विदेश संबंधों के बारे में संक्षिप्त विवरण
विदेशों के साथ संबंध विस्तार से
समूह पन्द्रह (जी-15)
- जी-15, 19 विकासशील देशों का एक शिखर स्तरीय समूह है । इसकी पहल सितंबर, 1989 में बेलग्रेड में गुट निरपेक्ष शिखर सम्मेलन में की गई थी । जी-15 को स्थापित करने के पीछे मूल भावना विकासशील देशों में पारस्परिक वाणिज्यिक और आर्थिक, विशेषत: मध्यम और दीर्घवधि
लाभों के लिए सहयोग की काफी गुंजाइश थी । इसके सदस्य देश : अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, जमैका, कीनिया, मलेशिया, मैक्सिको, नाइजीरिया, पेरू, सेनेगल, श्रीलंका, वेनेजुएला, जिम्बाब्वे, ईरान और कोलंबिया हैं । भारत इसका संस्थापक
सदस्य है ।
- जी-15 शिखर सम्मेलन इस समूह का शीर्ष निकाय है । अभी तक 12 शिखर सम्मेलन हुए हैं :-
- क्वालालम्पुर, मलेशिया, 1-4 जून, 1990
- काराकस, वेनेजुएला, 27-29 नवंबर, 1991
- डाकर, सेनेगल, 21-23 नवंबर, 1992
- नई दिल्ली, भारत, 28-30 मार्च, 1994
- ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना, 5-7 नवंबर, 1995
- हरारे, जिम्बाब्वे, 3-5 नवंबर, 1996
- क्वालालम्पुर, मलेशिया, 3-5 नवंबर, 1997
- काहिरा, मिस्र, 11-13 मई, 1998
- मोंटेगो बे, जमैका, 10-12 फरवरी, 1999
- काहिरा, मिस्र, 19-20 जून, 2000
- जकार्ता, इंडोनेशिया, 30-31 मई, 2001
- काराकस, वेनेजुएला, 27-28 फरवरी, 2004
- तत्कालीन माननीय विदेश मंत्री श्री यशवंत सिन्हा ने 26 फरवरी, 2004 को जी-15 के विदेश मंत्रियों की पूर्व बैठक में भाग लेने के साथ-साथ 27-28 फरवरी, 2004 को काराकस (वेनेजुएला) में आयोजित 12वें शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था । इस
शिखर सम्मेलन का विषय ‘ऊर्जा और विकास' था । इसमें एक संयुक्त विज्ञप्ति तथा ‘ऊर्जा और विकास संबंधी काराकस घोषणा' पारित की गई जो सदस्य देशों की चिंता प्रदर्शित करती है । यह संयुक्त विज्ञप्ति, विश्व व्यापार संगठन संबंधी मुद्दों, विशेषत: कृषि, डिजिटल विभाजन
को पूरा करने, एच आई वी/एड्स के विरुद्ध लड़ने, मादक पदार्थों का अवैध व्यापार रोकने, उत्तर-दक्षिण सहयोग, दक्षिण-दक्षिण संवाद, अफ्रीका के लिए नई भागीदारी (नेपाड) और जी-15 के कार्य कौशल में सुधार पर केंद्रित है । इस विज्ञप्ति में, विशेषत: विकासशील देशों में
व्यापार अधिमान्यता की वैश्विक व्यवस्था के तीसरे दौर की शुरूआत करके जो बाद में, जून, 2004 में साओ पाउलो, ब्राजील में संपन्न 11वें अंकटाड सम्मेलन में शुरू किया गया है, संभवत: विकासशील देशों में व्यापार अधिमान्यता का आदान-प्रदान द्वारा अधिक प्रगाढ़ आर्थिक
सहयोग की आवश्यकता का विशेष उल्लेख है । ऊर्जा और विकास संबंधी यह घोषणा, अन्य बातों के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी निवेश सहित ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए अंतर जी-15 कार्यक्रम और क्रियाकलाप तैयार करने की आवश्यकता पर बल देती है । कुल मिलाकर, इन सम्मेलनों
ने प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित जानकारी के आदान-प्रदान, अनुभव बांटने और उभरती अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के प्रति बेहतर समझ और विकासशील देशों पर इसके प्रभावों के लिए उपयोगी अवसर प्रदान किए हैं । संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशनों के बीच-बीच में
विदेश मंत्रियों के स्तर पर भी नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं । व्यापार और निवेश, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मुद्दों पर भी मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की गई हैं ।
- जी-15 ने खाद्यान्न उत्पादन, जनसंख्या और परिवार नियोजन, भूगर्भीय और खनिज अनुसंधान, दूरसंचार, ऊर्जा, औषधीय और सुगंधित पौधों के जीन बैंक, सौर ऊर्जा अनुप्रयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, व्यापार फोरम, लघु उद्योग आदि जैसे विविध क्षेत्रों में सहकारी परियोजनाएं शुरू
की हैं । जी-15, सदस्य देशों के व्यापारियों के बीच संबंध और परस्पर संपर्क को भी प्रगाढ़ बनाना चाहता है । जी-15, उत्तर-दक्षिण संवाद को भी प्रोत्साहित करना चाहता है ।
- भारत, विभिन्न जी-15 परियोजनाओं और कार्यकलापों में सक्रियता से भाग लेता है । भारत, सौर ऊर्जा अनुप्रयोग, सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, औषधीय और सुगंधित पौधों के जीन बैंकों की स्थापना, सेनेगल में उद्यमी और तकनीकी विकास केंद्र आदि जैसी कई परियोजनाओं
का समन्वय करता रहा है । हिंदुस्तान मशीन टूल्स (इंटरनेशनल) ने भारत के 5 मिलियन अमरीकी डालर के अनुदान से, नाइजीरिया (ओसोबो) में नाइजीरिया मशीन टूल्स (एन एम टी) लिमिटेड की पुनरुद्धार परियोजना पूरी की है । किंगस्टन विश्वविद्यालय, जमैका में विष-विज्ञान प्रयोगशाला
स्थापित करने के लिए एक अन्य परियोजना पर इस समय कार्य चल रहा है । इसके अतिरिक्त, भारत ने जी-15 से संबंधित मुद्दों अर्थात् मानक और गुणवत्ता, विश्व व्यापार संगठन में विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों के लिए विशेष और अलग-अलग प्रावधानों तथा विश्व व्यापार
संगठन के तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की तैयारी के लिए जी-15 मंत्रिस्तरीय बैठकें और सम्मेलन आयोजित किए हैं । भारत ने विचार-विमर्श में भारत तथा अन्य विकासशील देशों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों अर्थात् विश्व व्यापार संगठन से संबंधित मुद्दों, गरीबी उन्मूलन,
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय ढांचे के वैश्वीकरण और सुधार, विदेशी ऋण आदि के संबंध में चर्चा और निष्कर्षों को ठोस आकार देने में अग्रणी भूमिका अदा की है । क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों पर भारत के विचारों को इन बैठकों में उचित रूप से व्यक्त
किया जाता है ।
- जी-15 की 26वीं वार्षिक मंत्रिस्तरीय बैठक सितंबर, 2005 में न्यूयार्क में होनी है । 13वां शिखर सम्मेलन 2005/2006 में अल्जीरिया में आयोजित किया जाना है, जबकि 14वां शिखर सम्मेलन 2006 में एशिया में आयोजित किया जाना है । ईरान और श्रीलंका ऐसे दो एशियाई राष्ट्र
हैं जिन्होंने अभी तक किसी शिखर सम्मेलन की मेजबानी नहीं की है, इन्हें बारी-बारी से शिखर सम्मेलन आयोजित करने का विकल्प दिया गया है । तथापि, ब्योरे अभी तैयार किए जाने हैं ।
अगस्त, 2005