फाइनेंशियल टाइम्सः जेम्स फान्टानिला-खान और जेम्स लैमॉन्ट
भारत के दो विशालतम परिवारों द्वारा संचालित समूह सम्पूर्ण विश्व में करोडों डॉलर के निवेश की योजना बना रहे हैं क्योंकि वे तेजी से विकसित होते हुए उभरते बाजारों से राजस्व वृद्वि हेतु स्वयं को विस्तार देने के आग्रही हैं और विकसित बाजारों में आधारित कठिनाइयों
का सामना कर रही सम्पत्तियों को अर्जित करना चाहते हैं।
आदित्य बिरला समूह, भारत का अल्मूनियम से लेकर फुटकर और मोबाइल टेलीफोन समूह अपनी 33 कम्पनियों में 17 मिलियन अमेरिकी डॉलर की निवेश की योजना बना रहा है जिसका लक्ष्य वर्ष 2015 तक अपने राजस्व को दोगुना करके 65 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का है। भारत के अत्यन्त
पुराने समूहों में से एक है गोदरेज समूह ने कहा था कि वो विकासशील बाजारों में अपनी कम्पनियों को तीव्र उछाल देने के लिए और बिक्री को कम से कम 10 गुना बढाने के प्रयासों में वर्ष, 2020 तक 30 बिलियन अ. डॉलर तक ले जाने के लिए निवेश करेगा ।
श्री कुमार मंगलम बिड़ला, परिवार के स्वामित्व वाले समूह के अध्यक्ष और श्री आदि गॉदरेज, 68 वर्षीय अध्यक्ष, भारतीय उपभोक्ता मालों से लेकर नारियल के तेल समूह के आधार पुरुष गोदरेज ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया था कि अगले दो से पांच वर्षों के बीच बहुत बडा़
निवेश किया जायेगा।
प्रर्याप्त पूंजी की लागत भारत के निवेश वातावरण के लिए एक बहुत बडा विरोधाभास है जिसे अभूतपूर्व उच्च मुद्रास्फीति ने एक तरफ फेंक दिया है, वस्तुओं के मूल्य बढ रहे हैं और ऋण के ब्याज दर फूलते जा रहे हैं।
इस समूह का आक्रामक रूख उस समय दिखा था जब यह भारत की तेजी से बढती अर्थव्यवस्था की मांगो का सामना करने के लिए खनिज संसाधन के साथ समझौते पर वैश्विक संघर्ष कर रहा था।
दोनों समूहों का बिग-टिकट ग्लोबल विस्तार भारत के निगमीय चेहरों के परिवर्तन की एक झलक है । कम्पनियां जो दशकों तक अपने देश तक ही सीमित रही थी परन्तु अब वे नकद राशि से समृद्व हैं और विदेशों में अवसर प्राप्त करने की ताक में हैं जहां मुद्रास्फीति और ब्याज
दर कम हैं तथा वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के बाद आर्कषक मूल्यांकन हुए हैं।
जब श्री बिड़ला ने 1995 में साम्राज्य अपने पिता स्वर्गीय आदित्य विक्रम बिड़ला से सम्भाला था तब यह समूह भारत में केन्द्रित था और 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व पैदा कर रहा था। आज 22 अर्जनों के बाद यह समूह बहुराष्ट्रीय हो गया है और 53 बिलियन अमेरिकी
डॉलर का संचालन 33 देशों में कर रहा है तथा इसके कुल राजस्व का 60 प्रतिशत विदेशों से प्राप्त हो रहा है।
44 वर्षीय श्री बिड़ला ने कहा था कि उनका अधिकांश निवेश लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अमोनियम और सीमेंट कम्पनियों के इसके हरित क्षेत्र परियोजनाओं पर व्यय किया जायेगा, देश में निर्माण सामग्री की बढती मांगो का सामना करने के लिए आवश्यक तांबा तथा कोयले जैसे
संसाधनों को ढांचागत परियोजनाओं के लिए सुरक्षित किया जाऐगा। शेष बचे 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर को बिरला के मोबाइल फोन कैरियर, अपने गूदा व्यवसाय और अपने विस्कोश स्टेपल फाइबर्स इकाई आदि में व्यय करेगा।
‘’संसाधन और सम्पत्ति के क्रय में हम कुछ अधिक उत्सुक हैं’’ श्री बिरला ने कहा था ‘’हमने तांबे की खाने खरीदी हैं, हमने फाइबर और गूदे की सम्पत्तियां, कोयले की सम्पत्तियां भी अपने ऊर्जा के लिए खरीदा है संसाधन और कच्चे माल पर नियंत्रण करना हमारे लिए निवेश
पर ध्यान केन्द्रित करने के सन्दर्भ में आगे बढने की एक बडी अवधारणा है।’’
श्री गॉदरेज ने कहा था कि समूह अफ्रीका, एशिया, लेटिन अमेरिका के अर्जनों श्रृखंला के माध्यम से भारी विस्तार की योजना बना रहा है।
‘’हमारे पास एक ‘कैपिटल लाइट मॉडल’ है अतः अतीत में हम अपने शेयरधारकों के पास ढेर सारा नकद पहुंचाया करते थे’’ श्री गोदरेज ने कहा था। ‘’अब हम सोचते हैं कि यदि हम अपने धन को अजैविक वृद्वि में व्यय करें तो हम अपने शेयरधारकों को बेहतर वापसी दे सकते हैं।’’
(व्यक्त किये गये उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)