विदेश संबंधों के बारे में संक्षिप्त विवरण

विदेशों के साथ संबंध विस्तार से

आसियान-भारत संबंध

  • 1967 में बैंकाक में आसियान घोषणा पर प्रारंभ हस्‍ताक्षर करने वाले देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड हैं । बाद में, शीतयुद्ध की समाप्‍ति के पश्‍चात् कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्‍यांमार, वियतनाम (सीएलएमवी) और ब्रुनेई दारूस्‍सलाम, इस समूह में शामिल हो गए । आसियान के चार शिखर स्‍तरीय संवाद भागीदार हैं अर्थात् चीन, जापान, आर ओ के और भारत । इसके अतिरिक्‍त, इसके अनेक संवाद और क्षेत्रीय संवाद भागीदार हैं ।
  • आसियान के साथ मजबूत और बहुपक्षीय संबंधों पर भारत की एकाग्रता, 1990 के दशक के प्रारंभ में विश्‍व के राजनैतिक और आर्थिक परिदृश्‍य में महत्‍वपूर्ण परिवर्तनों आर्थिक उदारीकरण की ओर भारत के स्‍वयं आगे बढ़ने का परिणाम है । भारत की आर्थिक स्‍थान की खोज के फलस्‍वरूप हमारी ‘लुक ईस्‍ट’ नीति अस्‍तित्‍व में आई । बृहत्‍तर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आसियान का आर्थिक, राजनैतिक और सामरिक महत्‍व तथा व्‍यापार और निवेश में भारत की एक प्रमुख भागीदार बनने की क्षमता, हमारी नीति का एक महत्‍वपूर्ण कारक है । म्‍यांमार को शामिल करते हुए आसियान का पश्‍चिम की ओर निरंतर विस्‍तार, उसे हमारी सीमा तक लाया है ।यह अब एशिया-प्रशांत-केंद्रित आर्थिक धारा से भारत को जोड़ने के लिए भूसेतु प्रदान करता है जो 21वीं सदी के बाजार को साकार करेगा । आसियान, भारत की व्‍यावसायिक और तकनीकी क्षमता का लाभ उठाना चाहता है । सीएलएमवी देशों के साथ हमारी परंपरागत मैत्री, आसियान की एकीकरण पहल को बढ़ावा देने में भारत को महत्‍वपूर्ण सहयोगी बनाती है ।
  • भारत और आसियान के अपने सुरक्षा परिदृश्‍य में समानता है । इस क्षेत्र में शांति और स्‍थायित्‍व तथा कच्‍चे माल, माल और ऊर्जा आपूर्ति के निर्बाध आवागमन के लिए हिंद महासागर की सुरक्षा में हमारा महत्‍वपूर्ण हित है । सन् 1996 से भारत, आसियान क्षेत्रीय मंच में सक्रिय भागीदार रहा है ।
  • आसियान के साथ अपने संबंध स्‍थापित करने की हमारी नीति ‘अकेली’ नहीं है-हमने आसियान के साथ अपने संबंधों में सहायता के लिए क्षेत्र में अन्‍य नीतिगत पहल भी तैयार की हैं । निरंतरता बनाए रखने के लिए, हम मैकांग-गंगा-सहयोग (एमजीसी) में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं जो भारत और 5 एशियाई देशों– कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्‍यांमार, थाइलैंड और वियतनाम को एक साथ लाता है । बिम्‍सटेक, हमारी ‘लुक ईस्‍ट’ नीति का दूसरा महत्‍वपूर्ण स्‍तंभ है जो नेपाल, भूटान, बंगलादेश, श्रीलंका, म्‍यांमार और थाइलैंड को भारत के साथ लाता है । कार्यात्‍मक सहयोग के लिए मंच प्रदान करने के अतिरिक्‍त, बिम्‍सटेक मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र पर भी वार्ता चल रही है ।
  • भारत, 1992 में आसियान का क्षेत्रीय संवाद भागीदार और 1996 में पूर्ण संवाद भागीदार बन गया । आसियान-भारत के राजनैतिक स्‍तरीय तंत्र में, वार्षिक आसियान-भारत शिखर बैठक और विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक शामिल है । वरिष्‍ठ अधिकारियों की बैठक तथा विभिन्‍न कार्यात्‍मक क्षेत्रों जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्‍वास्‍थ्‍य, व्‍यापार और निवेश तथा परिवहन और अवसंरचना के क्षेत्रों में विशेष कार्य समूहों की बैठकों से राजनैतिक स्‍तरीय संपर्क और मजबूत होता है ।

    व्‍यापार और निवेश
  • पिछले एक दशक में आसियान के साथ हमारे निरंतर प्रयासों के अनुकूल परिणाम मिले हैं । सन् 2003-04 में आसियान-भारत व्‍यापार लगभग 15 अरब अमरीकी डालर था जो 1993-94 के व्‍यापार आंकड़ों के मुकाबले में लगभग 350% अधिक है । यह व्‍यापार संतुलन आसियान के पक्ष में है । इन संबंधों में और विस्‍तार की काफी संभावनाएं हैं । लगभग 1.5 अरब जनसंख्‍या और 1.5 लाख करोड़ अमरीकी डालर के सकल घरेलु उत्‍पाद को देखते हुए, लगभग 15 अरब अमरीकी डालर का व्‍यापार बहुत कम है । 2003 में नई दिल्‍ली और मुंबई में संपन्‍न द्वितीय भारत-आसियान व्‍यापार शिखर बैठक में, भारत और आसियान के लिए 2005 तक 15 अरब अमरीकी डालर और 2007 तक 30 अरब अमरीकी डालर का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया था । 30 नवंबर, 2004 को वियतनाम में संपन्‍न, तीसरी आसियान-भारत शिखर बैठक में प्रधानमंत्री ने 30 अरब अमरीकी डालर का लक्ष्‍य दोहराया था । आसियान के सदस्‍य देशों के लिए हमारे निर्यात में आयल मील, रत्‍न और आभूषण, मांस, तैयार मांस, सूती धागा, फैब्रिक, मशीनरी, चावल, औषधि एवं फार्मास्‍यूटिकल्‍स, रसायन आदि शामिल हैं । हमारे आयात में मुख्‍यत: कृत्रिम रेजिन, प्‍लास्‍टिक सामग्री, प्राकृतिक रबर, काष्‍ठ और काष्‍ठ उत्‍पाद, इलेक्‍ट्रानिक सामग्री, कार्बनिक रसायन, खाद्य तेल, उर्वरक आदि शामिल हैं ।
  • आसियान देश, विशेषत: मलेशिया, सिंगापुर और थाइलैंड, भारत में दूरसंचार, ईंधन, होटल और पर्यटन सेवाओं, भारी उद्योग, रसायन, उर्वरक, टेक्‍सटाइल, पेपर और पल्‍प तथा खाद्य प्रसंस्‍करण जैसे क्षेत्रों में अधिक से अधिक निवेश कर रहे हैं ।

    कार्यात्‍मक सहयोग
  • आसियान-भारत सहयोग में व्‍यापार और निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, उन्‍नत सामग्री, अंतरिक्ष विज्ञान और उनके अनुप्रयोग आदि सहित), पर्यटन, मानव संसाधन विकास, परिवहन और अवसंरचना तथा स्‍वास्‍थ्‍य और फार्मास्‍यूटिकल्‍स जैसे व्‍यापक क्षेत्र शामिल हैं । आसियान एकीकरण पहल के संदर्भ में, मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में भारत ने आसियान के सदस्‍य देशों, विशेषत: कंबोडिया, लाओ पीडीआर, म्‍यांमार और वियतनाम (सीएलएमवी) को प्रशिक्षण प्रदान किया है । हमने, सिविल अवसंरचना में 48 सीएलएमवी कार्मिकों के लिए रेलवे प्रशिक्षण हेतु (17 प्रतिभागी), सिगनल प्रचालन (14 प्रतिभागी) और रेलवे प्रबंधन (17 प्रतिभागी) प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं । सिंगापुर के साथ सहयोग में हमने, सीएलएमवी देशों के लिए उनकी अपनी-अपनी राजधानियों में अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं । हमने, वेनटाइन में लाओ-भारत उद्यम विकास केंद्र की भी स्‍थापना की है । इसका उद्घाटन, तीसरी आसियान-भारत शिखर बैठक की पूर्व संध्‍या पर विदेश मंत्री द्वारा किया गया था । सन् 2005 में नॉमपेन्‍ह, हनोई और यांगून में भी ऐसे उद्यम विकास केंद्र स्‍थापित किए जाएंगे ।

    प्रथम आसियान-भारत शिखर बैठक (नॉमपेन्‍ह, 5 नवंबर, 2002)
  • प्रथम आसियान-भारत शिखर बैठक, आसियान के साथ हमारी संवाद भागीदारी को उन्‍नत बनाने तथा इसे पीआरसी, आरओके और जापान की संवाद भागीदारी के समकक्ष लाने के हमारे सतत् प्रयासों की पराकाष्‍ठा थी । इस बैठक में भारत ने 10 वर्ष की समय सीमा में आसियान-भारत मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र का आह्वान किया था । हमने, भारत के उनके बाजार प्रवेश में सुधार के लिए उनके विकास के स्‍तर के आधार पर, आसियान देशों के साथ विशेष और अंतरीय व्‍यापारिक बरताव की अपनी इच्‍छा की भी घोषणा की । हमने कहा कि भारत, सन् 2005 तक अपने उच्‍चतम सीमा शुल्‍क को पूर्वी एशियाई स्‍तर तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है ।
  • तत्‍कालीन प्रधानमंत्री के शिखर बैठक के वक्‍तव्‍य में सहयोग के निम्‍नलिखित अन्‍य क्षेत्र अभिनिर्धारित किए गए : वाणिज्‍यिक दोहन को ध्‍यान में रखते हुए कृषि में अनुसंधान और विकास, जैव प्रौद्योगिकी, स्‍वास्‍थ्‍य और फार्मास्‍यूटिकल्‍स, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में सहयोग जिसमें संचार और दूरसंवेदी उपग्रहों का संयुक्‍त प्रक्षेपण और विनिर्माण शामिल है तथा नई रेल, सड़क और वायु संपर्क के माध्‍यम से भौतिक संपर्क को सुदृढ़ बनाना । अधिक से अधिक जन-जन संपर्क की आवश्‍यकता पर बल देते हुए छात्रों, व्‍यवसायियों और पर्यटकों के लिए आसान यात्रा के उपाय करते हुए इनकी प्राथमिक क्षेत्र के रूप में पहचान की गई । हमने आसियान एकीकरण पहल के अंतर्गत, परियोजनाओं के लिए अपने समर्थन की भी घोषणा की ।

    द्वितीय आसियान-भारत शिखर बैठक (बाली, 8 अक्‍तूबर, 2003)
  • द्वितीय आसियान-भारत शिखर बैठक, भारत-आसियान संबंधों में ऐतिहासिक घटना थी । बाली में 8 अक्‍तूबर, 2003 को द्वितीय आसियान-भारत शिखर बैठक में भारत और आसियान ने तीन समझौते किए :
    1. आसियान और भारत के नेताओं द्वारा हस्‍ताक्षरित व्‍यापार आर्थिक सहयोग के लिए रूपरेखा समझौता ।
    2. विदेश मंत्री द्वारा हस्‍ताक्षरित आसियान मैत्री और सहयोग संधि संबंधी दस्‍तावेज
    3. अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग संबंधी संयुक्‍त घोषणा पारित करना ।
  • रूपरेखा समझौते में, भारत-आसियान क्षेत्रीय व्‍यापार और निवेश क्षेत्र की स्‍थापना का प्रस्‍ताव है, जिसमें माल, सेवाओं और निवेश के क्षेत्र में मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र शामिल है । माल के लिए मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र संबंधी वार्ता के जनवरी, 2004 में शुरू होने और जून, 2005 तक पूरे होने की संभावना है । यह मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र जनवरी, 2006 से लागू होगा ।
  • सेवाओं और निवेश में व्‍यापार के लिए, संबंधित समझौतों पर वार्ताएं 2005 में शुरू होंगी और 2007 तक पूरी हो जाएंगी । रूपरेखा समझौता में 105 सहमत वस्‍तुओं पर सीमा शुल्‍क में तेजी से कमी के लिए माल व्‍यापार संबंधी ‘शीघ्र परिणाम कार्यक्रम’ (ई एच पी) शामिल है । सीमा शुल्‍क समाप्‍ति अथवा उसमें कमी का कार्य 2007 तक ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और भारत द्वारा तथा अक्‍तूबर, 2010 तक कंबोडिया, लाओस, म्‍यांमार और वियतनाम द्वारा पूरा कर लिया जाएगा । इसके अतिरिक्‍त, भारत ने कंबोडिया, लाओस, म्‍यांमार और वियतनाम को 111 वस्‍तुओं पर सीमा शुल्‍क में एकतरफा रियायत दी है ।
  • इस समझौते में, आसियान के साथ मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र समझौते पर वार्ता की रूपरेखा का प्रावधान है । वार्ता कार्यक्रम आगे बढ़ाने के लिए आसियान-भारत व्‍यापार वार्ता समिति गठित की गई है ।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग संबंधी संयुक्‍त घोषणा में (i) सूचना के आदान-प्रदान, (ii) कानूनी और प्रवर्तन मामलों, (iii) संस्‍थागत क्षमता विस्‍तार और (iv) प्रशिक्षण में सहयोग की परिकल्‍पना है ।
  • दक्षिण पूर्व एशिया में मैत्री और सहयोग संधि में भारत का शामिल होना, क्षेत्रीय शांति और स्‍थायित्‍व बनाए रखने में आसियान देशों के साथ काम करने की भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है ।
  • तत्‍कालीन प्रधानमंत्री ने अपने वक्‍तव्‍य में, भारत-आसियान संबंध की एक नई रूपरेखा का प्रस्‍ताव किया था जिससे अंतत: आसियान समुदाय का निर्माण होगा । उन्‍होंने हमारे भौगोलिक सामीप्‍य के अपेक्षित लाभ उठाने के लिए बेहतर संपर्क पर भी बल दिया ।
  • हमने, आसियान के साथ भारत की भौगोलिक समीपता के प्रदर्शन तथा भारत और आसियान के बीच बेहतर सड़क संपर्क की आवश्‍यकता की ओर ध्‍यान आकर्षित करने के लिए, भारत-आसियान मोटर कार रैली के आयोजन का भी प्रस्‍ताव किया था ।

    तीसरी आसियान-भारत शिखर बैठक (वेनटाइन, 29-30 नवंबर, 2004)
  • प्रधानमंत्री ने 29-30 नवंबर, 2004 को वेनटाइन में तीसरी आसियान-भारत शिखर बैठक में भाग लिया था । उन्‍होंने आस्‍ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, जापान, लाओस, सिंगापुर और वियतनाम के प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय विचार विमर्श किया था ।
  • प्रधानमंत्री द्वारा निम्‍नलिखित विशिष्‍ट प्रस्‍ताव किए गए :-
    1. भारत, भारत-आसियान सहयोग कोष में 2.5 मिलियन अमरीकी डालर का अंशदान देगा ।
    2. एशियाई आर्थिक समुदाय के संबंध में एक अवधारणा दस्‍तावेज तैयार करने के लिए, 2005 की प्रथम तिमाही में नीति निर्माताओं, वरिष्‍ठ अधिकारियों और व्‍यवसाय प्रतिनिधियों की एक कार्यशाला भारत में आयोजित की जानी है ।
    3. भारत-म्‍यांमार-थाइलैंड राजमार्ग के किनारे प्रस्‍तावित ऑप्‍टिकल फाइबर लिंक को सभी आसियान देशों तक फैलाना ।
    4. आसियान के साथ टेक्‍स्ट टू स्‍पीच एंड टेक्‍स्‍ट टू ब्रेल (श्रुति दृष्‍टि) की नव विकसित एकीकृत व्‍यवस्‍था आसियान के साथ बांटना तथा इस प्रयोजन के लिए उपयुक्‍त नेट पोर्टल स्‍थापित करने में आसियान की सहायता करना ।
    5. आसियान के सदस्‍य देशों के उपग्रहों और लघु उपग्रहों का आसान शर्तों पर प्रक्षेपण ।
    6. आसियान के पात्र सदस्‍य देशों को 200 मिलियन अमरीकी डालर तक के रियायती ऋण ।
    7. दवाओं का संयुक्‍त अनुसंधान और विकास ।
    8. यदा-कदा प्रयुक्‍त होने वाली दवाओं का संयुक्‍त भंडारण ।
    9. उष्‍णकटिबंधी फलों और सब्‍जियों के जनन-द्रव्‍य का आदान-प्रदान ।
    शिखर बैठक का परिणाम
  • प्रधानमंत्री ने ‘शांति, प्रगति और साझा समृद्धि के लिए भारत-आसियान भागीदारी’ संबंधी समझौते पर हस्‍ताक्षर किए । विविध क्षेत्रों में अधिक से अधिक से सहयोग के लिए विस्‍तृत कार्य योजना, समझौते के साथ संलग्‍न है । इस समझौते की कुछ मुख्‍य विशेषताएं इस प्रकार हैं :-
    1. संयुक्‍त राष्‍ट्र व्‍यवस्‍था को सुदृढ़ बनाने में सहयोग जिसमें संयुक्‍त राष्‍ट्र और ब्रेटन वुड्स इंस्‍टीट्यूशन्‍स में शीघ्र सुधार के लिए समर्थन भी शामिल है ताकि इन्‍हें अधिक लोकतांत्रिक और अपने सदस्‍य राष्‍ट्रों, विशेषत: विकासशील देशों की प्राथमिकताओं के अनुकूल बनाया जा सके ।
    2. विकासशील देशों में अधिक से अधिक समानता और भूमंडलीकरण के अधिक से अधिक लाभ के लिए अन्‍य बहुपक्षीय मंचों, विशेषत: विश्‍व व्‍यापार संगठन में सहयोग ।
    3. कारगर संस्‍थागत संपर्क और सूचना के आदान-प्रदान एवं क्षमता निर्माण को प्राथमिकता देते हुए सहयोग कार्यक्रमों के माध्‍यम से, अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद तथा मादक पदार्थों के अवैध व्‍यापार, हथियारों की तस्‍करी, मानव विशेषत: महिलाओं और बच्‍चों के अवैध व्‍यापार, साइबर अपराध, अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक अपराधों, पर्यावरण संबंधी अपराधों, समुद्री डकैती और अवैध लेन-देन जैसे अंतर्राष्‍ट्रीय अपराधों का मुकाबला करने में सहयोग ।
    4. सामान्‍य और पूर्ण निरस्‍त्रीकरण के क्षेत्रों तथा कठोर और कारगर अंतर्राष्‍ट्रीय नियंत्रण में व्‍यापक विनाश के हथियारों के अप्रसार में सहयोग ।
    5. भौतिक संपर्क बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय अवसंरचना तथा सड़क, रेल, समुद्री और विमान परिवहन संपर्क के विकास को उच्‍च प्राथमिकता देना जिससे माल और लोगों का आवागमन अधिक से अधिक सुविधाजनक होगा ।
    6. पर्यटक महत्‍व के स्‍थलों को आकर्षक बनाने के लिए पर्यटन केंद्रों के लिए संपर्क का विकास करके, आसियान और भारत के बीच यात्रा और पर्यटन आसान बनाना ।
    7. विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेषत: सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाना । इसमें संयुक्‍त अनुसंधान और विकास तथा नई प्रौद्योगिकी के व्‍यवसायीकरण के माध्‍यम से सहयोग बढ़ाना भी शामिल है ।
    8. परंपरागत और आधुनिक, दोनों व्‍यापारिक और आर्थिक व्‍यवस्‍थाओं के माध्‍यम से कार्य करना तथा माल, सेवाओं, निवेश के निर्बाध आवागमन और अन्‍य क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग के लिए शीघ्र परिणाम कार्यक्रम के शीघ्र कार्यान्‍वयन के साथ-साथ आसियान-5 और भारत के लिए 2011 तक, फिलिपींस और भारत के लिए 2016 तक, भारत द्वारा 2011 तक तथा चार नए आसियान सदस्‍य देशों के लिए 2016 तक आसियान- भारत मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र का पूर्ण कार्यान्‍वयन ।
    9. आसियान मैत्री-।। घोषणा के कार्यान्‍वयन के लिए पूर्ण समर्थन दोहराना जिससे आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय और आसियान सामाजिक-सांस्‍कृतिक समुदाय को शामिल करते हुए अधिक एकीकृत आसियान समुदाय का निर्माण करना ।
    10. क्षमता निर्माण, संस्‍थाओं के सुदृढ़ीकरण, प्रशिक्षण तथा लघु और मध्‍यम उद्यमों पर ध्‍यान केंद्रित करते हुए उद्यम विकास के माध्‍यम से मानव संसाधन विकास में सहयोग बढ़ाना ।
    भारत-आसियान मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र
  • भारत-आसियान मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र के शीघ्र परिणाम कार्यक्रम (ईएचपी) के अंतरिम उद्भव नियम (आरओओ) के संबंध में, शिखर बैठक के दौरान एक समझौता हुआ था । अंतरिम आरओओ, न्‍यूनतम प्रगति की प्रस्‍तावित आसियान सूची के साथ 40 % मूल्‍य वृद्धि के सामान्‍य नियम पर आधारित होगी जो उत्‍पादों की उपयुक्‍त चयन सूची के अध्‍यधीन होगी, जहां उत्‍पाद विशेष नियमों पर वार्ता की जाएगी । ईएचपी, 1 अप्रैल, 2005 से लागू किया जाएगा । अब माल में मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र के संबंध में भी वार्ता शुरू होगी । दूसरी शिखर बैठक में हस्‍ताक्षरित, व्‍यापक आर्थिक सहयोग समझौते की रूपरेखा में, मुक्‍त व्‍यापार क्षेत्र की स्‍थापना की परिकल्‍पना है । ईएचपी से भारत-आसियान व्‍यापार में सन् 2007 तक 30 अरब अमरीकी डालर का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने में मदद मिलने की संभावना है । व्‍यापार का वर्तमान स्‍तर लगभग 15 अरब अमरीकी डालर है ।

    एशियाई आर्थिक समुदाय और पूर्वी एशिया शिखर बैठक
  • भारत ने 2003 में बाली में संपन्‍न द्वितीय भारत-आसियान शिखर बैठक में, एशियाई आर्थिक समुदाय का सुझाव दिया था, जो आसियान -10, जापान, चीन और आरओके को एक मंच पर लाएगा । प्रधानमंत्री ने, तीसरी शिखर बैठक में इस विषय पर अवधारणा पत्र तैयार करने के लिए 2005 की प्रथम तिमाही में भारत के एक कार्यशाला के आयोजन का प्रस्‍ताव किया था । इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए नीति निर्माताओं, वरिष्‍ठ अधिकारियों और उद्योग प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाएगा ।
  • एशियाई आर्थिक समुदाय का विचार मोटे तौर पर एक ऐसे समुदाय से है जिससे ‘आर्क ऑफ एडवांटेज’ का निर्माण होगा जहां लोगों, पूंजी, विचारों और रचनात्‍मकता का बड़े पैमाने पर आवागमन होगा । आय के संदर्भ में ऐसा समुदाय, यूरोपीय संघ के आकार का होगा और व्‍यापार के संदर्भ में नाफ्टा से बड़ा होगा । इसमें दुनिया की आधी जनसंख्‍या शामिल होगी और उसका विदेशी मुद्रा कोष, यूरोपीय संघ और नाफ्टा दोनों के विदेशी मुद्रा कोष से अधिक होगा ।
  • अनेक आसियान देशों ने 2005 के अंत में कुआलालम्‍पुर में आयोजित की जाने वाली प्रथम पूर्व एशिया शिखर बैठक में भारत की भागीदारी का समर्थन किया है जिनमें इंडोनेशिया और सिंगापुर सबसे आगे हैं । भारत, पूर्वी एशिया शिखर बैठक में भागीदारी के लिए आसियान द्वारा निर्धारित तीन मानदंड पूरे करता है । इस मामले पर औपचारिक निर्णय की घोषणा, जुलाई, 2005 के लिए नियत एएमएम में की जाएगी ।

    भारत-आसियान कार रैली
  • प्रधानमंत्री और आसियान नेताओं ने, 30 नवंबर को वेनटाइन में भारत- आसियान कार रैली के द्वितीय चरण को झंडी दिखाकर रवाना किया । प्रधानमंत्री ने प्रथम चरण को 22 नवंबर को गुवाहाटी में झंडी दिखाकर रवाना किया । यह रैली 11 दिसंबर को बातम, इंडोनेशिया में समाप्‍त होगी । यह रैली 20 दिन चलेगी और 11 देशों से गुजरते हुए लगभग 8000 कि.मी. की दूरी तय करेगी । इससे जनता में आसियान देशों के प्रति रुचि जागी है । प्रत्‍येक आसियान सदस्‍य (फिलिपींस को छोड़कर) ने कार रैली में शामिल होने के लिए 2 कारें भेजी हैं । आसियान नेताओं ने प्रधानमंत्री के सुझाव पर ध्‍यान दिया कि यह रैली नियमित आधार पर आयोजित की जानी चाहिए । रैली के आयोजन के मुख्‍य उद्देश्‍य इस प्रकार हैं :-
    1. आसियान देशों के साथ भारत की निकटता प्रदर्शित करना ।
    2. भारत-आसियान संबंधों के बारे में जागरूकता लाना ।
    3. संपर्क, विशेषत: सड़क परिवहन को बढ़ावा देना ।
    4. भारत और आसियान देशों के बीच व्‍यापार, निवेश, पर्यटन और जन-जन संपर्क बढ़ाना ।
    मूल्‍यांकन
  • तीसरी भारत-आसियान शिखर बैठक से संबंधों में परिपक्‍वता आई है । इस शिखर बैठक से यह पता लगा कि पारस्‍परिक स्‍वीकृति से भारत-आसियान संबंधों में मजबूती आई है जो प्रगाढ़ ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक संबंधों पर टिकी है और भारत एवं आसियान, दोनों के हितों को पूरा करती है । तेजी से आगे बढ़ने की पारस्‍परिक इच्‍छा भी स्‍पष्‍ट है । भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और विश्‍व मामलों में सक्रिय स्‍वतंत्र भूमिका, आसियान को हमारे साथ बेहतर संबंध स्‍थापित करने के लिए विवश करती है । हम, संबंधों की गतिशीलता को बनाए रखने के लिए शिखर बैठक में किए गए प्रयासों का अनुकरण करेंगे ।

जुलाई, 2005