भारत- खाड़ी सहयोग परिषद संबंध
खाड़ी सहयोग परिषद, भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरी है । भविष्य में भारत के निवेश भागीदार के तौर पर इसकी व्यापक संभावनाएं हैं । सबसे अधिक प्रवासी भारतीय खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों में रहते हैं । खाड़ी सहयोग परिषद के साथ व्यापार,
निवेश, ऊर्जा, जनशक्ति आदि में सहयोग की प्रचुर संभावनाएं हैं । खाड़ी सहयोग परिषद के साथ भारत के पारंपरिक सौहार्दपूर्ण संबंध और सहयोग है ।
सन् 1984 से खाड़ी सहयोग परिषद और भारत के बीच पारस्परिक संबंधों में निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियां रहीं हैं :-
- 1984 – भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद द्वारा ‘खाड़ी सहयोग परिषद के देशों और भारत के बीच आर्थिक सहयोग में नया परिदृश्य’ विषय पर नई दिल्ली में एक गोलमेज का आयोजन (अक्तूबर, 1984) किया गया था । इसमें सेंट्रल बैंकों के गवर्नरों, वित्तीय
और व्यापारिक संगठनों के नेताओं तथा खाड़ी सहयोग परिषद के 6 राष्ट्रों के राजनयिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था । उन्होंने यह सिफारिश की थी कि अनुसंधान और विकास कार्य, विशेषत: वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है ।
- 1989 - खाड़ी सहयोग परिषद के आर्थिक कार्य संबंधी सहायक महासचिव भारत यात्रा पर आए (जनवरी) थे और वाणिज्य मंत्री, वाणिज्य सचिव और सचिव (पश्चिम) से भेंट की थी । इस अवसर पर खाड़ी सहयोग परिषद के साथ और अधिक सक्रिय संबंधों की भारत की इच्छा पर बल दिया गया ।
- 1989 - खाड़ी सहयोग परिषद के संयुक्त रक्षा दल ने भारत में कुछ सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा (जुलाई) किया था
- 1990-91 – खाड़ी युद्ध के फलस्वरूप खाड़ी सहयोग परिषद सचिवालय और भारत के बीच अधिक पारस्परिक संपर्क ।
- 1992 - खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव डा. अब्दुल्ला बिशारा ने भारत का दौरा (अगस्त) किया था और प्रधानमंत्री से भेंट की थी । उन्होंने विदेश राज्य मंत्री, राज्य सभा की उप सभापति, वाणिज्य राज्य मंत्री, वित्त मंत्री और पेट्रोलियम मंत्री के साथ भी विचार
विमर्श किया था । वह फिक्की और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों से भी मिले थे ।
- सचिव (पश्चिम) ने सऊदी अरब का दौरा किया था और आर्थिक मामलों के सहायक महासचिव के साथ बैठक की थी ।
- 1994 – सचिव (पूर्व) रियाद यात्रा पर गए और सऊदी विदेश मंत्रालय में स्थायी अंडर सेक्रेटरी शेख मंसूरी के साथ अपनी वार्ता के दौरान उन्होंने खाड़ी सहयोग परिषद सचिवालय के साथ संचार के संस्थागत चैनलों की आवश्यकता पर बल दिया । शेख मंसूरी ने इस संबंध में भारतीय
प्रयासों के प्रति सऊदी अरब के पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया ।
- अगस्त, 2003 – संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग विदेश मंत्रियों के स्तर पर नियमित/ वार्षिक राजनीतिक संवाद समझौता और उसे औपचारिक रूप देना ।
भारत-खाड़ी सहयोग परिषद के बीच वार्षिक राजनीतिक संवाद
अब तक सितम्बर, 2003, सितंबर, 2004 और सितंबर, 2005 में तीन बैठकें हो चुकी हैं जिनमें विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से अलग खाड़ी सहयोग परिषद के अध्यक्ष, महासचिव तथा खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के राजदूतों/ प्रतिनिधियों के साथ बैठक की । राजनीतिक
संवाद से खाड़ी सहयोग परिषद-भारत संबंध को नया आयाम मिला है तथा पारस्परिक हित के मुद्दों के समाधान के लिए नियमित आधार पर विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक संस्थागत तंत्र मिला है ।
खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव की भारत यात्रा
खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव श्री अब्दुलरहमान बिन हमद अल-अतैया, 15-18 फरवरी, 2004 के अपने भारत दौरे में 15-16 फरवरी, 2004 को दिल्ली आए । अपने दिल्ली प्रवास के दौरान खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव ने विदेश मंत्री श्री यशवंत सिन्हाँ के साथ व्यापक विचार विमर्श
किया । उन्होंने उप प्रधानमंत्री श्री एल के आडवाणी, राज्य सभा की उप सभापति श्रीमती नजमा हेपतुल्ला और विदेश राज्य मंत्री श्री विनोद खन्ना से भी भेंट की । खाड़ी सहयोग परिषद-भारत द्विपक्षीय संबंधों तथा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर एक संयुक्त प्रेस
विज्ञप्ति भी जारी (16/2) की गई । महासचिव ने 17-18 फरवरी को मुंबई में भारत-खाड़ी सहयोग परिषद के प्रथम औद्योगिक सम्मेलन में भाग लिया । महासचिव ने सभी खाड़ी देशों में सृजनात्मक भूमिका, कौशल, विशेषज्ञता पर आधारित सकारात्मक योगदान तथा अनुशासन, सत्यनिष्ठा
और विधिपालक स्वभाव के लिए भारतीय समुदाय की सराहना की ।
खाड़ी सहयोग परिषद-भारत औद्योगिक सम्मेलन
प्रथम खाड़ी सहयोग परिषद -भारत औद्योगिक सम्मेलन 17-18 फरवरी, 2004 को मुंबई में हुआ था । इसमें खाड़ी अरब राष्ट्रों की सहयोग परिषद के 6 सदस्य राष्ट्र- बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात- और भारत के मंत्री और व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल शामिल
थे । भारत की ओर से वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री अरुण जेटली और खाड़ी सहयोग परिषद की ओर से कुवैत के व्यापार और उद्योग मंत्री अब्दुल्ला बिन अब्दुल रहमान अल-तवील ने इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की । खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव श्री अब्दुलरहमान बिन हमद
अल-अतैया, संयुक्त अरब अमीरात के वित्त और उद्योग मंत्री श्री मोहम्मद खलफान बिन खरबश, बहरीन के वाणिज्य मंत्री श्री अली सलेह अल सलेह, सऊदी अरब के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री हाशिम बिन अब्दुल्ला अल यमनी, ओमान के वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री मकबूल बिन
अली बिन सुल्तान, कतर के द्वितीय उप प्रधानमंत्री और ऊर्जा एवं उद्योग मंत्री श्री अब्दुल्ला हमद अल अतैया ने इस सम्मेलन में भाग लिया । वरिष्ठ अधिकारियों, राजनयिकों, व्यापारिक नेताओं, उद्योग और निवेश घरानों के मुखियाओं ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया । भारत
के वाणिज्य और उद्योग मंत्री, खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव तथा खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के व्यापार और उद्योग मंत्री, भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए सम्मेलन के बाद मिले । इस सम्मेलन में
व्यापार, निवेश, औद्योगिक और प्रौद्योगिकी सहयोग पर ध्यान दिया गया । इसमें ‘मुंबई घोषणा’ जारी की गई । भारत- खाड़ी सहयोग परिषद का द्वितीय औद्योगिक सम्मेलन 25-26 मार्च, 2006 को मस्कट (ओमान) में आयोजित किया गया । भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य और
उद्योग मंत्री ने किया था । सीआईआई ने सम्मेलन के लिए एक विशाल भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया । खाड़ी सहयोग परिषद के सभी 6 राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व उनके व्यापार और उद्योग मंत्रियों ने किया था । सम्मेलन के अंत में मस्कट घोषणा जारी की
गई थी । भारत- खाड़ी सहयोग परिषद के तीसरे औद्योगिक मंच की बैठक 21-22 अप्रैल, 2007 को मुंबई में होनी है ।
आर्थिक सहयोग संबंधी बुनियादी समझौता
भारत और खाड़ी सहयोग परिषद ने अपने वाणिज्यिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देते हुए दोनों के बीच मुक्त व्यापार क्षेत्र की संभावना का पता लगाने के लिए 25 अगस्त, 2004 को आर्थिक सहयोग संबंधी बुनियादी समझौते पर हस्ताक्षर किए । इस समझौते पर वाणिज्य और उद्योग
मंत्री श्री कमलनाथ तथा खाड़ी सहयोग परिषद के अध्यक्ष व कुवैत के अतिथि विदेश मंत्री श्री मोहम्मद अल-सबह अल-सलेम अल-सबह द्वारा खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव श्री अब्दुलरहमान बिन हमद अल-अतैया की उपस्थिति में नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए । खाड़ी सहयोग परिषद
के तीन सदस्यीय वार्ता दल ने भारत का दौरा किया तथा 19 नवंबर, 2004 को मुक्त व्यापार क्षेत्र की दिशा में वार्ता प्रारंभ करने की संभावना तथा इस क्षेत्र के लिए भारत के निर्यात को प्रभावित करने वाले गैर-सीमा शुल्क अवरोधों सहित व्यापक मुद्दों पर विचार विमर्श
किया । वाणिज्य मंत्रालय ने खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने की व्यावहारिकता के बारे में राष्ट्रीय व्यापार और सूचना केंद्र से एक अध्ययन कराया है । प्रधानमंत्री ने व्यापार और आर्थिक संबंध समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए
कहा ‘दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया की भांति खाड़ी क्षेत्र हमारे प्राकृतिक आर्थिक पृष्ठ प्रदेश का हिस्सा है । हमें अपने व्यापक एशियाई पड़ोस में अपने सभी पड़ोसियों के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध बनाने चाहिए । भारत ने दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ नजदीकी
लाने के लिए ‘पूर्व की ओर देखो नीति’ पर सफलतापूर्वक काम किया है । इसी तरह हमें खाड़ी में अपने पश्चिमी पड़ोसी देशों के साथ नजदीकी रिश्ते कायम करने होंगे ।’ व्यापार और आर्थिक संबंध समिति ने भारत- खाड़ी सहयोग परिषद मुक्त व्यापार समझौता संपन्न करने के लिए
खाड़ी सहयोग परिषद के साथ वार्ता शुरू करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय को अधिकृत किया । इसे खाड़ी सहयोग परिषद के अलग-अलग सदस्य देशों अर्थात् संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, कतर, ओमान, बहरीन और सऊदी अरब के साथ सेवा क्षेत्र और निवेश को शामिल करते हुए एक व्यापक आर्थिक
सहयोग समझौते पर वार्ता करने के लिए अधिकृत किया गया है । मुक्त व्यापार समझौते का पहला दौर 21-22 मार्च, 2006 को रियाद में हुआ था जिसमें दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मुक्त व्यापार समझौता एफटीए प्लस होगा । वार्ता का अगला दौर भारत में होगा ।