विदेश संबंधों के बारे में संक्षिप्त विवरण
विदेशों के साथ संबंध विस्तार से
बिम्सटेक - (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल)
- एक उपक्षेत्रीय आर्थिक सहयोग समूह बिम्सटेक (बंगलादेश भारत म्यांमार श्रीलंका और थाइलैंड तकनीकी और आर्थिक सहयोग) का गठन जून, 1997 में बैंकाक में किया गया था । बाद में दिसंबर, 1997 में म्यांमार भी इस समूह से जुड़ गया । फरवरी, 2004 में भूटान और नेपाल भी इस समूह में शामिल हो गए । अब इसके सदस्य देशों में बंगलादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं । 31 जुलाई, 2004 को बैंकाक में आयोजित बिम्सटेक के प्रथम सम्मेलन में बिम्सटेक का नाम बिम्सटेक रखने का निर्णय लिया गया जो ‘बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल' का संक्षिप्त नाम है । सदस्य देशों को बिम्सटेक की अध्यक्षता वर्णक्रम में मिलती है और इस समय थाइलैंड इसका अध्यक्ष है । यद्यपि यह एक नया समूह है, बिम्सटेक के देशों में घनिष्ठ, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंधों का इतिहास रहा है । इस समूह की तात्कालिक प्राथमिकता अपने कार्यकलापों को समेकित करना तथा आर्थिक सहयोग के लिए इसे आकर्षक बनाना है ।
- बिम्सटेक ने सहयोग के मुख्य 6 क्षेत्र अभिनिर्धारित किए हैं । प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक ‘मार्गदर्शक देश' निर्दिष्ट किया गया है: व्यापार और निवेश (बंगलादेश); प्रौद्योगिकी (श्रीलंका); परिवहन और संचार (भारत); ऊर्जा (म्यांमार); पर्यटन (भारत) और मात्स्यिकी (थाइलैंड) । बिम्सटेक देश मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने पर भी सहमत हुए हैं । एक समझौते की रूपरेखा पर बंगलादेश को छोड़कर सभी सदस्य देशों द्वारा 8 फरवरी, 2004 को फुकेत में हस्ताक्षर किए गए थे । इसमें केवल माल का व्यापार ही नहीं बल्कि सेवाएं, निवेश और संबंधित आर्थिक सहयोग (सीमा सीमा शुल्क, मानक, व्यापार वित्तपोषण, ई कामर्स और व्यवसाय वीजा) भी शामिल हैं । बंगलादेश ने बाद में एक संस्थापक देश के रूप में 25 जून, 2004 को इस पर हस्ताक्षर किए थे । यद्यपि माल व्यापार, उद्भव नियम और विवाद समाधान प्रक्रिया पर वार्ता चल रही है, व्यापार, सेवा और निवेश पर वार्ता 2005 के अंत में शुरू होगी । बिम्सटेक मुक्त व्यापार क्षेत्र से संबंधित समझौते की रूपरेखा की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :-
- समझौते की रूपरेखा में माल व्यापार, सेवा व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग शामिल है ।
- उत्पाद, नकारात्मक सूची में शामिल उत्पाद को छोड़कर, पर फास्ट ट्रैक अथवा सामान्य ट्रैक आधार पर सीमा शुल्क से छूट दी जा सकेगी अथवा सीमा शुल्क समाप्त किया जा सकेगा ।
सीमा शुल्क की फास्ट ट्रैक छूट/समाप्ति के लिए समय सारणी
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देश |
विकासशील सदस्य देशों के लिए |
अल्प विकासशील सदस्य देशों के लिए |
भारत, श्रीलंका, थाइलैंड |
1 जुलाई, 2006 से 30 जून, 2009 |
1 जुलाई, 2006 से 30 जून, 2007 |
बंगलादेश, भूटान, म्यांमार और नेपाल |
1 जुलाई, 2006 से 30 जून, 2011 |
1 जुलाई, 2006 से 30 जून, 2009 |
सीमा शुल्क की सामान्य ट्रैक छूट/समाप्ति के लिए समय सारणी
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देश |
विकासशील सदस्य देशों के लिए |
अल्प विकासशील सदस्य देशों के लिए |
भारत, श्रीलंका, थाइलैंड |
1 जुलाई, 2007 से 30 जून, 2012 |
1 जुलाई, 2007 से 30 जून, 2010 |
बंगलादेश, भूटान, म्यांमार और नेपाल |
1 जुलाई, 2007 से 30 जून, 2017 |
1 जुलाई, 2007 से 30 जून, 2015 |
- सीमा शुल्क में छूट/समाप्ति तथा उद्भव नियमों के संबंध में वार्ता करने की निर्धारित समय सीमा दिसंबर, 2005 है ।
- बिम्सटेक में विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग शुरू किया गया है । परिवहन और संचार के क्षेत्र में एक सामान्य समझौता है कि सदस्य देश और अधिक विमान परिवहन उदारीकरण, समुद्र में छोटी दूरी के लिए नौवहन, भारत, म्यांमार और थाइलैंड के बीच त्रपक्षीय राजमार्ग संपर्क तथा बिम्सटेक के अन्य देशों के साथ संपर्क सहित बंगलादेश, म्यांमार और थाइलैंड के बीच त्रिपक्षीय राजमार्ग संपर्क होना चाहिए । इस संदर्भ में दावी दीप समुद्री पत्तन तथा थाइलैंड में पोर्ट से कंचनबुरी तक सड़क संपर्क का साध्यता अध्ययन करने के भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया गया है । इसके अतिरिक्त, मानव संसाधन विकास, हाइड्रोकार्बन और हाइड्रोपावर की संभावना का विकास, बिम्सटेक में प्राकृतिक गैस पाइप लाइन, बंगाल की खाड़ी में मात्स्यिकी संसाधनों का प्रबंधन और दीर्घकालीन उपयोग, व्यवसाय यात्रा और जनता से जनता के संपर्क को आसान बनाने पर भी विशेष ध्यान दिया जाना है । बिम्सटेक को निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका की भी जानकारी है । फरवरी, 2004 में बैंकाक में आयोजित मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में 150 प्रशिक्षण छात्रवृत्तियों के भारत के प्रस्ताव तथा ऐसी 100 छात्रवृत्तियों के थाइलैंड के प्रस्ताव का स्वागत किया गया है । मार्च, 2003 में भारत में उष्णकटिबंधी मानसून और चक्रवात संबंधी एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था । भारत ने म्यामार में एसएमई के लिए उपयुक्त डेमंस्ट्रेशन बायोमास गैसीफायर परियोजना स्थापित की है और बिम्सटेक ऊर्जा सूचना केंद्र की स्थापना में भी म्यांमार को सहायता भी दे रहा है । पर्यटन के क्षेत्र में सदस्य देश 2004 और 2005 को ‘बिम्सटेक भ्रमण वर्ष' के रूप में मना रहे हैं । व्यापार और विदेश मंत्रियों की बैठक के अवसर पर 3-8 फरवरी, 2004 तक फुकेत में एक बिम्सटेक युवा फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित किया गया था । सदस्य देश, संबंधित एजेंसियों के बीच सूचना का आदान प्रदान करके आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग करने पर सहमत हुए हैं ।
- अब तक बिम्सटेक की 6 मंत्रिस्तरीय बैठकें हुई हैं : बैंकाक (दिसंबर, 1997); ढाका (दिसंबर, 1998); नई दिल्ली (जुलाई, 2000); यंगोन (दिसंबर, 2001); कोलंबो (दिसंबर, 2002) जिसमें बिम्सटेक की सम्मेलन स्तरीय बैठकों की सिफारिश की गई थी और फुकेत (फरवरी, 2004) । तत्कालीन विदेश मंत्री ने फुकेत में छठी मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था जिसमें अन्य बातों के साथ साथ बैंकाक में बिम्सटेक के लिए तकनीकी सहायता सुविधा स्थापित करने पर सहमति हुई थी जो दो वर्ष के लिए बिम्सटेक के लघु सचिवालय के रूप में कार्य कर सके और उसके पश्चात् एक स्थायी सचिवालय स्थापित करने के मामले पुन: गौर किया जाएगा । बिम्सटेक मुक्त व्यापार क्षेत्र की दिशा में प्रगति, व्यापार और आर्थिक मामलों में सहयोग पर निगरानी के लिए व्यापार मंत्रियों के स्तर पर बिम्सटेक की वार्षिक बैठक भी होती है । व्यापार मंत्रियों की पाँच बैठकें हो चुकी हैं और पिछली बैठक 7 फरवरी, 2004 को फुकेत में हुई थी ।
- बिम्सटेक के पर्याप्त आर्थिक लाभकारी समूह बनने की संभावनाएं हैं विशेषत: यदि बिम्सटेक मुक्त व्यापार क्षेत्र एक वास्तविकता बन जाए । यह उत्साहजनक है कि बिम्सटेक आर्थिक और व्यापार मंच की प्रक्रिया के माध्यम से बिम्सटेक में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है क्योंकि इसके बगैर बिम्सटेक आगे नहीं बढ़ सकता । क्षेत्र के आर्थिक विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान, सदस्य देशों में परिवहन संपर्क और भौतिक रूप से इन देशों के जुड़ने पर निर्भर करेगा ।
प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन
- प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन जिसका आयोजन थाइलैंड द्वारा गत 30 जुलाई, 2004 को अध्यक्ष की हैसियत से बैंकाक में किया गया था, बिम्सटेक के उप क्षेत्रीय समूह को नई दिशा देने वाली घटना थी । इस सम्मेलन में श्रीलंका के राष्ट्रपति तथा बंगलादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल और थाइलैंड के प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया था । इस सम्मेलन से पहले 30 जुलाई को सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी । इन दो बैठकों में प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन की तैयारी की गई थी ।
- इस सम्मेलन के निर्णय पर, बिम्सटेक (बंगलादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका और थाइलैंड तकनीकी और आर्थिक सहयोग) का नाम बदलकर बिम्सटेक (बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) रखा गया । इस सम्मेलन की घोषणा में व्यापार और निवेश, परिवहन और संचार, पर्यटन, ऊर्जा, मानव संसाधन विकास, कृषि, मात्स्यिकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा जनता से जनता के संपर्क पर विशेष बल दिया गया । जन स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण समुदाय विकास, लघु और मध्यम उद्यम, मौसम और जलवायु अनुसंधान तथा प्राकृतिक आपदा प्रशमन और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई । परिवहन और संचार, जल विद्युत और हाइड्रो कार्बन परियोजनाओं के विकास तथा बिम्सटेक के सदस्य देशों को विद्युत और प्राकृतिक गैस ग्रिड से जोड़े जाने को भी महत्व दिया गया । संयुक्त रूप से बिम्सटेक पर्यटन पैकेज तैयार करने, बिम्सटेक यात्रा कार्ड/वीजा लागू करने, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराध का मुकाबला करने के लिए सदस्य देशों के प्रयासों में समन्वय, संसद सदस्यों, पत्रकारों, छात्रों और संकाय सदस्यों, खिलाड़ियों आदि के एक दूसरे देश में जाने को प्रोत्साहन देने पर भी सम्मेलन में सहमति हुई ।
- सम्मेलन में भारत के निम्नलिखित ठोस प्रस्ताव स्वीकार किए गए :-
- भारत सन् 2005 में पर्यटन मंत्रियों तथा यात्रा एवं पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधियों की एक गोलमेज और कार्यशाला आयोजित करेगा ।
- भारत सन् 2005 में ऊर्जा सहयोग के संबंध में मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा ।
- भारत ने कृषि, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन के लिए दूरसंवेदी आंकड़े सदस्य देशों को उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया ।
- भारत, नई दिल्ली में बिम्सटेक मौसम और जलवायु केंद्र की स्थापना करेगा ।
- भारत ने 150 अतिरिक्त आईटीईसी छात्रवृत्तियों और परंपरागत भारतीय चिकित्सा प्रणाली के अध्ययन के लिए 30 छात्रवृत्तियों का प्रस्ताव किया ।
- इसके अतिरिक्त, सदस्य देशों के अनुरोध पर भारत ने सन् 2006 में अगले सम्मेलन की मेजबानी पर भी अपनी सहमति दी ।
- नेताओं ने अपने-अपने गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों पर भी विचार विमर्श किया और सहमति हुई कि इस क्षेत्र में अनुभव को आपस में बांटा जाए । बंगलादेश ने गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण के संबंध में मंत्रिस्तरीय बैठक के आयोजन का प्रस्ताव किया ।
- जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण, परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन तथा कम कीमत पर औषधि उपलब्ध कराने के लिए सार्थक सहयोग में गहरी रुचि दिखाई । श्रीलंका ने जैव प्रौद्योगिकी और परंपरागत ज्ञान के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार के संबंध में एक बैठक की मेजबानी का प्रस्ताव किया ।
- मिश्रित संस्कृति और इसकी साम्यता को ध्यान में रखते हुए सदस्य देश इस क्षेत्र में और अधिक संपर्क करने पर सहमत हुए । भूटान ने सांस्कृतिक सहयोग के संबंध में एक बैठक की मेजबानी का प्रस्ताव किया है ।
- थाइलैंड, जैव विविधता के संरक्षण, पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा, परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन तथा कम कीमत पर औषधि उपलब्ध कराने के संबंध में एक बैठक बुलाने पर सहमत हुआ है ।
प्रथम सम्मेलन के पश्चात् नई गतिविधियां
- प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हाथ मिलाने की आवश्यकता पर एक समान राय थी । इस दिशा में बिम्सटेक के आतंकवाद प्रतिरोध और अंतर्राष्ट्रीय अपराध से संबंधित संयुक्त कार्यसमूह (जेडब्ल्यूजी-सीटीटीसी) की नई दिल्ली में 9-10 दिसंबर, 2004 को आयोजित प्रथम बैठक एक महत्वपूर्ण कदम थी । इस बैठक में पहले निम्नलिखित उपसमूह गठित करने का निर्णय लिया गया और प्रत्येक के सामने उल्लिखित देश उनका मार्गदर्शक देश होगा :-
Data
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1. |
गोपनीय सूचना का आदान प्रदान |
श्रीलंका |
2. |
कानून और विधि प्रवर्तन मामले |
भारत |
3. |
आतंकवाद को धन उपलब्ध कराना |
थाइलैंड |
4. |
नशीले पदार्थों, साइकोट्रॉपिक पदार्थों और प्रीकर्सर |
म्यांमार |
रसायनों के अवैध व्यापार को रोकना
अन्य सदस्य देशों के अनुरोध पर भारत, अध्यक्ष बने रहने और संयुक्त कार्यसमूह-सीटीटीसी की दूसरी बैठक की मेजबानी के लिए सहमत हुआ । बिम्सटेक सम्मेलन में नेताओं ने मित्र सरकारों पर हमले के लिए आतंकवादी समूहों द्वारा अपने क्षेत्रों का प्रयोग न होने देने का वादा किया तथा सूचना के आदान प्रदान और क्षमता निर्माण में सहयोग करने पर सहमति हुई । विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रथम बिम्सटेक सम्मेलन में किया गया वायदा पूरा करते हुए 19 अगस्त, 2004 को बिम्सटेक मौसम और जलवायु केंद्र की स्थापना की ।
- सदस्य देशों में रेल नेटवर्क के विकास, ट्रांस-एशियन रेल रूट की स्थिति, प्रौद्योगिकी की समरूपता तथा मानव संसाधन विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मसलों के समाधान के लिए सन् 2001 में नई दिल्ली में आयोजित विशेषज्ञ समूह की बैठक में की गई सिफारिशों के अनुसरण में, रेल मंत्रालय ने एशियाई परिवहन विकास संस्थान के समन्वय से, 20-21 सितंबर, 2004 को बिम्सटेक देशों के मुख्य रेलवे कार्यपालकों की प्रथम बैठक आयोजित की । इस बैठक में मानव संसाधन विकास के लिए वास्तविक क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया है । प्रतिभागियों ने सिफारिश की कि एक नई संस्थागत व्यवस्था स्थापित की जाए जो सरकार से बाहर हो और जिसे पर्याप्त आर्थिक सहायता मिले । इस संदर्भ में बैठक में सदस्य देशों ने 20 लाख रुपए के योगदान के लिए एआईटीडी के प्रस्ताव का स्वागत किया जो इस प्रयोजन के लिए मूल पूंजी होगी और इसमें सदस्य देशों द्वारा अंशदान और बहुपक्षीय संस्थाओं द्वारा अनुदान दिया जाएगा । इस बैठक में भारतीय रेलवे द्वारा सदस्य देशों के रेल कार्मिकों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देने के प्रस्ताव की भी सराहना की गई और कहा गया कि एआईटीडी इस मामले में समन्वय करेगा । बिम्सटेक देशों के मुख्य रेल कार्यपालकों की अगली बैठक म्यांमार में होगी ।
- गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय ने 6-18 दिसंबर, 2004 तक बिम्सटेक और आसियान सदस्य देशों के लिए ‘गैर परंपरागत ऊर्जा विकल्प' विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया । इस कार्यशाला में विचार विमर्श और क्षेत्रीय दौरे दोनों शामिल थे ।
- यात्रा उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बिम्सटेक के पर्यटन मंत्रियों की एक कार्यशाला और गोलमेज 21-23 फरवरी, 2005 को कोलकाता में आयोजित की गई थी । इस कार्यशाला के पश्चात् 24-27 फरवरी, 2005 तक असम और मेघालय का तकनीकी दौरा हुआ जिसमें बिम्सटेक के प्रत्येक सदस्य देश के अग्रणी टूर प्रचालकों ने भाग लिया । मंत्रिस्तरीय बैठक के बाद घोषणा की गई तथा इस क्षेत्र में अंतर-बिम्सटेक सहयोग बढ़ाने की कार्य योजना का प्रस्ताव किया ।
अगस्त, 2005