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विदेशों के साथ संबंध विस्तार से
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क)
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना 7-8 दिसंबर, 1985 को ढाका में प्रथम सार्क सम्मेलन में की गई थी । बंगलादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका इसके सदस्य हैं । इस सम्मेलन में पारित सार्क चार्टर में दक्षिण एशिया की
जनता के कल्याण को बढ़ावा देने; आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति में तेजी लाने; आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति में सक्रिय सहयोग बढ़ाने; आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग बढ़ाने; साझा सहयोग के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय
मंचों पर सहयोग मजबूत करने तथा ऐसे ही उद्देश्यों और प्रयोजनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने के मुख्य उद्देश्य शामिल हैं । सार्क चार्टर का अनुच्छेद X (2) द्विपक्षीय और विवादित मुद्दों को सार्क की परिधि से बाहर करता है ।
- भारत ने सार्क के क्रियाकलापों में सक्रिय सहयोग दिया है तथा सार्क में व्यापार और अन्य आर्थिक गतिविधियों, सामाजिक और तकनीकी सहयोग को तेजी से बढ़ाया है । भारत, इस क्षेत्र में और अधिक पारस्परिक समझ और सद्भाव विकसित करने के लिए जनता के बीच पारस्परिक संपर्क
का सक्रिय समर्थन करता रहा है ।
- भारत, सार्क का ऐसा एकमात्र सदस्य है जिसकी चार देशों के साथ साझी जमीनी सीमा है और दो देशों के साथ साझी समुद्री सीमा है । सार्क के किसी अन्य देश की किसी दूसरे देश के साथ साझी सीमा नहीं है । व्यापार, वाणिज्य, निवेश आदि के संदर्भ में भारत, संभावित निवेश
और तकनीक का स्रोत है तथा अन्य सभी सार्क सदस्यों के उत्पादों के लिए एक प्रमुख बाजार है ।
- जनवरी, 2004 में इस्लामाबाद में आयोजित 12वें सम्मेलन में इन दस्तावेजों अर्थात् सार्क सामाजिक चार्टर, दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते के संबंध में एक समझौते की रूपरेखा तथा आतंकवाद के संबंध में एक अतिरिक्त प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर किए गए ।
- गरीबी उन्मूलन का मसला, दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी चुनौती है । जनवरी, 2004 में इस्लामाबाद में आयोजित 12वें सम्मेलन में भारत ने सार्क देशों (भारत से बाहर) में गरीबी उन्मूलन परियोजनाओं के लिए 10 करोड़ अमरीकी डालर के अंशदान का प्रस्ताव किया था । इसके अतिरिक्त
भारत ने इस संबंध में सार्क देशों में साध्यता परियोजनाओं के वित्तपोषण का भी प्रस्ताव किया है ।
- 12वें सम्मेलन के अधिदेश के अनुसार, गरीबी उन्मूलन संबंधी स्वतंत्र दक्षिण एशियाई आयोग ने तीन प्रमुख कारकों : दक्षिण एशिया विशिष्टता, सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों का यथानिर्धारित अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों से संबंध और अंतत: लक्ष्यों की प्रक्रिया और परिणामों
पर ध्यान देने के महत्व (उदाहरण के लिए मातृत्व स्वास्थ्य के लक्ष्य के परिणाम को प्रभावित करने के लिए कुशल दाईयों की संख्या बढ़ाना) को ध्यान में रखते हुए सार्क विकास लक्ष्य तैयार किए हैं । गरीबी उन्मूलन संबंधी स्वतंत्र दक्षिण एशियाई आयोग ने आजीविका,
स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण के अधिदेशित क्षेत्रों में 2005-2010 की अवधि हेतु सार्क विकास लक्ष्य तैयार करने के लिए 22 प्राथमिक लक्ष्यों की सिफारिश की है । भारत अन्य सार्क सदस्य देशों के साथ सहयोग परियोजनाओं के कार्यान्वयन की दिशा में सार्क के पुर्नअभिमुखीकरण
के पक्ष में है जिससे हमारे लोगों को ठोस परिणाम मिल सकें ।
- राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षरित सामाजिक चार्टर में सार्क देशों के लिए गरीबी उन्मूलन, जनसंख्या स्थिरता, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, बाल विकास और युवाओं को प्रेरणा देने जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्षेत्रीय सहयोग
की एक योजना है । जुलाई, 2004 में इस्लामाबाद में मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने गरीबी उन्मूलन और विकास में सहयोगी प्रयास बढ़ाने के लिए सार्क के सामाजिक चार्टर पर निगरानी रखने वाली राष्ट्रीय समितियों में विचार विमर्श का प्रस्ताव किया था । भारत ने एच आई वी/एड्स
और टी बी का मुकाबला करने के लिए सामग्री और मानव संसाधन सहायता देने का भी प्रस्ताव किया है ।
- हमें उम्मीद है कि दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता, सार्क में क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख क्षेत्र को नई दिशा देगा । दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौता 1 जनवरी, 2006 से लागू होना है और 2016 तक यह पूरी तरह प्रचलन में आ जाएगा । तथापि, 1 जनवरी,
2006 को इसके लागू होने से पहले साफ्टा के चार बकाया मसलों अर्थात् i) संवेदनशील सूची, ii) उद्भव नियम, iii) न्यूनतम विकसित संविदाकारी राष्ट्रों के लिए तकनीकी सहायता और iv) न्यूनतम विकसित राष्ट्रों को राजस्व घाटा प्रतिपूर्ति तंत्र का समाधान करना होगा । हमारा
अनुमान है कि साफ्टा के लागू होने से हम एक सीमा-शुल्क संघ और अंतत: दक्षिण एशिया आर्थिक संघ को मूर्त रूप देने के लिए सेवा और निवेश जैसे आर्थिक एकीकरण के अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ सकेंगे ।
- जुलाई, 2004 में इस्लामाबाद में सार्क मंत्रिस्तरीय बैठक में हमने क्षेत्र के आर्थिक एकीकरण के लिए अर्थव्यवस्था, व्यापार, वित्तीय और आर्थिक क्षेत्रों के संबंध में नीतियां बनाने और पहल करने के विचार से एक उच्च आर्थिक परिषद की स्थापना का प्रस्ताव किया
था । इस दिशा में अवसंरचना का पुनरुद्धार और सुधार, विशेषत: सीमा पार अवसंरचना, सड़कें, रेल, जलमार्ग, पत्तन, ऊर्जा और संचार, अवसंरचना के उपयोगी उपाय होंगे । इन प्रयासों के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी इसलिए भारत ने क्षेत्र में प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं
के लिए सार्क अवसंरचना कोष की स्थापना का प्रस्ताव किया है । हम चाहते हैं कि निकट भविष्य में इन प्रयासों को मूर्त रूप मिले ।
- सन् 1987 में आतंकवाद के उन्मूलन के संबंध में सार्क क्षेत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे । इस समझौते को अद्यतन बनाने तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवीनतम विकास के अनुरूप बनाने के लिए 12वें सार्क सम्मेलन में आतंकवाद संबंधी अतिरिक्त प्रोटोकाल पर हस्ताक्षर
किए गए थे; सार्क सदस्य राष्ट्रों ने आतंकवादी कार्यों के लिए धन मुहैया कराने को रोकने और उसके दमन, ऐसे कृत्यों के लिए धन एकत्रित करने को आपराधिक कृत्य बनाने के लिए प्रावधान करने और आतंकवाद से लड़ने के प्रति वचनबद्धता व्यक्त की है । हम उम्मीद करते हैं
कि सभी सदस्य राष्ट्र इस समझौते और अतिरिक्त प्रोटोकाल का अनुसमर्थन करेंगे तथा समर्थकारी विधान तैयार करेंगे ताकि आतंकवाद से लड़ाई में सहयोग के लिए यह एक प्रभावी साधन बने ।
- सार्क ने 19 अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ सहयोग समझौते किए हैं जिनमें संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियां, यूरोपीय आयोग, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक शामिल हैं । इसके साथ जापान, कनाडा और जर्मनी के साथ भी सहयोग समझौते किए गए । सार्क के
साथ सहयोगी समझौते करने में अन्य राष्ट्रों और क्षेत्रीय संगठनों ने भी अधिक रुचि दिखायी है ।
- भारत नवंबर, 2005 में ढाका में होने वाले 13वें सार्क सम्मेलन में भाग लेने की प्रतीक्षा कर रहा है ।
- सार्क, दिसंबर, 2005 में अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर रहा है । चूंकि यह तीसरे दशक में प्रवेश करेगा, भविष्य में क्षेत्रीय आर्थिक विकास और एकीकरण की संभावना है । ऊर्जा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, अवसंरचना और परिवहन विकास, पर्यावरण सरंक्षण, स्वास्थ्य,
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन, संस्कृति, कृषि, मानव संसाधन विकास आदि जैसे क्षेत्रों में सार्क मंच के तहत कार्योन्मुख सहयोग की संभावना है ।
अगस्त, 2005