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भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी पर 17वें सीआईआई-एक्जिम बैंक सम्मेलन में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का संबोधन

जुलाई 19, 2022

श्री संजीव बजाज,
श्री चंद्रजीत बनर्जी,

महानुभावों, प्रिय मित्रों, देवियों और सज्जनों,


मैं एक बार फिर कहना चाहता हूं कि भारत-अफ्रीका विकास साझेदारी पर 17वें सीआईआई-एक्जिम बैंक सम्मेलन के विशेष पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए मुझे कितनी खुशी हो रही है। यह सभा साझा हितों के निर्माण के हमारे प्रयासों का एक हिस्सा है। "हम एक साथ बढ़ें" की इसकी यह भावना उचित ही है।

2. इस प्रमुख आयोजन को इस साल फिर से भौतिक प्रारूप में शुरू करने के लिए मैं भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) एवं एक्जिम बैंक को धन्यवाद देता हूं। यह संस्करण भी हमारे पारस्परिक लाभ के लिए भारत और अफ्रीका के व्यापारिक समुदायों के बीच चर्चा का विषय बनने में योगदान देगा। मैं समझता हूं कि पूरे दिन में एक व्यापक और विस्तृत एजेंडे पर विचार-विमर्श किया गया। चाहे वह उच्च शिक्षा हो या कौशल विकास, मजबूत वित्तीय साझेदारी का निर्माण हो या कृषि और खाद्य प्रसंस्करण में मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना, ये सभी हमारे बीच सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं।

महानुभावों, प्रिय मित्रों,

3. भारत और अफ्रीका के बीच के संबंध बहुत पुराने रहे हैं, जिन्हें आप ऐतिहासिक व्यापार और आर्थिक संबंध कह सकते हैं, वे समय के अंतराल में बहुत पीछे तक जाते हैं। चाहे वह वाणिज्य, संस्कृति या गतिशीलता हो, यथार्थ में ऐसे ऐतिहासिक संबंध हैं जो हमारी समकालीन साझेदारी को सहजता की एक मजबूत भावना देते हैं। यह स्वाभाविक ही है कि 20वीं शताब्दी के दौरान, भारत ने अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता प्राप्त करने और रंगभेद के खिलाफ लड़ने की उनकी नीति को समर्थन दिया। तब से हम राष्ट्र निर्माण और आर्थिक पुनर्निर्माण की यात्रा में भागीदार रहे हैं। इन लक्ष्यों को आगे ले जाने की हमारी क्षमता ही उस पुनर्संतुलन को परिभाषित करती है जिससे दुनिया वर्तमान में गुजर रही है। जाहिर है, इसलिए, अफ्रीका भारत की विदेश नीति के दृष्टिकोण में विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमारे बढ़ते राजनयिक पदचिह्न में परिलक्षित होता है जो आज 43 अफ्रीकी देशों को कवर करता है। पिछले आठ वर्षों के दौरान महाद्वीप के साथ जुड़ाव भी बढ़ा है, और भारत से 36 उच्चस्तरीय यात्राओं और अफ्रीका से 100 से अधिक यात्राओं को हमने देखा है।

4. चूंकि उपनिवेशवाद के बाद पुनर्निर्माण हमारा साझा लक्ष्य रहा है, इसलिए यह उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत की अफ्रीका नीति में विकास साझेदारी की प्रधानता होगी। यह भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन (आईएएफएस) का केंद्र बिंदु रहा है जो पहली बार 2008 में शुरू हुआ था। तब से, आईएएफएस प्रक्रिया ने परियोजनाओं के दायरे और जटिलता दोनों में काफी विस्तार किया है। विशेष रूप से 2015 के बाद, यह गहन जुड़ाव पहले से अधिक समानता और सतत विकास के लिए प्रधानमंत्री मोदी की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। हमारे सहयोग के लिए वर्तमान भारतीय दृष्टिकोण को जुलाई 2018 में कंपाला में उनके द्वारा प्रतिपादित किया गया था। सामाजिक-आर्थिक विकास की यात्रा में एक विश्वसनीय भागीदार होने के नाते, भारत ने अफ्रीका को 12.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का रियायती ऋण दिया है। हमने अब तक 197 परियोजनाएं पूरी की हैं, 65 और परियोजनाएं वर्तमान में चल रही हैं और 81 पूर्व-निष्पादन के चरण में हैं। इसके अलावा, भारत ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता प्रदान की है। पेयजल योजनाओं से लेकर सिंचाई तक, ग्रामीण सौर विद्युतीकरण, बिजली संयंत्रों, प्रसारण लाइनों, सीमेंट, चीनी और कपड़ा कारखानों, प्रौद्योगिकी पार्कों, रेलवे के बुनियादी ढांचे आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारी विकास परियोजनाओं ने स्थानीय रोजगार पैदा किया है और अफ्रीका में कई लोगों के जीवन को बदल दिया है।

5. वास्तव में, आज हमारे बीच अफ्रीकी देशों के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति खुद ही सहयोग के लाभों की याद दिलाती है। गाम्बिया में, भारत ने नेशनल असेंबली भवन का निर्माण किया है और जल आपूर्ति, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण में परियोजनाएं शुरू की हैं। जाम्बिया में, हम एक महत्वपूर्ण जल-विद्युत परियोजना में, पूर्व-निर्मित स्वास्थ्य केन्द्रों के र्निर्माण और वाहनों की आपूर्ति में शामिल रहे हैं। मॉरीशस में, हमारी हालिया उल्लेखनीय परियोजनाओं में मेट्रो एक्सप्रेस, नया सुप्रीम कोर्ट और सामाजिक आवास शामिल हैं। नामीबिया में, आईटी में एक नया उत्कृष्टता केंद्र अभी चालू हुआ है। जबकि दक्षिण सूडान में, कई अन्य अफ्रीकी भागीदारों के साथ, हम प्रशिक्षण और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और सहयोग के नए अवसरों का स्वागत करते हैं।

6. महामारी के दौरान, भारत ने वर्चुअल प्रारूप पर अधिक ध्यान केंद्रित करके अफ्रीका के साथ अपनी भागीदारी बनाए रखी। सीआईआई-एक्ज़िम बैंक अफ्रीका सम्मेलन के 15वें और 16वें संस्करण तदनुसार उसी प्रारूप में आयोजित किए गए थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हमने महामारी से निपटने के लिए महाद्वीप की क्षमता में वास्तविक अंतर लाने की कोशिश की। 32 अफ्रीकी देशों को भारत से 150 टन चिकित्सा सहायता प्राप्त हुई। उनमें से कई ने हमसे सीधे या अन्यथा प्राप्त 'मेड इन इंडिया' टीकों का भी उपयोग किया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर, हमने टीआरआईपीएस (TRIPS) छूट सहित टीकों तक न्यायसंगत और सस्ती पहुंच के लिए दबाव बनाने के लिए मिलकर काम किया है। यात्रा संबंधी भेदभाव के संबंध में हमारी चिंताएं भी बहुत हद तक एक समान हैं।

देवियों और सज्जनों,

7. हमारे संबंधों में मानव संसाधन के महत्व को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जा सकता। हम अफ्रीकी युवाओं के बीच क्षमता निर्माण और कौशल विकास को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संदर्भ में, आपको याद होगा कि हमने 2015 में IAFS-III के दौरान 50,000 छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी, जिसमें से 32,000 से अधिक छात्रवृत्ति स्लॉट का उपयोग किया जा चुका है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि अफ्रीका के कई उच्च पदस्थ नेताओं, मंत्रियों, अधिकारियों ने भारतीय विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में अध्ययन किया है। इनके अलावा, अफ्रीका के कई छात्रों और अधिकारियों को भी आईटीईसी कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया गया है। हमारे भागीदारों को उच्च गुणवत्ता वाली वर्चुअल शिक्षा और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए, 2019 में ई-विद्याभारती और ई-आरोग्यभारती नेटवर्क क्रमशः टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन के लिए लॉन्च किए गए थे। इन पहलों के तहत, 19 अफ्रीकी देशों के युवाओं ने विभिन्न डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए नामांकन किया है। भारत ने आईटी केंद्रों, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्कों तथा उद्यमिता विकास केंद्रों (ईडीसी) की स्थापना के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने में अफ्रीकी देशों की मदद की है। मुझे लगता है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं, और विश्वास व पारदर्शिता पर हमारे जोर के साथ, भारत और अफ्रीका स्वाभाविक भागीदार बनते हैं।

8. भारत हमेशा जरूरत के समय अपने दोस्तों के साथ खड़ा रहा है। हमने अक्सर पहले प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) के रूप में अपना समर्थन दिया है। मैं इस क्षेत्र में एचएडीआर के कुछ उदाहरणों को याद करना चाहूँगा, जैसे 2019 में इदाई चक्रवात से प्रभावित मोजाम्बिक की मदद के लिए ऑपरेशन सहायता, जनवरी 2020 में मेडागास्कर में बाढ़ पीड़ितों को राहत प्रदान करने के लिए चलाया गया ऑपरेशन वेनिला, वाकाशियो जहाज की ग्राउंडिंग होने के चलते तेल रिसाव को रोकने में मॉरीशस की मदद। ये पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के हमारे कुछ उदाहरण हैं। 2019 में शुरू किए गए आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) की प्रधानमंत्री मोदी की पहल इस संदर्भ में भी प्रासंगिक है। भारत अधिक से अधिक संख्या में अफ्रीकी देशों को इस पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है।

9. हमारे अफ्रीकी भागीदारों के लिए भारत का अनुभव साफ तौर पर उपयोगी है क्योंकि वे अपने ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव की शुरुआत कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक उल्लेखनीय मंच है जिसने स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के तेजी से विकास को बढ़ावा दिया है। इसके बाद सौर और नवीकरणीय ऊर्जा को और बढ़ावा देने के लिए 'वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड' की पहल की गई है। हाल के वर्षों में, अफ्रीका में हमारे विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ तीसरे देश के साथ सहयोग में भी स्वच्छ और हरित ऊर्जा प्रमुखता से बढ़ रही है।

10. मेरा मानना है कि व्यापार और आर्थिक मोर्चे पर अफ्रीका के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार अब पिछले वर्ष के 56 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 2021-22 में 89.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। 1996-2021 तक 73.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी निवेश के साथ, भारत अफ्रीका में शीर्ष पांच निवेशकों में शामिल है। शुल्क मुक्त टैरिफ वरीयता (डीएफटीपी) योजना के माध्यम से, जो भारत की कुल टैरिफ लाइनों के 98.2 प्रतिशत तक शुल्क मुक्त पहुंच प्रदान करती है, भारत ने अफ्रीकी देशों के लिए अपना बाजार खोल दिया है। अब तक 33 एलडीसी अफ्रीकी देश इस योजना के तहत लाभ पाने के हकदार हो चुके हैं। हमें उम्मीद है कि अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौता (एएफसीएफटीए) जो 2021 में शुरू किया गया था, भारतीय कंपनियों के लिए अफ्रीका में अपने कारोबार को बढ़ाने और तेज करने में मददगार होगा।

11. हाल की उथल-पुथल चाहे वह कोविड महामारी हो या यूक्रेन संघर्ष का शुरुआती असर, स्पष्ट रूप से हमारे संबंधों के लिए भी सबक है। सभी छोटे-बड़े देश अपनी कमजोरियों और बाहरी जोखिमों के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं। कोविड ने हमें स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और बेहतर तैयारियों में भी अधिक निवेश का महत्व सिखाया। हम लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के मूल्य को भी जानते हैं ताकि किसी एक भूभाग की समस्याएं पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को प्रभावित न करें। प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में, महामारी के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल डिलीवरी की वास्तविक क्षमता साफ़ तौर पर देखने को मिली। इसलिए यह विचार करने योग्य है कि हम भारत और अफ्रीका, स्वास्थ्य, डिजिटल और हरित विकास की तिकड़ी को कैसे अपने सहयोग का फोकस बना सकते हैं। यह उतना ही व्यावसायिक अवसर है जितना कि यह एक सार्वजनिक नीति है।

12. भारत में आत्मनिर्भरता (सेल्फ रिलायंस) की जरूरत को तेजी से समझा जाने लगा है। जिम्मेदार शासन के लिए आज यह आवश्यक है कि लोगों की महत्वपूर्ण जरूरतों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों की अनियमितताओं और अनिश्चितताओं के कारण रोक कर नहीं रखा जाए। यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहां भी आपसी लाभ के लिए भारत और अफ्रीका मिलकर काम कर सकते हैं।

13. इसलिए देवियों और सज्जनों, अंत में मैं इस सभा की नियमितता और गंभीरता के लिए इस सम्मेलन के आयोजकों की सराहना करता हूं जो हमारे संबंधों के हितधारकों को एक साथ लाता है। मुझे विश्वास है कि इस विचार-विमर्श के बाद हम सभी इस बारे में और अधिक प्रतिबद्ध एवं रचनात्मक होंगे कि हम अपनी साझेदारी को कैसे आगे बढ़ाएंगे।

ध्यान देने के लिए आपका धन्यवाद!

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