेटफार्मों के मामले में, भारत में अभूतपूर्व और उल्लेखनीय क्षमताएं हैं। जाहिर है, ये हमें I2U2 अर्थव्यवस्थाओं में अपनी आर्थिक क्षमताओं का विस्तार करने में सक्षम होने के लिए एक ठोस आधार प्रदान करेंगे। इसलिए I2U2 सेगमेंट में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। किसानों के साथ चर्चा के प्रश्न के संबंध में, मुझे लगता है कि जब विशिष्ट फ़ूड कॉरिडोर परियोजना लागू की जाती है, और इसके कार्यान्वयन के तरीके से स्वाभाविक रूप से यह सुनिश्चित होगा कि इस प्रक्रिया में सभी हितधारकों को शामिल किया जाए और इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन से पहले उनसे पूरी तरह से परामर्श किया जाए। गेहूं प्रतिबंध, यूक्रेन आदि का मुद्दा आया या नहीं, इसका उत्तर है नहीं, ये मुद्दे नहीं आए।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: बहुत-बहुत धन्यवाद। इस विशेष ब्रीफिंग में शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। मैं विदेश सचिव महोदय के साथ-साथ सचिव (आर्थिक संबंध) और संयुक्त सचिव (ईडी) को अपना समय देने के लिए धन्यवाद देता हूं। कृपया हमारे साथ बने रहें। लगभग 10 - 15 मिनट के छोटे ब्रेक के बाद, हम अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के साथ फिर से शुरू करेंगे। शुक्रिया।

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