मीडिया सेंटर

प्रधानमंत्री की जर्मनी यात्रा पर विशेष वार्ता का प्रतिलेख (जून 27, 2022)

जून 28, 2022

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: आप सभी को नमस्कार, वैरी गुड इवनिंग । यहाँ आने के लिए धन्यवाद, मैं जानता हूँ कि थोड़ी देर हो चुकी है। हम अभी-अभी श्लॉस एल्मौ से म्यूनिख लौटे हैं और हम विदेश सचिव महोदय को वास्तव में धन्यवाद देते हैं कि वेश्लॉस एल्मौ से सीधे यहाँ इस महत्वपूर्ण विषय पर हमें जानकारी देने के लिए आए हैं । जैसा कि आप जानते हैं, प्रधानमंत्री एक महत्वपूर्ण दौरे पर हैं, आज म्यूनिख, कल संयुक्त अरब अमीरात के लिए।और अधिक न कहते हुए,मैं विदेश सचिव महोदय को आमंत्रित करना चाहता हूँ । इसके अलावा, मैं मंच पर उपस्थित विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) श्री दम्मू रवि महोदय और साथ ही विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (बहुपक्षीय आर्थिक संबंध) श्री निनाद देशपांडे का परिचय कराना चाहूँगा,जो यहाँ हमारे साथ हैं। महोदय, मैं मंच आपको सौंपता हूँ ।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव:
अरिंदम, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरे सहयोगी, श्री दम्मू रवि, निनाद, और मीडिया के मित्रगण। जी7 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की म्यूनिख और श्लॉस एल्मौ की यात्रा पर इस वार्ता के लिए देर रात यहाँ हमारे साथ जुड़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रधानमंत्री श्लॉस एल्मौ में कई बैठकों के एक व्यस्त दिन से अभी-अभी लौटे हैं। कल भी, जैसा कि आपको मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से पता होगा, उनके कई कार्यक्रम थे और वे कल सुबह संयुक्त अरब अमीरात के लिए प्रस्थान करेंगे।

यह तीसरा जी-7 शिखर सम्मेलन था जिसमें प्रधानमंत्री भाग ले रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि जी7 जैसी महत्वपूर्ण सभाओं में भारत की उपस्थिति और योगदान को सभी वैश्विक भागीदारों द्वारा महत्व दिया जाता है। भारत को, वर्तमान में दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए एक समाधान प्रदाता और किसी भी निरंतर प्रयास के हिस्से के रूप में देखा जाता है ।आपने, निश्चित रूप से विभिन्न सोशल मीडिया पोस्टों, अन्य नेताओं के उनके प्रति हाव-भाव और माननीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करते समय, विशेष रूप से प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में जो सम्मान, सौहार्द और सहजता वे प्राप्त करते हैं, के माध्यम से इसे नोटिस किया होगा। जी-7 में प्रधानमंत्री आज दोनों पूर्ण सत्रों में बोले । पहला सत्र बेहतर भविष्य में निवेश की थीम पर था, जो जलवायु, ऊर्जा और स्वास्थ्य पर केंद्रित था।दूसरा सत्र "एक साथ अधिक मजबूत" विषय पर था, जिसमें खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता के मुद्दे को संबोधित किया गया था। प्रधानमंत्री के हस्तक्षेपों को पहले ही सार्वजनिक किया जा चुका है, और आपने देखा होगा कि इन दो पूर्ण अधिवेशनों में हस्तक्षेपों के प्राथमिक फोकस में प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं जैसे कि: एक, ऊर्जा पर - कि ऊर्जा का उपयोग विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए और ऊर्जा पर सभी का समान अधिकार है। दूसरा, प्रधानमंत्री ने पर्यावरण अभियान के लिए जीवन शैली, जीवन अभियान और ग्रह समर्थक लोग बनने के बारे में बहुत दृढ़ता से बात की। पर्यावरण अभियान के लिए जीवन शैली, ‘जीवन’ की व्यापक स्वीकृति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि परिणाम दस्तावेजों में से एक, पर्यावरण पहल के लिए जीवन शैली का बहुत स्पष्ट संदर्भ देता है, जो कि जी7 शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष का सारांश है।

दूसरा, भारत हर नई तकनीक को वैश्विक स्तर पर वहनीय बनाने के लिए पैमाना प्रदान कर सकता है।एक विश्व-एक स्वास्थ्य के लिए भारत का दृष्टिकोण - इसमें पीएम ने स्वास्थ्य क्षेत्र; समग्र स्वास्थ्य में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की क्षमता; और योग और पारंपरिक चिकित्सा के महत्त्व; साथ ही, भारत में पारंपरिक चिकित्सा के लिए डब्ल्यूएचओ के वैश्विक केंद्र की स्थापना को रेखांकित किया। जी7 शिखर सम्मेलन में आज प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप का यह एक अन्य प्रमुख बिंदु था। कमजोर देशों और विशेष रूप से हमारे पड़ोस में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने; उर्वरकों की मूल्य श्रृंखला को सुचारू और चालू रखने की दिशा में भारत का योगदान। बाजरा और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का अभिनव उपाय एक और विचार था, जिसे प्रधानमंत्री ने अपने हस्तक्षेप के दौरान बहुत दृढ़ता से सामने रखा। लैंगिक समानता पर प्रधानमंत्री ने महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की ओर बदलते हुए भारत के दृष्टिकोण के बारे में बात की।

जी7 शिखर सम्मेलन के लिए दो परिणाम दस्तावेज हैं। पहला लचीले लोकतंत्र का बयान है। यह जलवायु परिवर्तन और कोविड -19 महामारी और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सहित वैश्विक चुनौतियों के निष्पक्ष, समावेशी और स्थायी समाधान की दिशा में काम करने वाले हमारे लोकतंत्र के लचीलेपन को मजबूत करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह लोकतंत्र के सिद्धांतों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रत्येक देश में मौजूद राष्ट्रीय कानूनों और विनियमों के महत्व को भी स्वीकार करता है। दूसरा परिणाम दस्तावेज़, जिसका उल्लेख मैंने अपनी टिप्पणी में पहले किया था, वह है न्यायपूर्णऊर्जा संक्रमण साझेदारी पर अध्यक्ष का सारांश। इस अध्यक्ष सारांश में वह साझेदारी शामिल है, जिसके तहत जी7 सदस्य और भारत सहित कई देश ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जलवायु मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। भारत जलवायु परिवर्तन, टिकाऊ बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा सुरक्षा, कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा, वैश्विक स्वास्थ्य, महामारी के बाद की रिकवरी, लैंगिक समानता आदि जैसे क्षेत्रों में कार्य करने में सबसे आगे रहा है, आज की जी7 बैठक में प्रधानमंत्री की भागीदारी इन सभी महत्वपूर्ण विषयों और मुद्दों पर हमारे परिप्रेक्ष्य को साझा करने का एक अवसर था। और आज शिखर सम्‍मेलन में अन्‍य प्रतिभागियों ने इनका खूब स्‍वागत किया। हमारी आगामी जी 20 अध्यक्षता हमें इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि आज अधिकांश प्रतिभागी जी20 के भी सदस्य हैं। प्रधानमंत्री ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के साथ बहुत ही उपयोगी द्विपक्षीय बैठकें कीं। कल, उन्होंने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज के साथ अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक की। इस बैठक में विशेष रूप से फार्मास्युटिकल क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाना चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था। दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग, जलवायु परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा में सहयोग के साथ-साथ दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के उपायों पर भी चर्चा की।

आज, प्रधानमंत्री ने जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से मुलाकात की और उनके निमंत्रण और आतिथ्य के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। पिछले दो ही महीनों में दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात है। आपको स्‍मरण होगा कि प्रधानमंत्री जी पिछले महीने अंतर-सरकारी परामर्श के लिए बर्लिन गए थे। आज दोनों नेताओं ने हरित और सतत विकास साझेदारी को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया ।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ चर्चा में विकासशील देशों में कोविड -19 टीकों के उत्पादन पर डब्ल्यूटीओ के हाल के निर्णय पर विमर्श हुआ, जहाँ भारत और दक्षिण अफ्रीका ने पहल की थी और परिणाम सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम किया था। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से व्यापार और निवेश, खाद्य सुरक्षा, रक्षा, फिनटेक, डिजिटल वित्तीय समावेशन और कौशल विकास की संवीक्षा भी की।

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ, प्रधानमंत्री की चर्चा में इंडोनेशिया की वर्तमान जी20 अध्यक्षता और भारत और इंडोनेशिया के बीच जी20 में शामिल मुद्दों और एजेंडे के संबंध में द्विपक्षीय सहयोग के तत्वों पर ध्यान केंद्रित किया गया ।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ, चर्चाओं का फोकस व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने, सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग और आतंकवाद का मुकाबला करने के साथ-साथ लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान पर था।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के साथ, चर्चाओं में भारत-यूरोपीय संघ के व्यापार और निवेश संबंधों को गहरा करने की आवश्यकता और व्यापार, निवेश और जीआई समझौतों, व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के कार्यान्वयन पर बातचीत को फिर से शुरू करने के माध्यम से इस संबंध में हाल की गतिविधि, जो उर्सुला वॉन डेर लेयेन की हाल की भारत यात्रा के दौरान संपन्न हुई थी और साथ ही द्विपक्षीय सहयोग के कुछ तत्वों को शामिल किया गया जो यूरोपीय संघ और भारत के सदस्यों ने आर्थिक क्षेत्रों में अपनाए हैं।

जैसा कि आप सभी जानते हैं, कल माननीय प्रधानमंत्री जी ने म्यूनिख में ऑडी डोम में भारतीय समुदाय की एक बड़ी सभा को भी संबोधित किया। उपस्थित लोगों का उत्साह हम सभी को, जो वहाँ मौजूद थे, दिखाई दे रहा था। कल रात बवेरिया के मंत्री-राष्ट्रपति द्वारा आयोजित रात्रिभोज में प्रधानमंत्री भी विशिष्ट अतिथि थे, जिसके दौरान प्रधानमंत्री ने बवेरिया राज्य और भारत के बीच घनिष्ठ संपर्कों पर प्रकाश डाला।

कुल मिलाकर, मैं कहूँगा कि जर्मनी में और जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री की भागीदारी साथी लोकतंत्रों, जी7 की सरकारों के प्रमुखों और आउटरीच देशों के साथ परिप्रेक्ष्यों को साझा करने और वैश्विक और क्षेत्रीय घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का एक शानदार अवसर रहा है। जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया था, कि वहाँ भारत की जी20 की आगामी अध्यक्षता में और वैश्विक चुनौतियों के मुद्दों को संबोधित करने, मुद्दों से निपटने में भारत क्या भूमिका और योगदान देगा, में स्पष्ट रुचि थी।हम इन वार्ताओं के माध्यम से आगे बढ़ते हुए महत्व के वैश्विक मुद्दों पर अपने सभी भागीदारों के साथ जुड़ना जारी रखेंगे। मैं अब यहाँ समाप्त करना चाहता हूँ और यदि कोई प्रश्न हैं, तो उन्हें लेने में मुझे खुशी होगी। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: महोदय, इस व्यापक परिप्रेक्ष्य के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं पहले से ही प्रश्नों के लिए कुछ उठे हुए हाथ देख सकता हूँ। कृपया अपना और संगठन का परिचय दें।

मनीष झा:
महोदय, मनीष झा, टीवी9 भारतवर्ष। (अश्रव्य)

सिद्धांत: महोदय, विऑन से सिद्धांत । प्रधानमंत्री और कनाडा के प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय वार्ता में क्या खालिस्तानी उग्रवाद का कोई उल्लेख था?यह उल्लेख किया गया था कि आतंकवाद और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया गया था, तो क्या खालिस्तानी उग्रवाद का विशेष उल्लेख था?

मनीष चंद: मनीष चंद, इंडिया राइट्स नेटवर्क से । महोदय, यूक्रेन संकट जी7 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में सबसे ऊपर था। हम बैठक में नहीं हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि कई नेताओं के साथ चर्चा, द्विपक्षीय चर्चा हुई होगी। आपकी क्या समझ है, वे रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगा रहे हैं और हम रूस के साथ अभी भी काफी व्यापक साझेदारी बनाए हुए हैं।क्या आपको लगता है कि हम भारी दबाव में आ जाएँगे, उनकी क्या उम्मीदें हैं?

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव:मनीष जो आपका प्रश्न था कि राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री कि जो जिस विडियो का आपने जिक्र किया उसमें। देखिए प्रधानमंत्री जी की आज जितनी भी द्विपक्षीय वार्ताएं हुई जिन-जिन नेताओं से भी बात हुई और समिट की प्लेनरी सेशनके दौरान भी जिन जिन से पुल असाइड में बातचीत हुई, पूरा वातावरण जो है जैसा की मैंने अपने रिमार्क्समें भी कहा, एक बहुत ही प्रधानमंत्री जी की जितनी भी वार्ता भेंट हुई, माहौल जो है एक बहुत ही गर्मजोशी, मित्रता, सद्भाव से प्रेरित था। पूरी तरह से और जिस तरह से अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मीटिंग्स का जो स्वरूप होता है उसमें काफी बातचीत जो है वो साइड-लाइन्स में ही हो जाती है, कुछ मीटिंग्स औपचारिक भी होती है, कुछ मीटिंग्स अनौपचारिक भी होती है वो साइड-लाइन्स पे भी बात होते रहती है | मगर, मैं संक्षिप्त में यही कहूँगा कि हर नेता के साथ जो प्रधानमंत्री जी की वार्ता हुई, जो मुलाकात हुई बहुत ही मित्रतापूर्ण और गर्मजोशी के वातावरण में हुई और जो भी उन नेताओं के साथ हमारे बाइलैटरल संबंधों को लेके जो महत्वपूर्ण मुद्दे थे, उनके बारें में बातचीत हुई और ये वार्ता, ये बातचीत केवल समिट के प्लेनरी सेशनतक ही सिमित नही थी उसके अलावा साइड-लाइन्स पे जो बाकि इन्फॉर्मल सेशन्स भी थे उसमें भी जो बातचीत को आगे बढ़ाने का काफी जो है वो अवसर प्रदान हुआ था |

सिद्धांत, आपका प्रश्न है कि क्या प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ विचार-विमर्श में चर्चा के लिए क्या आया आदि। प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ अपनी चर्चा में जिन क्षेत्रों का मैंने उल्लेख किया, उनमें अनिवार्य रूप से व्यापार और निवेश संबंध, सुरक्षा और आतंकवाद-विरोधी सहयोग और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देना शामिल है। प्रधानमंत्री ने कनाडा के प्रधानमंत्री को, और अन्य नेताओं को भी यह स्पष्ट कर दिया कि हम सभी के सामने प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में से एक आतंकवाद की चुनौती है और यह एक ऐसी चीज है जिस पर भारत ने लगातार शून्य सहनशीलता का रुख अपनाया है और इसे अपनाने की वकालत की है और प्रधानमंत्री ने जहाँ भी यह सन्दर्भ आया है सभी नेताओं के साथ और निश्चित रूप से कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ भी अपनी द्विपक्षीय बातचीत में इसे बहुत स्पष्ट कर दिया है।

मनीष, जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन मुद्दे के उठने के संबंध में आपका प्रश्न, आपके प्रश्न में रूस-यूक्रेन आदि के संबंध में नए सिरे से दबाव का भाव था । मैं समझता हूं कि स्‍वाभाविक रूप से पूर्ण सत्र के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच की स्थिति चर्चा का एक महत्‍वपूर्ण बिंदू थी। प्रधानमंत्री ने अपने दोनों हस्तक्षेपों में, पहला जलवायु ऊर्जा पर और दूसरा खाद्य सुरक्षा और दूसरे विषय लैंगिक समानता पर, दोनों सत्रों में प्रधानमंत्री ने रूस-यूक्रेन स्थिति पर भारत ने जिस स्थिति की वकालत की है, उसके संदर्भ में बहुत स्पष्ट किया, जिसका मैंने कई मौकों पर उल्लेख किया है और इसमें अनिवार्य रूप से तत्काल या जल्द से जल्द शत्रुता को समाप्त करना और स्थिति को हल करने के लिए बातचीत और कूटनीति के दो मार्ग शामिल हैं।

लेकिन प्रधानमंत्री जी ने भी बहुत दृढ़ता से इसे आगे बढ़ाया और मुझे लगता है कि हम उस पहलू में काफी महत्वपूर्ण भागीदार हैं, निश्चित रूप से, हम भी उस परिणाम का सामना करते हैं जो रूस-यूक्रेन संघर्ष का नॉकडाउन प्रभाव है। चाहे वह खाद्य सुरक्षा के संकट के संदर्भ में हो, विशेष रूप से कमजोर देशों पर, चाहे वह उर्वरक सुरक्षा की चुनौती हो, जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं, या ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित मुद्दों से भी संबंधित हैं। और प्रधानमंत्री ने यह बहुत स्पष्ट किया कि भारत योगदान देने में सबसे आगे रहा है, कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की खाद्य सुरक्षा की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए हम इसे यथासंभव सर्वोत्तम सीमा तक संबोधित कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते ऊर्जा सुरक्षा एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण मुद्दा बन गया है। लेकिन जब वैश्विक तेल व्यापार के सवाल की बात आती है तो भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हित में जो सबसे अच्छा समझता है वह करना जारी रखेगा। मैं समझता हूँ कि जी-7 शिखर सम्‍मेलन के दौरान प्रधानमंत्री जी ने जो स्‍थिति स्पष्ट रूप से व्‍यक्‍त की वह भली-भांति समझी गई थी। मैं यह भी कहूँगा कि अन्य देशों के उनके समकक्ष नेताओं ने इसकी सराहना की। शुक्रिया।

वक्ता 1: (अश्रव्य)

वक्ता 2:
महोदय, जी7 शिखर सम्मेलन के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक 600 बिलियन अमरीकी डालर की बुनियादी ढाँचे की योजना है, जिसे चीन के बीआरआई का मुकाबला बताया जा रहा है। (अश्रव्य)

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: आपका जो पहला प्रश्न था कि जी7 की इस शिखर वार्ता से क्या क्या हमारे टेक अवेहोंगे | देखिए जो इस समय वैश्विक सन्दर्भ है, वैश्विक परिपेक्ष है उसके मद्धेनज़र जितनी भी वैश्विक चुनौतियां हैं उन चुनौतियों पे भारत का परिपेक्ष स्पष्ट रूप से पुरे विश्व के सामने है और जो जी7 के जो शिखर नेता है उनके सामने एक स्पष्ट रूप से उसका प्रस्तुतीकरण और उसकी जैसे की मैंने कहा दीप अंडरस्टैंडिंग ओर एप्रेसिएशनये आप में ही एक महत्वपूर्ण चीज़ है।

दूसरा जिन मुख्य विषयों पे प्रधानमंत्री जी ने वक्तव्य दो प्रीलिमिनरी सेशन्समें दिए, एक पर्यावरण से सम्बंधित और दूसरा मुख्यतः खाद्य सुरक्षा से सम्बंधित। ये जैसा की मैंने कहा आज के वैश्विक सन्दर्भ में अपने-आप में बहुत बड़ी चुनौतियां हैं। इन चुनौतियां का विश्व के द्वारा सामना करना उसमें भारत की एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। वो भूमिका सकारात्मक है, सहयोग से प्रेरित है, सहकार्य से प्रेरित है। ये दूसरा मेसेज पुरे जी7 के शिखर वार्ता में ना केवल स्ट्रोंगली उभर के सामने आया मगर उसकी एक प्रकार से स्वीकृति, तथ्य आधारित स्वीकृति जो है वो अपने आप में महत्वपूर्ण है।

तीसरा शिखर वार्ता के दौरान जी7 के नेतागण तथा आउटरीच कंट्रीज के जो बाकि नेतागण उनसे द्विपक्षीय वार्ता जो हमारे द्विपक्षीय संबंधो के मुद्दे हैं उनको आगे कैसे और तेज़ी से बढाया जाए ये अपने-आप में भी एक काफी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । चौथा जो कि मैंने अपने रिमार्क्स में भी कहा की ये स्वीकृति इस बात की, ये अक्सेप्टन्सइस बात की, ये रिकग्निशनइस बात की कि आज के विश्व की जितनी भी चुनौतियां है, उनके समाधान में, उनके सॉल्यूशन ढूंढने में भारत की एक अहम भूमिका है।भूमिका के अलावा में कहूँगा कि प्रधानमंत्री जी के वक्तव्य से स्पष्ट था कि ना केवल हमारी भूमिका हमारे सोच के माध्यम से है बल्कि हमारे सहकार्य और सहयोग के माध्यम से भी है। तो, मैं कहूँगा कि ओवरॉलये शिखर वार्ता जो कि आई थिंक कोविड महामारी के बाद पहली बार एक अंतर्राष्ट्रीय बड़ी शिखर वार्ता थी, हर प्रकार से जो है काफी सकारात्मक और प्रोडक्टिवथी, उपलब्धियां भी स्पष्ट हैं|

और यह मुझे बुनियादी ढाँचे की पहल के संबंध में आपके प्रश्न पर ले जाता है, जिसकी घोषणा की गई थी। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, केवल दो परिणाम दस्तावेज हैं, जो जी-7 और आउटरीच देशों से एक साथ संबंधित हैं। एक लचीले लोकतंत्र पर था और दूसरा अनिवार्य रूप सेन्यायपूर्ण ऊर्जा संक्रमण साझेदारी पर अध्यक्ष का सारांश था। मुझे लगता है कि अगर मेरी समझ सही है तो आप जिस पहल का जिक्र कर रहे थे, वह एक अलग जी7 पहल है और मुझे याद है, जब तक कि आप नहीं जानते कि कोई अन्य सूचना है, मुझे लगता है कि यह जी7 आउटरीच पहल नहीं है।

लेकिन चाहे यह बुनियादी ढाँचे का सवाल है या यह अन्य आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने का सवाल है, जैसा कि मैंने कहा, दोनों पूर्ण अधिवेशनों में प्रधानमंत्री की टिप्पणियों ने इस हिस्से पर ध्यान केंद्रित किया, जो कि स्थायी समाधान और पर्यावरण के लिए जीवन शैली है,वास्तव में, उस हिस्से को पकड़ लेता है। मुझे लगता है कि आपने जिस अन्य पहल के बारे में बात की थी, उसके तत्वों पर विशिष्ट रूप से बोलने में सक्षम होने के लिए हमें उसका विवरण देखना होगा। धन्यवाद ।

श्री अरिंदम बागची, सरकारी प्रवक्ता: बहुत-बहुत धन्यवाद। यहाँ हम म्यूनिख से इस विशेष मीडिया वार्ता को समाप्त करते हैं। धन्यवाद महोदय, दम्मू रवि महोदय, निनाद को भी धन्यवाद । गुड इवनिंग।

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