विदेश संबंधों के बारे में संक्षिप्त विवरण

विदेशों के साथ संबंध विस्तार से

खाड़ी सहयोग परिषद

रियाद, सऊदी अरब में बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्‍त अरब अमीरात ने 25 मई, 1981 को एक समझौता करके खाड़ी सहयोग परिषद की स्‍थापना की थी । इन देशों ने घोषणा की कि खाड़ी सहयोग परिषद की स्‍थापना उनके बीच विशेष संबंधों को ध्‍यान में रखते हुए और इस्‍लामी सिद्धांतों, संयुक्‍त नियति एवं साझा उद्देश्‍यों पर आधारित अपनी समान राजनीतिक व्‍यवस्‍थाओं को ध्‍यान में रखकर की गई है ।

उद्देश्‍य : खाड़ी सहयोग परिषद की संकल्‍पना रक्षा योजना परिषद के साथ-साथ क्षेत्रीय साझा बाजार के रूप में की गई थी । इन देशों की भौगोलिक निकटता तथा मुक्‍त व्‍यापार आर्थिक नीतियों को व्‍यापक रूप से अपनाए जाने से खाड़ी सहयोग परिषद की स्‍थापना में सहायता मिली ।

खाड़ी सहयोग परिषद का उद्देश्‍य :

  • सदस्‍य राष्‍ट्रों में एकता के लिए समन्‍वय, एकीकरण और घनिष्‍ठ संबंध स्‍थापित करना;
  • क्षेत्र के देशों के बीच संबंध, रिश्‍ते और सहयोग के सभी पहलुओं को मजबूत बनाना;
  • आर्थिक और वित्‍तीय मामलों; वाणिज्‍यिक, सीमा शुल्‍क और परिवहन मामलों; शिक्षा और सांस्‍कृतिक मामलों; सामाजिक और स्‍वास्‍थ्‍य मामलों; संचार, सूचना, राजनीतिक, विधायी और प्रशासनिक मामलों में समान व्‍यवस्‍था और नियम अपनाना;
  • उद्योग, खनन, कृषि, जल और पशु संसाधनों से संबंधित विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति को बढ़ावा देना और वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र स्‍थापित करना तथा संयुक्‍त परियोजनाएं शुरू करना है ।

संगठन ढांचा : खाड़ी सहयोग परिषद की संरचना में सर्वोच्‍च परिषद, मंत्रिपरिषद और महासचिवालय शामिल हैं :

  • सर्वोच्‍च परिषद (खाड़ी सहयोग संगठन की शीर्ष सत्‍ता) में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष शामिल हैं । सर्वोच्‍च परिषद की वर्ष में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के अध्‍यक्षों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । सर्वोच्‍च परिषद की अध्‍यक्षता बारी-बारी से प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र को प्राप्‍त होती है । संकल्‍प बहुमत से पारित किए जाते हैं । सर्वोच्‍च परिषद, खाड़ी सहयोग परिषद की समग्र नीति के निर्धारण और मंत्रिपरिषद अथवा महासचिवालय द्वारा इसे दी गई सिफारिशों के अनुसमर्थन के लिए जिम्‍मेदार है ।
  • मंत्रिपरिषद में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्री शामिल होते हैं । मंत्रिपरिषद की प्रत्‍येक 3 माह में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्रियों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । मंत्रिपरिषद नीतियां तैयार करती है तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में सदस्‍य राष्‍ट्रों में सहयोग और समन्‍वय विकसित करने के उपायों के बारे में सिफारिश करती है ।
  • महासचिवालय, खाड़ी सहयोग परिषद के लिए रिपोर्टें, अध्‍ययन, लेखे और बजट तैयार करता है । यह नियम और विनियम तैयार करता है तथा इसे सर्वोच्‍च और मंत्रिपरिषद द्वारा पारित निर्णयों के कार्यान्‍वयन में सदस्‍य राष्‍ट्रों की सहायता करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है । महासचिव की नियुक्‍ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर सर्वोच्‍च परिषद द्वारा 3 वर्ष (नवीकरणीय) के लिए की जाती है ।
  • सचिवालय रियाद शहर में स्‍थित है । खाड़ी सहयोग परिषद के संविधान में अरब राष्‍ट्रों की एकता को साकार करने के तरीके तलाशने के महत्‍व का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है । संविधान, संगठन से अपेक्षा करता है कि संगठन आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक मामलों में ‘समन्‍वय, एकीकरण और सहयोग प्राप्‍त करने के साधन’ पदान करे ।

रक्षा : 1983 और 1987 के बीच अनेक बैठकों में खाड़ी देशों ने पारस्‍परिक रक्षा की योजनाएं तैयार की हैं और संयुक्‍त कमान और संयुक्‍त रक्षा नेटवर्क स्‍थापित करने के लिए प्रयास शुरू किए हैं ।

1984 में खाड़ी सहयोग परिषद के रक्षा मंत्री, प्रायद्वीप सुरक्षा बल की दो ब्रिगेड (10,000 व्‍यक्‍ति) स्‍थापित करने पर सहमत हुए थे । यह संयुक्‍त हस्‍तक्षेप बल, सऊदी अधिकारी की कमान में हफर अल बातिन में शाह खालिद मिलिट्री सिटी के समीप सऊदी अरब में स्‍थित है । मुख्‍यालय स्‍टाफ के अलावा, इस बल में लगभग 5000 व्‍यक्‍तियों की इनफैंट्री ब्रिगेड शामिल है जिसमें 1992 में खाड़ी सहयोग परिषद के सभी देशों के नागरिक शामिल थे । खतरे के समय इस बल का विस्‍तार किया जा सकता है ।

अक्‍तूबर, 1987 में खाड़ी सहयोग परिषद, पारस्‍परिक रक्षा संधि पर सहमत हुई थी जिसमें किसी एक सदस्‍य राष्‍ट्र पर हमले को सभी सदस्‍य राष्‍ट्रों पर हमला माना जाएगा ।

कृषि : सन् 1985 में कृषि नीति को समरुप बनाने के लिए दिशानिर्देश आधिकारिक तौर पर जारी किए गए थे और उसके बाद कृषि के अनेक पहलुओं (जल संरक्षण, उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग तथा विभिन्‍न पशु रोग संबंधी मामले) को समरूप बनाने के उपाय किए गए हैं ।

व्‍यापार : सन् 1994 में पूर्ण सीमा शुल्‍क एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी । जून, 1998 में जब सभी सदस्‍य राष्‍ट्र, विदेशी सीमा शुल्‍क प्रयोजनों के लिए अधिकांश माल के वर्गीकरण पर सहमत हो गए थे, सीमा शुल्‍क संघ की संभावना का पता लगाने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की गई थी । नवंबर, 1999 में खाड़ी सहयोग परिषद की सर्वोच्‍च परिषद की 20वीं बैठक में यह सहमति हुई थी कि 2005 तक सीमा शुल्‍क संघ का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जाना चाहिए । दिसंबर, 2000 में 21वीं शिखर बैठक में यह तारीख पीछे खिसकाई गई और एक जानवरी, 2003 को सीमा शुल्‍क संघ की घोषणा की गई । सीमा शुल्‍क संघ, प्रवेश पत्‍तन पर आयातित माल पर एक समान 5 % सीमा शुल्‍क (खाड़ी सहयोग परिषद में सीमा शुल्‍क की विद्यमान 4 % से 20 % की दरों को समरूप बनाकर) निर्धारित करता है । खाड़ी सहयोग परिषद के 6 देशों में (अंतर व्‍यापार) माल और सेवाओं पर सीमा शुल्‍क शून्‍य निर्धारित किया गया है अर्थात् किसी सदस्‍य राष्‍ट्र में विनिर्मित माल की नि:शुल्‍क आवागमन और सीमा शुल्‍क संघ में समान अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्‍त हैं ।

सन् 1998 में इस क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा के लिए खाड़ी सहयोग परिषद का पेटेंट कार्यालय स्‍थापित किया गया ।

विदेशी निवेश : विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहन देने के लिए अनेक अवसरों पर 1997 में प्रकाशित विदेशी निवेश दिशानिर्देशों के साथ-साथ अन्‍य उपाय किए गए हैं ।

तेल नीति : खाड़ी सहयोग परिषद के पूरे कार्यकाल में तेल उत्‍पादन और मूल्‍य निर्धारण नीति में समन्‍वय के प्रयास जारी रहे हैं जिसमें उत्‍पादन में किसी समस्‍या की स्‍थिति में अपना कोटा पूरा करने के लिए प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र की पर्याप्‍त आपूर्ति और क्षमता सुनिश्‍चित करने पर विशेष बल दिया गया है ।

खाड़ी सहयोग परिषद में आवागमन सुविधाजनक बनाना : खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के आंतरिक मंत्रियों द्वारा सन् 1997 में एक आसान पासपोर्ट व्‍यवस्‍था अनुमोदित की गई थी ।

सूचना नीति का समन्‍वय : 1990 के दशक के मध्‍य से खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के सूचना मंत्री अपने कार्य में समन्‍वय के लिए नियमित रूप से मिलते हैं । 1999 में संयुक्‍त अरब अमीरात में अपनी बैठक में, खाड़ी सहयोग परिषद के सूचना मंत्रियों ने खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों में सूचना के बाह्य आदान-प्रदान को मजबूत बनाने के महत्‍व की पुष्‍टि की ।

खाड़ी सहयोग परिषद का विस्‍तार

यमन और जॉर्डन दोनों ने खाड़ी सहयोग परिषद में शामिल होने की इच्‍छा जताई है ।

खाड़ी सहयोग परिषद का 26वां शिखर सम्‍मेलन : यह शिखर सम्‍मेलन 18-19 दिसंबर, 2005 को आबू धाबी में हुआ था । शिखर सम्‍मेलन की घोषणा में, खाड़ी सहयोग परिषद के आर्थिक एकीकरण, अमेरिका को छोड़कर खाड़ी सहयोग परिषद की सामूहिक छत्रछाया में मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर वार्ता की आवश्‍यकता, खाड़ी सहयोग परिषद के व्‍यापक रेल नेटवर्क, आर्थिक संघ, सन् 2010 तक एकल मुद्रा और एकीकृत गल्‍फ केंद्रीय बैंक की संभावना (सऊदी अरब विरोध करता है) और सन् 2007 तक पूर्ण सीमा शुल्‍क संघ जैसे आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही । शिखर सम्‍मेलन में यूरोपीय संघ, चीन और तुर्की के साथ मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया गया । इराक में चुनाव और ईरान का परमाणु मसला मुख्‍य केंद्रबिंदु रहे ।

संगठन ढांचा : खाड़ी सहयोग परिषद की संरचना में सर्वोच्‍च परिषद, मंत्रिपरिषद और महासचिवालय शामिल हैं :

  • सर्वोच्‍च परिषद (खाड़ी सहयोग संगठन की शीर्ष सत्‍ता) में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष शामिल हैं । सर्वोच्‍च परिषद की वर्ष में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के अध्‍यक्षों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । सर्वोच्‍च परिषद की अध्‍यक्षता बारी-बारी से प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र को प्राप्‍त होती है । संकल्‍प बहुमत से पारित किए जाते हैं । सर्वोच्‍च परिषद, खाड़ी सहयोग परिषद की समग्र नीति के निर्धारण और मंत्रिपरिषद अथवा महासचिवालय द्वारा इसे दी गई सिफारिशों के अनुसमर्थन के लिए जिम्‍मेदार है ।
  • मंत्रिपरिषद में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्री शामिल होते हैं । मंत्रिपरिषद की प्रत्‍येक 3 माह में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्रियों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । मंत्रिपरिषद नीतियां तैयार करती है तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में सदस्‍य राष्‍ट्रों में सहयोग और समन्‍वय विकसित करने के उपायों के बारे में सिफारिश करती है ।
  • महासचिवालय, खाड़ी सहयोग परिषद के लिए रिपोर्टें, अध्‍ययन, लेखे और बजट तैयार करता है । यह नियम और विनियम तैयार करता है तथा इसे सर्वोच्‍च और मंत्रिपरिषद द्वारा पारित निर्णयों के कार्यान्‍वयन में सदस्‍य राष्‍ट्रों की सहायता करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है । महासचिव की नियुक्‍ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर सर्वोच्‍च परिषद द्वारा 3 वर्ष (नवीकरणीय) के लिए की जाती है ।
  • सचिवालय रियाद शहर में स्‍थित है । खाड़ी सहयोग परिषद के संविधान में अरब राष्‍ट्रों की एकता को साकार करने के तरीके तलाशने के महत्‍व का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है । संविधान, संगठन से अपेक्षा करता है कि संगठन आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक मामलों में ‘समन्‍वय, एकीकरण और सहयोग प्राप्‍त करने के साधन’ पदान करे ।

रक्षा : 1983 और 1987 के बीच अनेक बैठकों में खाड़ी देशों ने पारस्‍परिक रक्षा की योजनाएं तैयार की हैं और संयुक्‍त कमान और संयुक्‍त रक्षा नेटवर्क स्‍थापित करने के लिए प्रयास शुरू किए हैं ।

1984 में खाड़ी सहयोग परिषद के रक्षा मंत्री, प्रायद्वीप सुरक्षा बल की दो ब्रिगेड (10,000 व्‍यक्‍ति) स्‍थापित करने पर सहमत हुए थे । यह संयुक्‍त हस्‍तक्षेप बल, सऊदी अधिकारी की कमान में हफर अल बातिन में शाह खालिद मिलिट्री सिटी के समीप सऊदी अरब में स्‍थित है । मुख्‍यालय स्‍टाफ के अलावा, इस बल में लगभग 5000 व्‍यक्‍तियों की इनफैंट्री ब्रिगेड शामिल है जिसमें 1992 में खाड़ी सहयोग परिषद के सभी देशों के नागरिक शामिल थे । खतरे के समय इस बल का विस्‍तार किया जा सकता है ।

अक्‍तूबर, 1987 में खाड़ी सहयोग परिषद, पारस्‍परिक रक्षा संधि पर सहमत हुई थी जिसमें किसी एक सदस्‍य राष्‍ट्र पर हमले को सभी सदस्‍य राष्‍ट्रों पर हमला माना जाएगा ।

कृषि : सन् 1985 में कृषि नीति को समरुप बनाने के लिए दिशानिर्देश आधिकारिक तौर पर जारी किए गए थे और उसके बाद कृषि के अनेक पहलुओं (जल संरक्षण, उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग तथा विभिन्‍न पशु रोग संबंधी मामले) को समरूप बनाने के उपाय किए गए हैं ।

व्‍यापार : सन् 1994 में पूर्ण सीमा शुल्‍क एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी । जून, 1998 में जब सभी सदस्‍य राष्‍ट्र, विदेशी सीमा शुल्‍क प्रयोजनों के लिए अधिकांश माल के वर्गीकरण पर सहमत हो गए थे, सीमा शुल्‍क संघ की संभावना का पता लगाने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की गई थी । नवंबर, 1999 में खाड़ी सहयोग परिषद की सर्वोच्‍च परिषद की 20वीं बैठक में यह सहमति हुई थी कि 2005 तक सीमा शुल्‍क संघ का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जाना चाहिए । दिसंबर, 2000 में 21वीं शिखर बैठक में यह तारीख पीछे खिसकाई गई और एक जानवरी, 2003 को सीमा शुल्‍क संघ की घोषणा की गई । सीमा शुल्‍क संघ, प्रवेश पत्‍तन पर आयातित माल पर एक समान 5 % सीमा शुल्‍क (खाड़ी सहयोग परिषद में सीमा शुल्‍क की विद्यमान 4 % से 20 % की दरों को समरूप बनाकर) निर्धारित करता है । खाड़ी सहयोग परिषद के 6 देशों में (अंतर व्‍यापार) माल और सेवाओं पर सीमा शुल्‍क शून्‍य निर्धारित किया गया है अर्थात् किसी सदस्‍य राष्‍ट्र में विनिर्मित माल की नि:शुल्‍क आवागमन और सीमा शुल्‍क संघ में समान अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्‍त हैं ।

सन् 1998 में इस क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा के लिए खाड़ी सहयोग परिषद का पेटेंट कार्यालय स्‍थापित किया गया ।

विदेशी निवेश : विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहन देने के लिए अनेक अवसरों पर 1997 में प्रकाशित विदेशी निवेश दिशानिर्देशों के साथ-साथ अन्‍य उपाय किए गए हैं ।

तेल नीति : खाड़ी सहयोग परिषद के पूरे कार्यकाल में तेल उत्‍पादन और मूल्‍य निर्धारण नीति में समन्‍वय के प्रयास जारी रहे हैं जिसमें उत्‍पादन में किसी समस्‍या की स्‍थिति में अपना कोटा पूरा करने के लिए प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र की पर्याप्‍त आपूर्ति और क्षमता सुनिश्‍चित करने पर विशेष बल दिया गया है ।

खाड़ी सहयोग परिषद में आवागमन सुविधाजनक बनाना : खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के आंतरिक मंत्रियों द्वारा सन् 1997 में एक आसान पासपोर्ट व्‍यवस्‍था अनुमोदित की गई थी ।

सूचना नीति का समन्‍वय : 1990 के दशक के मध्‍य से खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के सूचना मंत्री अपने कार्य में समन्‍वय के लिए नियमित रूप से मिलते हैं । 1999 में संयुक्‍त अरब अमीरात में अपनी बैठक में, खाड़ी सहयोग परिषद के सूचना मंत्रियों ने खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों में सूचना के बाह्य आदान-प्रदान को मजबूत बनाने के महत्‍व की पुष्‍टि की ।

खाड़ी सहयोग परिषद का विस्‍तार

यमन और जॉर्डन दोनों ने खाड़ी सहयोग परिषद में शामिल होने की इच्‍छा जताई है ।

खाड़ी सहयोग परिषद का 26वां शिखर सम्‍मेलन : यह शिखर सम्‍मेलन 18-19 दिसंबर, 2005 को आबू धाबी में हुआ था । शिखर सम्‍मेलन की घोषणा में, खाड़ी सहयोग परिषद के आर्थिक एकीकरण, अमेरिका को छोड़कर खाड़ी सहयोग परिषद की सामूहिक छत्रछाया में मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर वार्ता की आवश्‍यकता, खाड़ी सहयोग परिषद के व्‍यापक रेल नेटवर्क, आर्थिक संघ, सन् 2010 तक एकल मुद्रा और एकीकृत गल्‍फ केंद्रीय बैंक की संभावना (सऊदी अरब विरोध करता है) और सन् 2007 तक पूर्ण सीमा शुल्‍क संघ जैसे आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही । शिखर सम्‍मेलन में यूरोपीय संघ, चीन और तुर्की के साथ मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया गया । इराक में चुनाव और ईरान का परमाणु मसला मुख्‍य केंद्रबिंदु रहे ।

संगठन ढांचा : खाड़ी सहयोग परिषद की संरचना में सर्वोच्‍च परिषद, मंत्रिपरिषद और महासचिवालय शामिल हैं :

  • सर्वोच्‍च परिषद (खाड़ी सहयोग संगठन की शीर्ष सत्‍ता) में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के राष्‍ट्राध्‍यक्ष शामिल हैं । सर्वोच्‍च परिषद की वर्ष में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के अध्‍यक्षों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । सर्वोच्‍च परिषद की अध्‍यक्षता बारी-बारी से प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र को प्राप्‍त होती है । संकल्‍प बहुमत से पारित किए जाते हैं । सर्वोच्‍च परिषद, खाड़ी सहयोग परिषद की समग्र नीति के निर्धारण और मंत्रिपरिषद अथवा महासचिवालय द्वारा इसे दी गई सिफारिशों के अनुसमर्थन के लिए जिम्‍मेदार है ।
  • मंत्रिपरिषद में 6 सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्री शामिल होते हैं । मंत्रिपरिषद की प्रत्‍येक 3 माह में एक बार साधारण बैठक होती है । किन्‍हीं दो सदस्‍य राष्‍ट्रों के विदेश मंत्रियों द्वारा किसी भी समय आपात बैठक बुलाई जा सकती है । मंत्रिपरिषद नीतियां तैयार करती है तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में सदस्‍य राष्‍ट्रों में सहयोग और समन्‍वय विकसित करने के उपायों के बारे में सिफारिश करती है ।
  • महासचिवालय, खाड़ी सहयोग परिषद के लिए रिपोर्टें, अध्‍ययन, लेखे और बजट तैयार करता है । यह नियम और विनियम तैयार करता है तथा इसे सर्वोच्‍च और मंत्रिपरिषद द्वारा पारित निर्णयों के कार्यान्‍वयन में सदस्‍य राष्‍ट्रों की सहायता करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है । महासचिव की नियुक्‍ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर सर्वोच्‍च परिषद द्वारा 3 वर्ष (नवीकरणीय) के लिए की जाती है ।
  • सचिवालय रियाद शहर में स्‍थित है । खाड़ी सहयोग परिषद के संविधान में अरब राष्‍ट्रों की एकता को साकार करने के तरीके तलाशने के महत्‍व का स्‍पष्‍ट उल्‍लेख किया गया है । संविधान, संगठन से अपेक्षा करता है कि संगठन आर्थिक, सामाजिक और सांस्‍कृतिक मामलों में ‘समन्‍वय, एकीकरण और सहयोग प्राप्‍त करने के साधन’ पदान करे ।

रक्षा : 1983 और 1987 के बीच अनेक बैठकों में खाड़ी देशों ने पारस्‍परिक रक्षा की योजनाएं तैयार की हैं और संयुक्‍त कमान और संयुक्‍त रक्षा नेटवर्क स्‍थापित करने के लिए प्रयास शुरू किए हैं ।

1984 में खाड़ी सहयोग परिषद के रक्षा मंत्री, प्रायद्वीप सुरक्षा बल की दो ब्रिगेड (10,000 व्‍यक्‍ति) स्‍थापित करने पर सहमत हुए थे । यह संयुक्‍त हस्‍तक्षेप बल, सऊदी अधिकारी की कमान में हफर अल बातिन में शाह खालिद मिलिट्री सिटी के समीप सऊदी अरब में स्‍थित है । मुख्‍यालय स्‍टाफ के अलावा, इस बल में लगभग 5000 व्‍यक्‍तियों की इनफैंट्री ब्रिगेड शामिल है जिसमें 1992 में खाड़ी सहयोग परिषद के सभी देशों के नागरिक शामिल थे । खतरे के समय इस बल का विस्‍तार किया जा सकता है ।

अक्‍तूबर, 1987 में खाड़ी सहयोग परिषद, पारस्‍परिक रक्षा संधि पर सहमत हुई थी जिसमें किसी एक सदस्‍य राष्‍ट्र पर हमले को सभी सदस्‍य राष्‍ट्रों पर हमला माना जाएगा ।

कृषि : सन् 1985 में कृषि नीति को समरुप बनाने के लिए दिशानिर्देश आधिकारिक तौर पर जारी किए गए थे और उसके बाद कृषि के अनेक पहलुओं (जल संरक्षण, उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग तथा विभिन्‍न पशु रोग संबंधी मामले) को समरूप बनाने के उपाय किए गए हैं ।

व्‍यापार : सन् 1994 में पूर्ण सीमा शुल्‍क एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी । जून, 1998 में जब सभी सदस्‍य राष्‍ट्र, विदेशी सीमा शुल्‍क प्रयोजनों के लिए अधिकांश माल के वर्गीकरण पर सहमत हो गए थे, सीमा शुल्‍क संघ की संभावना का पता लगाने के लिए एक तकनीकी समिति गठित की गई थी । नवंबर, 1999 में खाड़ी सहयोग परिषद की सर्वोच्‍च परिषद की 20वीं बैठक में यह सहमति हुई थी कि 2005 तक सीमा शुल्‍क संघ का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जाना चाहिए । दिसंबर, 2000 में 21वीं शिखर बैठक में यह तारीख पीछे खिसकाई गई और एक जानवरी, 2003 को सीमा शुल्‍क संघ की घोषणा की गई । सीमा शुल्‍क संघ, प्रवेश पत्‍तन पर आयातित माल पर एक समान 5 % सीमा शुल्‍क (खाड़ी सहयोग परिषद में सीमा शुल्‍क की विद्यमान 4 % से 20 % की दरों को समरूप बनाकर) निर्धारित करता है । खाड़ी सहयोग परिषद के 6 देशों में (अंतर व्‍यापार) माल और सेवाओं पर सीमा शुल्‍क शून्‍य निर्धारित किया गया है अर्थात् किसी सदस्‍य राष्‍ट्र में विनिर्मित माल की नि:शुल्‍क आवागमन और सीमा शुल्‍क संघ में समान अधिकार और विशेषाधिकार प्राप्‍त हैं ।

सन् 1998 में इस क्षेत्र में बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा के लिए खाड़ी सहयोग परिषद का पेटेंट कार्यालय स्‍थापित किया गया ।

विदेशी निवेश : विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहन देने के लिए अनेक अवसरों पर 1997 में प्रकाशित विदेशी निवेश दिशानिर्देशों के साथ-साथ अन्‍य उपाय किए गए हैं ।

तेल नीति : खाड़ी सहयोग परिषद के पूरे कार्यकाल में तेल उत्‍पादन और मूल्‍य निर्धारण नीति में समन्‍वय के प्रयास जारी रहे हैं जिसमें उत्‍पादन में किसी समस्‍या की स्‍थिति में अपना कोटा पूरा करने के लिए प्रत्‍येक सदस्‍य राष्‍ट्र की पर्याप्‍त आपूर्ति और क्षमता सुनिश्‍चित करने पर विशेष बल दिया गया है ।

खाड़ी सहयोग परिषद में आवागमन सुविधाजनक बनाना : खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के आंतरिक मंत्रियों द्वारा सन् 1997 में एक आसान पासपोर्ट व्‍यवस्‍था अनुमोदित की गई थी ।

सूचना नीति का समन्‍वय : 1990 के दशक के मध्‍य से खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों के सूचना मंत्री अपने कार्य में समन्‍वय के लिए नियमित रूप से मिलते हैं । 1999 में संयुक्‍त अरब अमीरात में अपनी बैठक में, खाड़ी सहयोग परिषद के सूचना मंत्रियों ने खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्‍य राष्‍ट्रों में सूचना के बाह्य आदान-प्रदान को मजबूत बनाने के महत्‍व की पुष्‍टि की ।

खाड़ी सहयोग परिषद का विस्‍तार

यमन और जॉर्डन दोनों ने खाड़ी सहयोग परिषद में शामिल होने की इच्‍छा जताई है ।

खाड़ी सहयोग परिषद का 26वां शिखर सम्‍मेलन : यह शिखर सम्‍मेलन 18-19 दिसंबर, 2005 को आबू धाबी में हुआ था । शिखर सम्‍मेलन की घोषणा में, खाड़ी सहयोग परिषद के आर्थिक एकीकरण, अमेरिका को छोड़कर खाड़ी सहयोग परिषद की सामूहिक छत्रछाया में मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर वार्ता की आवश्‍यकता, खाड़ी सहयोग परिषद के व्‍यापक रेल नेटवर्क, आर्थिक संघ, सन् 2010 तक एकल मुद्रा और एकीकृत गल्‍फ केंद्रीय बैंक की संभावना (सऊदी अरब विरोध करता है) और सन् 2007 तक पूर्ण सीमा शुल्‍क संघ जैसे आर्थिक सहयोग पर केंद्रित रही । शिखर सम्‍मेलन में यूरोपीय संघ, चीन और तुर्की के साथ मुक्‍त व्‍यापार समझौते पर हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया गया । इराक में चुनाव और ईरान का परमाणु मसला मुख्‍य केंद्रबिंदु रहे ।