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इंडो-रशियन यंग स्कॉलर्स इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस 2020 के मौके पर विदेश राज्य मंत्री का संदेश

सितम्बर 03, 2020

आप सभी को नमस्कारम!

भारत और रशियन फेडेरेशन के बीच रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की हमारी 20वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या के अवसर पर, मैं आज यहाँ उपस्थित रूस के मित्रतापूर्ण सभी लोगों को और साथ ही साथ रूस और भारत के गणमान्य पैनलिस्टों को बधाई देना चाहता हूँ । यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन बहुत ही उपयुक्त समय पर आयोजित किया जा रहा है, जब हम एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक भागीदारी के लिए अपनी द्विपक्षीय भागीदारी के प्रगतिशील विकास की याद कर रहे हैं। यह एक विशेष और अनूठी साझेदारी है, जो सहयोग के सभी संभावित क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक-दूसरे के मूल राष्ट्रीय हितों के लिए आपसी विश्वास और सम्मान की विशेषता को दर्शाता है। यह समरूप सभ्यतागत मूल्यों, समय-परीक्षणित मित्रता, प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं, अद्वितीय पारस्परिक सम्मान और विश्वास, एक दूसरे के सामान्य हितों तथा विकास के बुनियादी मुद्दों पर सहमति और वैश्विक मामलों पर आधारित है।

यह वर्ष बहुत ही ख़ास है, क्योंकि हम अपने ऐतिहासिक मील के पत्थर अपने विजय दिवस की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह जीत रूसी जनता की अदम्य साहस और असीम बलिदान की भी याद दिलाता है। रूस के महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध के नायकों की याद में भारत हमेशा रूस के साथ खड़ा है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि हमारे माननीय रक्षा मंत्री और सैन्य दस्ते ने मास्को में आयोजित विजय दिवस समारोह में भाग लिया।

कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारणों से यह वर्ष काफी मुश्किलों भरा रहा है। मुझे यह जानकर बहुत ही प्रसन्नता है कि इस महामारी के संकट की घड़ी में भारत में रह रहे रूस के नागरिकों और रूस में रहने वाले भारतीय नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा के लिए भारत और रूस ने हाथ से हाथ मिलाकर काम किया है। लगभग 10000 भारतीय नागरिकों, जिनमें से ज्यादातर रूस में चिकित्सा का अध्ययन करने वाले छात्र हैं, उन्हें वंदे भारत मिशन के तहत उनके गृह राज्यों में वापस भेज दिया गया। रूसी अधिकारियों ने उनके आरामदायक प्रवास को सुनिश्चित करने में, उन्हें वीज़ा प्रदान करने में और महामारी के दौरान आसान यात्रा की अनुमति देकर उनकी मदद की। इसी तरह, जब कई भारतीय राज्य सख्त लॉक-डाउन में थे, भारतीय अधिकारियों ने गोवा, दिल्ली और अन्य स्थानों से हजारों रूसी दोस्तों के लिए परेशानी-मुक्त वापसी यात्रा सुनिश्चित की। शुरुआती महीनों में रूस को हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन की आपूर्ति करके हम बहुत ही प्रसन्न थे, जबकि वैश्विक स्तर पर इसकी मांग काफी उच्च थी। हम वैक्सीन विकास सहित फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भी एक साथ काम करने के तरीकों की खोज कर रहे हैं।

कोविड-19 महामारी के कारण लागू यात्रा प्रतिबंधों के बावजूद, हमने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से और साथ ही साथ व्यक्तिगत बैठकों में भी द्विपक्षीय स्तरों और बहुपक्षीय क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय संपर्कों की गतिशीलता को बनाए रखा।

सहयोग के इन शानदार 20 वर्षों में, हमारे सहयोग के पारंपरिक स्तंभों - रक्षा, ऊर्जा, परमाणु और अंतरिक्ष, ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और आगे भी हम बेहतर करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि हम इन क्षेत्रों में निवेश, साझेदारी और संयुक्त उत्पादन की आशा कर रहे हैं। हमारे संयुक्त प्रयासों से आयात और निर्यात दोनों में, बढ़ती प्रवृत्ति के साथ आपसी व्यापार में 40% से अधिक की वृद्धि हुई है। इस बढ़ती प्रक्षेप-रेखा को कोविड महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों ने चुनौती दी है, लेकिन लगातार इसमें हम एक क्रमिक सुधार देख रहे हैं।

पारंपरिक स्तंभों के अलावा, हम कृषि, कोकिंग कोयला, फार्मा और स्वास्थ्य क्षेत्र, डिजिटल और आईटी क्षेत्रों, कुशल मानव शक्ति के आदान-प्रदान, सुदूर पूर्व सहित क्षेत्रों के बीच सहयोग, आर्कटिक, रसद और कनेक्टीविटी में सहयोग, जैसे विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहकार्य के संभावित क्षेत्रों का पता लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। व्यापार बाधाओं में धीरे-धीरे कमी और मुक्त व्यापार समझौतों के निर्माण के क्रम में हमारे संयुक्त प्रयासों का इस दिशा में कई गुना प्रभाव पड़ेगा।

हमारे मित्र देशों के लोगों में एक दूसरे की संस्कृति, कला, परंपरा और इतिहास के प्रति एक अंतर्निहित आत्मीयता और झुकाव है। इन वर्षों में, हमने पर्यटन और लोगों से लोगों के संपर्क, तथा शिक्षा, अनुसंधान, कला और संस्कृति के क्षेत्रों में आदान-प्रदान में एक प्रभावशाली पारस्परिक प्रगति देखी है।

दोनों देशों के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना हमारी विदेश नीति की प्राथमिकता है। हमारे पास वैश्विक मुद्दों पर महान भू-राजनीतिक परस्पर पूरकता और तालमेल है। यूएनएससी की गैर-स्थायी पद पर भारत का चुनाव, वैश्विक चिंता के अधिकांश दबाव वाले मुद्दों पर प्रयासों के समन्वय के लिए अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा।

इन वर्षों में दोनों देशों में घरेलू विकास ने भी काफी बेतहर प्रगति देखी है। सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत ने दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी जगह बनाई है। आज हम भारत को एक नई उंचाई पर ले जाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं - एक आत्मनिर्भर (स्व-निर्भर) भारत। भारत वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा बनने के लिए ‘‘मेक इन इंडिया’’ से ‘‘मेक फॉर द वर्ल्ड’’ का हिस्सा बनने के लिए, अपनी संलग्नता की शर्तों को फिर से उन्मुख करते हुए आत्मनिर्भर बनने का प्रयास कर रहा है। जैसे जैसे हम अपने प्रयासों में प्रगति कर रहें हैं, हम रूस के साथ घनिष्ठ सहयोग के लिए भी सदैव तत्पर हैं।

विश्व आज विभिन्न तरीकों से बदल रहा है, लेकिन एक निरंतर कारक ही हमारे द्विपक्षीय संबंधों की ताकत है। न केवल राजनयिक स्तर पर, जो कि बहुत मजबूत है, बल्कि सरकारों के स्तर पर, व्यापारिक समुदायों के स्तर पर और सबसे महत्वपूर्ण रूप से लोगों के स्तर पर भी।

मैं यूरेशियन फाउंडेशन, नई दिल्ली, इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएन्टल स्टडीज़, मॉस्को और रशियन सेंटर फॉर साइन्स एंड कल्चर, नई दिल्ली को मैं विभिन्न क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी के 20 वर्षों को प्रदर्शित करते इस सम्मेलन के आयोजन के लिए, और भारत और रूस के शानदार वक्ताओं की एक व्यापक सूची तैयार करने के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूँ।

धन्यवाद।

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