'पुस इन बूट्स’ ने प्रथम बार ड्रीम वर्क्स के लिए भारत के एक आनिमेटर पर भारोसा किया था ताकि वह उसे एक पूरे आकार की फीचर फिल्म बनाने में सहायता कर सके। भारत के बंगलूरू में स्थित एनीमेशन स्टुडियो का महत्व ‘ड्रीम वर्क्स’ के फिल्म निर्माण प्रक्रिया के लिए बढ़
रहा है।
लॉंस एन्जेलेस टाइम्स : रिचर्ड वेरियर
जब दस्यु बिल्ली ‘पुस इन बूट्स’ इस सप्ताह के अन्त में बडे़ पर्दे पर आयेगी, तब भारत के बंगलौर में वनिता रंगाराजू और उनके सहयोगी को विश्व मंच पर उनके धूर्त के नायक की भूमिका के लिए उन्हें विशेष गर्व होगा।
एक सुप्रसिद्ध ‘‘श्रेक’’ फिल्म को बुने जाने के बाद ‘पुस इन बूट्स’ ड्रीम वर्क्स की कृतियों के एक मील के पत्थर का प्रतिनिधित्व करती है और विश्व के द्वितीय सर्वाधिक जनसंख्या वाले राष्ट्र में ‘ड्रीम वर्क्स’ उद्योग को पंख लगा दिये हैं।
फिल्म, मुख्य कलाकार एन्टोनियो बैण्डेरास और सलमा हायक, के साथ प्रथम बार ग्लेनडेल स्टुडियो ने एक संपूर्ण फीचर फिल्म के निर्माण में सहायता के लिए भारतीय आनिमेशन के एक दल पर भारोसा किया है ड्रीम वर्क एनीमेशन ने अब तक बंगलूरू में संचालित इस स्टुडियो को प्रमुख
रूप से टेलीविजन विशेष और डी वी डी बोनस जैसे सामग्री के निर्माण हेतु उपयोग किया है।
परन्तु विगत तीन वर्षो में 10 मिलियन अम0 डॉंलर से अधिक का व्यय कर चुकने के बाद ‘ड्रीम वर्क्स’ ने अपने निर्माण प्रक्रिया के बढ़ते महत्व के एक हिस्से के लिए बंगलूरू स्थित स्टुडियो के ओर रुख किया है।
निवेश को रेखांकित करते हुए हॉंलीवुड किस प्रकार से इस देश के सस्ते पारिश्रमिक लागत और अत्यंत आवश्यक कंप्यूटर कौशल के साथ व्यापक अंग्रेजी भाषी कर्मी समूह का दोहन करने के लिए आनिमेशन और दृश्य प्रभावों वाले कार्यों की बढ़ती हुई खेती भारत में कर रहा है। निर्माण
के समय को भी यहां पर गति मिलती है क्योंकि 24 घण्टे के चक्र से बंगलौर के कर्मियों द्वारा हॉंलीवुड के अपने प्रतिमूर्तियों के साथ जोड़ी को बनाये रखा जा सकता है।
"हम लोग विगत तीन वर्षों से इस पर कार्य कर रहे हैं’’ आनिमेशन इकाई के प्रकाश प्रमुख श्री रंगाराजू ने कहा था। "यह भारत में प्रथम बार हुआ है और इससे इस उद्योग में और अधिक लोगों को आने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।’’
‘ड्रीम वर्क्स’ उन अनेको स्टुडियों में से एक है जो भारत में सस्ते श्रमिक समूहो का दोहन कर रहे है। सोनी पिक्चर्स इण्टरटेन्मेन्ट तथा रिदम एण्ड ह्यूज, लांस एजेंल्स के आनेमेशन और दृश्य प्रभाव घराने आदि प्रत्येक की इकाईयां भारत में स्थापित हैं जिन्होंने
‘‘योगी बीयर’’ और ‘‘अल्विन तथा चिपमुंक्स’’ जैसे काम किये हैं।
वाल्ट डिजनी जैसे स्टुडियो ने मुम्बई आधारित प्राण स्टुडियो के साथ अपने 2008 कंप्युटर सजीव चित्रण फिल्म ‘‘टिंकर बेल’’ के निर्माण हेतु भागीदारी स्थापित किया है।" इसके अतिरिक्त अनेकों विशाल भारतीय कंपनियां जैसे रिलायंस समूह, टाटा एलेक्सी और प्राइम फोकस
आदि ने दृश्य प्रभावों और 3-डी परिवर्तन कार्य ‘‘स्पाइडर मैन-3’’ और ‘‘क्लैश ऑफ द टाइटन’’ जैसी फिल्मों पर करने के लिए हॉंलीवुड में तट मोर्चाबंदी की स्थापना की है।
परम्परागत रूप से अधिकॉंश फिल्मों और टेलीविजन कार्यों के लिए भारत में स्थापित किये गये वह्य स्रोतों में अल्प कौशल, कठिन कार्यों के श्रमिक जैसे तार हटाना जो एक्शन फिल्मों में सितारों और स्टण्ट करने वाले लोगों को लटकाने के लिए उपयोग में लाये गये तारों
को डिजिटल ढंग से हटाये जाने की कठिन प्रक्रिया किया जाता है, आदि विशेष कार्य सम्मिलित होते है। सजीव चित्रण कार्य अधिकॉंशत: टेलीविजन धारावाहिकों और डी वी डी फिल्मों के निर्माण तक सीमित होते हैं। परन्तु वह अब परिवर्तित हो रहा है जैसा कि ‘पुस इन बूट्स’ से साक्ष्य
मिलता है।
लगभग 100 आनिमेटरों के लोगों का एक दल ने बंगलूरू में फीचर फिल्म के तीन प्रमुख दृश्यों के आनिमेशन में 6 माह लगाया था, जिसमें एक जटिल दृश्य जिसमें पुस, हम्पी डम्पी(जैक गालीफियानाकिस) तथा किटी साफ्टपाज (हायक) बादलों के बीच एक हरे जंगल से घिरे विशाल किले
में प्रवेश करता है। "कहानी फलक के अतिरिक्त हमने शुरू से अंत तक सब कुछ किया था’’ भारत में स्थित ‘ड्रीम वर्क्स’ इकाई के सर्जना निदेशक श्री फिलिप ग्लुकमैन ने कहा था, जो बंगलौर के उपनगर मे एक उच्च तकनीकी उद्यान के एक भवन की 11वीं मंजिल पर निवास कर रहे थे। ‘‘मुझे
आशा है कि यह कोई भी बता पाने में सक्षम नहीं होगा कि कौन से दृश्य भारत से लिये गये है।‘‘
‘ड्रीम वर्क्स’ ने वर्ष 2008 के प्रारम्भ में अपने भारत स्टुडियो का शुभारम्भ टेक्नीकलर के साथ भागीदार के एक हिस्से के रूप में किया था, जिसने भारतीय एनीमेशन के कंपनी पापरिका आनिमेशन स्टुडियोज का अर्जन किया था। टेक्नीकलर के पास इस इकाई का स्वामित्व
था परन्तु उसने वहां पर कार्य करने वाले 220 चित्रकारों को नियुक्त करने और उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए ‘ड्रीम वर्क्स’ का दोहन किया था। ‘ड्रीम वर्क्स’ ने अपने कर्मी दल के सदस्यों को भारत के कर्मी दल को प्रशिक्षण प्रदान करने और और मुखाकृति को उचित
आकार कैसे दिया जाता है जैसे विषयों पर प्रमुख कक्षाओं का आयेाजन करने के लिए भारत भेजा था।
एक संपूर्ण फीचर फिल्म की ओर जाने से पूर्व भारत में स्थित ‘ड्रीम वर्क्स’ की इकाई ने अवकाश टेलीविजन विशेष जैसे छोटे-मोटे कार्यों के साथ शुरू कर दिया था जिसमे ‘‘मैरी मेडागास्कर’’ और ‘‘स्केयर्ड श्रेकलेस’’ (टेक्नीकलर स्टूडियो के साथ एक भिन्न इकाई ने निकेलोडियान
टेलीविजन धारावाहिक ‘‘द पेंगुइंस ऑंफ मेडागास्कर’’ का सफलतापूर्ण आनिमेशन किया था)। वर्तमान में यह समूह अपनी अगली फिल्म परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है जिसमें ‘‘मेडागास्कर 3’’ अगले ग्रीम ऋतु के लिए निर्धारित है और इसके द्वारा आने वाली बाँलीवुड शैली के संगीतमय
‘‘मंकीज ऑंफ मुम्बई’’ में एक भूमिका निभाने की संभावना है।
"यह उन सब के लिए एक बहुत गहन शिक्षाप्रद मोड़ था’’ ग्लुकमैन ने कहा था।
"पुस इन बूट्स’ के निर्देशक श्री क्रिस मिलर ने कहा था कि वे भारत के कार्यों की गुणवत्ता से प्रभावित हैं। "यहां से प्राप्त किये गये कार्य भयानक थे और यहां पर किये गये किसी भी कार्य के समतुल्य ठहरते थे’’ मिलर ने कहा था, जो ‘‘श्रेक द थर्ड’’ के भी निर्देशक हैं।
भारत में यहां तक कि किसी कार्य के एक छोटे हिस्से को स्थापित करने की क्षमता निश्चित ही ‘ड्रीम वर्क्स’ के लिए वित्तीय दृष्ट से लाभकारी है, पर्याप्त निम्न श्रम लागत जो संयुक्त राज्य का लगभग 40 प्रतिशत है और संयुक्त राज्य बाजार में बढ़ती प्रति स्पर्धा
को देखते हुए विशिष्ठ ‘ड्रीम वर्क्स’ की फिल्म लागत निर्माण के लिए लगभग 130 मिलियन अमरीकी डॉंलर है परन्तु ‘ड्रीम वर्क्स’ के भारतीय संचालन प्रमुख और ‘पुस इन बूट्स’ के निर्माण श्री जोय अग्यूलर ने कहा था की भारत में विस्तार के लिए प्राथमिक औचित्य यहां के
एक असाधारण मानव संसाधन का दोहन करना था।
अपने दो प्रमुख केन्द्रों पर स्टूडियो के पास उसके उत्पादन की आवश्यकता पूर्ति के लिए ग्लेनडेल और रेडवुड सिटी में स्थित ‘ड्रीम वर्क्स‘ की इकाई में पर्याप्त लोग नहीं थे। उस समय यह अधिक स्पष्ट हो गया था जब स्टूडियो ने प्रतिवर्ष तीन फिल्मों का निर्माण
करना शुरू कर दिया था, उन्होंने कहा था।
"हमारे लिए अपनी क्षमता को लगातार विस्तार देने के लिए हमें इस इकाई की आवश्यकता है’’ अग्यूलर ने कहा था। "वहां पर प्रतिभा की एक अद्भुत मात्रा विद्यमान है।"
अग्यूलर ने उस समय ‘ड्रीम वर्क्स‘ के अंदर कुछ प्रारम्भिक सरोकारों को स्वीकार किया था, जब स्टूडियों ने ग्लेनडेल में 1561 और रेडवुड सिटी में 557 लोगों को नियुक्त किया था और तभी भारत में अपनी इकाई की स्थापना की थी।
"हमारे स्टूडियो में एक भय व्याप्त है’’ उन्होंने कहा था। "परन्तु यदि कुछ भी होता है जैसे ग्लेनडेल में वहां की क्षमता को बढ़ाने के लिए हमने अभी अभी कुछ स्थान निर्मित किये हैं और हम रेडवुड सिटी के एक अधिक बड़े कार्यालय में जा रहे हैं, फिर भी हम संयुक्त
राज्य में रोजगार कम नहीं कर रहे हैं।"
(व्यक्त किये गये उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)