मीडिया सेंटर

आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा वर्चुअल साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (17 सितंबर 2020)

सितम्बर 19, 2020

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मित्रों, नमस्कार और शुभ संध्या। ऑनलाइन मोड में इस साप्ताहिक वार्ता में आपका स्वागत है। मैं वंदे भारत मिशन पर एक संक्षिप्त अपडेट के साथ शुरुआत करूंगा। 16 सितंबर तक, 14.6 लाख भारतीयों को इस मिशन के तहत अलग-अलग माध्यमों से प्रत्यावर्तित किया गया है और अब तक 21 देशों से 420 अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें तथा 80 फीडर उड़ानें संचालित की गई हैं, जिनकी पूरे भारत के 22 हवाई अड्डों तक पहुंच हैं और लगभग 82000 व्यक्तियों को प्रत्यावर्तित करती हैं। यह चरण इस महीने के अंत तक चालू रहेगा और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य 1,20,000 लोगों को वापस देश लाया जाएगा। हमेशा की तरह, यह मंत्रालय अपने मिशनों और पोस्टों के माध्यम से विभिन्न देशों से प्रत्यावर्तन तथा भारत वापस लौटने की मांग की बारीकी से निगरानी कर रहा है और हम सहायता प्रदान करने हेतु एयरलाइंस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अब हम आपके प्रश्नों पर आगे बढ़ेंगे। तो यतीन अब आप आएं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
महोदय, प्रश्नों का पहला सेट अब्राहम समझौते पर है। डब्ल्यूआईओएन के सिद्धांत ने पूछा है - "अब्राहम समझौते पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है?" न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर ने पूछा है - "बहरीन-इजरायल संबंधों के सामान्यीकरण पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है?" एस.ए.एन.ए. से अवध ने पूछा है - "इजरायल, यूएई और बहरीन के बीच संबंधों के सामान्यीकरण को भारत किस तरह से देखता है और क्या यह फिलीस्तीन के निमित्त पश्चिम एशिया में व्यापक शांति प्राप्त करने में मदद करेगा?" आदित्य ने पूछा - "क्या भारत इजरायल, यूएई और बहरीन के बीच शांति समझौते का स्वागत करता है? क्या भारत को लगता है कि इससे पूरे क्षेत्र में शांति का रास्ता खुलेगा?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: हमें यूएई, बहरीन, इजरायल और अमेरिका द्वारा वाशिंगटन डीसी में हस्ताक्षर किए गए अब्राहम समझौते के बारे में जानकारी है। जैसा कि मैंने पहले कहा है, भारत ने हमेशा पश्चिम एशिया में शांति तथा स्थिरता का समर्थन किया है जो हमारा विस्तारित पड़ोस है। इसलिए हम इजरायल और यूएई और बहरीन के बीच संबंधों के सामान्यीकरण हेतु हुए इन समझौतों का स्वागत करते हैं।

हम फिलिस्तीनी निमित्त हेतु अपने पारंपरिक समर्थन को जारी रखते हैं और दो-राष्ट्रों की सहमति हो ऐसे समाधान हेतु प्रत्यक्ष वार्ता फिर से शुरू होने की उम्मीद करते हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): प्रश्न का अगला सेट श्री कुलभूषण जाधव पर है। एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी ने पूछा है - "कुलभूषण मामले में वकील के संबंध में कोई अपडेट है?" न्यू इंडियन एक्सप्रेस से पुष्कर ने पूछा है - "क्या कुलभूषण जाधव मामले पर कोई अपडेट है?" न्यूज़18 से शैलेंद्र ने पूछा है - "कुलभूषण जाधव मामले में कोई अपडेट है?" टाइम्स नाउ से श्रीजॉय ने पूछा है - "भारत ने सुझाव दिया है कि क्वींस काउंसल कुलभूषण जाधव का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। इसपर पाकिस्तान की क्या प्रतिक्रिया है?”

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: जैसा कि हमने कहा है, पाकिस्तान सरकार आईसीजे के फैसले को लागू करने के अपने दायित्वों को पूरा करने में असफल रही है। कुछ बुनियादी मुद्दे हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। पहला, इस मामले के सभी प्रासंगिक दस्तावेजों, श्री कुलभूषण जाधव को अबाधित और बिना शर्त के कॉन्सुलर एक्सेस प्रदान करना, साथ ही यह सुनिश्चित करने हेतु कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष हो, कोई भारतीय वकील या क्वींस काउंसल की नियुक्ति का प्रावधान।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): आदित्य ने पूछा है - "अफगानिस्तान से सभी बंधकों को बचा लिया गया है और भारत वापस लाया गया है। क्या आप इस बारे में और अधिक जानकारी साझा कर सकते हैं?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: आदित्य, जैसा कि आप जानते हैं, 7 भारतीय नागरिक थे जो मई 2018 से अफगानिस्तान में कैद में थे और उनमें से 6 पहले लौट आए थे। 12 सितंबर को, शेष भारतीय नागरिक को छोड़ दिया गया और वह भारत लौट आया। हम अपने सभी 7 नागरिकों की रिहाई हेतु पिछले दो वर्षों में सहायता प्रदान करने के लिए अफगानिस्तान सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
सवाल का अगला सेट केरल सोने की तस्करी मामले पर है। मातृभूमि से बालगोपाल ने पूछा है - "क्या यूएई सरकार ने औपचारिक रूप से भारत सरकार से अपनी जांच टीम को केरल सोने की तस्करी के मामले में अपनी जांच को आगे बढ़ाने हेतु भारत आने देने की अनुमति मांगी थी? क्या यूएई की जांच टीम को केरल सोने की तस्करी मामले में आरोपी और संदिग्ध नागरिकों से सवाल पूछने या साक्षात्कार करने की अनुमति मिलेगी?" मातृभूमि से मनोज मेनन ने पूछा है - "त्रिवेंद्रम सोने की तस्करी मामले पर जानकारी दें। लाइफ मिशन प्रोजेक्ट हेतु वित्तीय सहायता के लिए केरल के रेड क्रिसेंट और सरकार के बीच समझौते के संबंध में प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर विदेश मंत्रालय द्वारा चल रही जांच का विवरण साझा करें।"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मैं सबसे पहले बालगोपाल के सवाल का जवाब देते हुए शुरू करूंगा, हमें अभी तक ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला है। इसलिए, मुझे लगता है कि आपके बाकी प्रश्न काल्पनिक हैं। मनोज के सवाल के संबंध में, हम आपको इस मामले की स्थिति के बारे में बता रहे हैं और जैसा कि आप जानते हैं कि एनआईए की जांच वर्तमान में चल रही है। समझौते पर, विदेश मंत्रालय उन कानूनी मुद्दों को देख रहा है जो इसमें शामिल हैं।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
न्यूज़18 से शैलेन्द्र ने पूछा है - "क्या आज के ब्रिक्स एनएसए की बैठक के दौरान, भारत-चीन के एनएसए की द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है।"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, प्रवक्ताः "शैलेन्द्र जैसा कि आपको पता होगा कि आज की जो बैठक है वो वर्चुअल प्रारूप में हो रही है और इस प्रारूप में द्विपक्षीय बातचीत संभव नहीं है।"

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर):
दूरदर्शन के रमेश रामचंद्रन ने पूछा - "क्या भारत चतुष्कोणीय बैठक की मेजबानी करेगा? यदि हां, तो कृपया तारीख और प्रतिभागियों के नाम साझा करें। यह बैठक व्यक्तिगत या वीटीसी में रुप में होगी?" इसी तरह का सवाल द प्रिंट से नैनीमा ने भी पूछा है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मैंने पहले की कहा है कि हम इस साल के अंत में होने वाली चतुष्कोणीय बैठक के लिए तत्पर हैं और अभी इसके विवरणों पर काम किया जा रहा है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): आदित्य ने पूछा है - "एनएसए अजीत डोभाल हाल ही में पाकिस्तान द्वारा दिखाए गए एक काल्पनिक मानचित्र के विरोध में एससीओ की बैठक से बाहर चले गए। क्या भारत ने एससीओ अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के समक्ष अपना रुख स्पष्ट किया है?"

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
आदित्य, इस बैठक से पहले, इस दौरान और इसके बाद, हमने अध्यक्ष के साथ-साथ एससीओ के सदस्य राष्ट्रों के समक्ष इस काल्पनिक मानचित्र के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई थी और अध्यक्ष द्वारा हमारी आपत्ति पर गौर किया गया। पाकिस्तान द्वारा इस काल्पनिक मानचित्र का उपयोग अध्यक्ष द्वारा जारी परामर्श की अवहेलना के साथ-साथ बैठक के मानदंडों का पूरी तरह से उल्लंघन है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): द वायर से देविरुपा ने पूछा है - "क्या ज़ेनहुआ विवाद पर चीन के राजदूत को तलब किया जा सकता है? अगर यह विवाद उसके समक्ष रखा गया था, तो यह कैसे और किसके द्वारा रखा गया था?” हिंदू बिजनेस लाइन से अमिति सेन ने पूछा - "क्या विदेश मंत्रालय ने चीनी दूतावास के साथ भारत में चीनी दूतावास द्वारा भारतीयों की निगरानी का मुद्दा उठाया था? क्या चीनी राजदूत ने कोई आश्वासन दिया है? क्या हम मान सकते हैं कि एकत्र किया गया डेटा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा से अधिक था?" आगे, हम इस मुद्दे से निपटने की योजना कैसे बना रहे हैं?" इसी तरह का सवाल राज्यसभा टीवी से अखिलेश सुमन ने भी पूछा था।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: हमने इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्ट देखी है। विदेश मंत्रालय ने तदनुसार चीनी पक्ष के समक्ष इस मामले को उठाया था। चीनी पक्ष ने कहा है कि यह कंपनी एक निजी संस्था है। चीनी पक्ष ने यह भी दावा किया है कि संबंधित कंपनी और चीनी सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है। सरकार ने इन रिपोर्टों का अध्ययन करने, उनके प्रभावों का मूल्यांकन करने, कानून के किसी भी उल्लंघन का आकलन करने और तीस दिनों के भीतर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करने हेतु राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक के तहत एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): प्रश्न का अगला सेट वास्तविक नियंत्रण रेखा पर है। एनडीटीवी इंडिया से कादम्बिनी ने पूछा है - "मॉस्को में विदेश मंत्री की वार्ता और समझौते के अनुसार, एलएसी के घटनाक्रम के बारे में कोई जानकारी दें। हिंदुस्तान के पंकज पांडे ने पूछा है - "10 सितंबर को हमारे विदेश मंत्री की चीन के विंदेश मंत्री से हुई बातचीत में बनी सहमति के बाद क्या विकास हुआ है? क्या कोई बातचीत हुई है या बातचीत का प्रस्ताव है?" एबीपी से अग्नि रॉय ने पूछा - "शांति तथा शांति की बहाली पूरी तरह से भारत-चीन के साथ द्विपक्षीय रुप से जुड़ा हुआ है। यह बात राजनाथ जी ने संसद में कही। क्या आप इसपर और प्रकाश डालेंगे? क्या पहले की चीन के प्रति हमारी नीति में कोई बदलाव हुआ है? यदि हां, तो क्यों? राजनाथ जी ने कहा, भारत एलएसी के साथ लगने वाले गश्त के क्षेत्र को पुनः प्राप्त करेगा। क्या उस दिशा में कोई प्रगति हुई है?" न्यूज18 के शैलेंद्र ने पूछा है - "विदेश मंत्रियों की मुलाकात को हफ्ता होने वाला है, अभी तक कोर कमांडर स्तर की वार्ता क्यों नहीं हुई है?" टेलीग्राफ से अनीता जोशुआ ने पूछा है - "भारत ने मॉस्को में वार्ता के दौरान अपने बयान में भारत की स्थिति को गलत तरीके से पेश करने के चीन के बयान का औपचारिक रूप से विरोध किया है, विशेष रूप से यह दावा करते हुए कि चीन के प्रति भारत की नीति नहीं बदली है और भारतीय पक्ष चीन-चीन संबंधों के विकास को सीमा से जुड़े मुद्दों के निपटान पर निर्भर नहीं मानता है?" न्यूज 24 से संजीव त्रिवेदी ने पूछा है - "चीनी एमओएफए द्वारा आज दिए गए बयान से ऐसा लगता है कि मॉस्को के पांच-सूत्रीय समझौते की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारत पर छोड़ दी गई है। चीन का कहना है कि भारत को अपनी गलती को सुधारने के लिए पीछे हट जाना चाहिए, जिससे सीमा पर शांति बनी रहे। इस पर विदेश मंत्रालय का क्या कहना है?" इसी तरह के सवाल भारत वर्सेस डिसइनफो से शंकर, रक्षक न्यूज से रंजीत कुमार, टाइम्स नाउ से श्रीजॉय, यूएनआई से अनीश और न्यूज नेशन से मधुरेंद्र ने पूछे हैं।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
मैं अनीता जोशुआ के सवाल का जवाब देते हुए शुरू करता हूं। मैं आपको स्पष्ट करता हूं कि विदेश मंत्रालय ने वास्तव में जो कहा है, उसे लेकर चीनी पक्ष को कोई संदेह नहीं है। वास्तव में, मैं आप सभी को सलाह देना चाहूंगा कि हमारी स्थिति को सटीकता से दिखाएं, आप हमारे कथन का उल्लेख कर सकते हैं, जो खुद ही इस बात को स्पष्ट करता है।

अग्नि और उनके सवाल के जवाब में, आरएम पहले ही संसद में बयान दे चुके हैं, इसलिए मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा या जो कुछ उन्होंने कहा है, उसके आगे कुछ भी जानकारी देना चाहूंगा।

मॉस्को में बैठक और अगले कदमों पर पुछे गए बाकी सवालों के जवाब के लिए, आपको पता होगा कि विदेश मंत्री 10 सितंबर को मॉस्को में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मिले थे। इस दौरान दोनों विदेश मंत्री एक समझौते पर पहुँचे जो आगे की राह को रेखांकित करता है। इस बैठक के बाद 04 सितंबर को मॉस्को में दोनों रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई। दोनों बैठकों के दौरान, दोनों पक्षों के मंत्रियों के बीच सहमति बनी कि एलएसी के साथ विवाद के सभी क्षेत्रों से सैनिकों का त्वरित तथा पूर्ण विघटन होना चाहिए। इसलिए, दोनों पक्षों को विवाद के क्षेत्रों में तनाव को कम करने पर ध्यान केंद्रित करके किसी भी ऐसी कार्रवाई से बचना चाहिए, जिससे स्थिति और खराब हो सकती है। इसके लिए द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन करना चाहिए तथा यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

जैसा कि आरएम ने 15 सितंबर को संसद में और साथ ही आज स्पष्ट रूप से कहा है, हम कूटनीतिक तथा सैन्य माध्यमों से चीनी पक्ष के साथ शांतिपूर्ण बातचीत हेतु प्रतिबद्ध हैं। हम आपको इस संबंध में घटनाक्रम से अवगत कराते रहेंगे।

चीनी पक्ष को पैंगोंग झील सहित विवाद के सभी क्षेत्रों से जल्द से जल्द पूर्ण विस्थापन साथ ही सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार सीमावर्ती क्षेत्रों में पूर्ण विघटन हेतु भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष कड़ाई से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करेगा और पालन करेगा तथा यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं करेगा।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: कोई और प्रश्न है यतीन?

श्री यतिन पटेल, ओएसडी (पीआर): जी नहीं, महोदय।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद। तो साप्ताहिक वार्ता यहाँ समाप्त होती है। आप सभी से जल्द ही फिर मिलते हैं।

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